पाठ्यक्रम नहीं, प्लाट खरीदता था प्रिंसिपल! EOW की जांच में अभिमन्यु सिंह चौहान के 'अवैध' साम्राज्य का खुलासा

 
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सीधी-रीवा EOW टीम की सरकारी प्राचार्य अभिमन्यु सिंह चौहान के तीन ठिकानों पर आय से अधिक संपत्ति के संदेह में छापेमारी

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा और सीधी जिलों से एक बड़ी और निर्णायक कार्रवाई सामने आई है, जहाँ आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) की एक विशाल टीम ने सीधी जिले के एक सरकारी हाई स्कूल के प्रभारी प्राचार्य अभिमन्यु सिंह चौहान के खिलाफ व्यापक छापेमारी की है। यह कार्रवाई वित्तीय अनियमितताओं और आय से अधिक संपत्ति के गंभीर आरोपों से जुड़ी हुई है। EOW की यह सक्रियता दर्शाती है कि सरकारी महकमों में बढ़ते भ्रष्टाचार पर अब 'जीरो टॉलरेंस' नीति अपनाई जा रही है। ईओडब्ल्यू क्या कार्रवाई कर रही है? इसकी जानकारी जुटाने के लिए टीम अभी भी मुख्य आवास पर मौजूद है।

EOW की व्यापक छापेमारी: क्या है पूरा मामला और जांच का विवरण?
यह मामला सीधी जिले के सरकारी हाई स्कूल मड़वास के प्रभारी प्राचार्य अभिमन्यु सिंह चौहान से संबंधित है। EOW, रीवा यूनिट को पिछले काफी समय से प्राचार्य चौहान की संपत्ति और उनके द्वारा अर्जित किए गए धन को लेकर शिकायतें मिल रही थीं। शुरुआती गोपनीय जांच में जब यह पाया गया कि उनकी घोषित आय और वास्तविक संपत्ति में भारी असमानता है, तब EOW ने एक बड़े ऑपरेशन की योजना बनाई।

इस ऑपरेशन के तहत, EOW की लगभग 50 सदस्यीय टीम ने एक साथ तीन अलग-अलग ठिकानों पर दबिश दी। यह कार्रवाई विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह शिक्षा विभाग से जुड़े एक अधिकारी पर की गई है। इस समन्वित कार्रवाई में सीधी जिले के भीतर मनवास में दो ठिकाने और सीधी शहर का मुख्य आवास शामिल थे।

EOW टीम में लेखा विशेषज्ञ और कानूनी सलाहकार शामिल थे, ताकि जब्त किए गए दस्तावेज़ों का तुरंत विश्लेषण किया जा सके। टीम मुख्य रूप से आठ से अधिक संपत्तियों की जानकारी जुटाने का प्रयास कर रही है, जो प्राचार्य द्वारा कथित तौर पर अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर खरीदी गई हैं। अभिमन्यु सिंह चौहान पर छापा क्यों मारा गया? इसका मुख्य कारण उनकी जीवनशैली और घोषित आय के बीच का बड़ा अंतर है।

प्रभारी प्राचार्य अभिमन्यु सिंह चौहान: आय से अधिक संपत्ति का संदेह
अभिमन्यु सिंह चौहान सीधी जिले के सरकारी शिक्षा क्षेत्र में एक स्थापित नाम हैं। वह मड़वास के एक सरकारी हाई स्कूल में प्रभारी प्राचार्य के पद पर कार्यरत थे। एक सरकारी शिक्षक/प्राचार्य के रूप में, उनका वेतन और आय सार्वजनिक रिकॉर्ड का विषय होती है। EOW की जांच यह इशारा करती है कि उनकी आय का स्रोत केवल उनका वेतन नहीं था, बल्कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए वित्तीय अनियमितताओं को अंजाम दिया। सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल इतना पैसा कैसे कमाते हैं? इस प्रश्न का उत्तर अक्सर सरकारी फंडों के दुरुपयोग, योजनाओं में हेराफेरी, और ठेकों में कमीशनखोरी में छिपा होता है, जिसकी गहन जांच EOW द्वारा की जा रही है।

आय से अधिक संपत्ति (DA) का मामला तब बनता है जब किसी सरकारी कर्मचारी की कानूनी रूप से सिद्ध न की जा सकने वाली संपत्ति, उसकी घोषित आय से बहुत अधिक होती है। EOW की जांच का मुख्य फोकस यही भारी अंतर है। EOW टीम अभी भी शहर के आवास में जांच कर रही है, क्योंकि यह उम्मीद है कि यहाँ से जमीन, मकान, बैंक लॉकर की चाबियां, और निवेश संबंधी महत्वपूर्ण दस्तावेज़ प्राप्त हो सकते हैं। मनवास में EOW की टीम क्या कर रही है? वे वहां की संपत्तियों का मूल्यांकन कर रहे हैं।

छापेमारी के दौरान जब्त की गई संपत्तियों का संभावित स्वरूप
हालाँकि EOW ने अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन इस तरह की हाई-प्रोफाइल छापेमारी में निम्नलिखित संपत्तियां जब्त या उजागर होने की संभावना रहती है, जो कि सीधी में सरकारी प्राचार्य के पास कितनी संपत्ति है, इसका खुलासा करेंगी:

  • अचल संपत्ति: सीधी और रीवा के प्रमुख शहरी क्षेत्रों में कई प्लॉट, मकान और अपार्टमेंट। मड़वास के आसपास बड़े पैमाने पर कृषि भूमि। व्यावसायिक संपत्तियों में किए गए निवेश के दस्तावेज़।
  • चल संपत्ति: भारी मात्रा में नकद राशि (करोड़ों में होने की संभावना), सोना और चांदी के आभूषण। कई बैंक खातों, फिक्स्ड डिपॉजिट (FD), और म्यूचुअल फंड में किए गए निवेश के दस्तावेज़।
  • लक्जरी सामान: महंगी लग्जरी कारें और अन्य उच्च मूल्य वाले वाहन।
  • बेनामी संपत्ति: परिवार के सदस्यों या करीबियों के नाम पर खरीदी गई बेनामी संपत्ति के कागजात।

शिक्षा विभाग पर असर और आगे की कार्रवाई
यह घटना शिक्षा विभाग में वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ कड़े कदम उठाने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। स्थानीय लोगों द्वारा पारदर्शिता की मांग ज़ोर पकड़ रही है। इस मामले से यह स्पष्ट होता है कि सरकारी स्कूलों से जुड़े फंड्स के प्रबंधन की तत्काल समीक्षा की आवश्यकता है।

जांच पूरी होने के बाद, EOW जब्त किए गए सभी दस्तावेज़ों और संपत्तियों का बाजार मूल्य निर्धारित करेगी। इस मूल्य की तुलना प्राचार्य की सेवाकाल के दौरान की गई कानूनी और घोषित आय से की जाएगी। यदि संपत्ति, कानूनी आय से अत्यधिक पाई जाती है, तो EOW द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत दर्ज FIR में आरोपों को विस्तार दिया जाएगा और प्राचार्य की गिरफ्तारी की जा सकती है। EOW की रिपोर्ट के आधार पर शिक्षा विभाग द्वारा प्राचार्य को तत्काल निलंबित करने और बर्खास्तगी की कार्रवाई भी शुरू की जा सकती है।

निष्कर्ष: सरकारी भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार
EOW द्वारा की गई यह व्यापक छापेमारी मध्य प्रदेश में सरकारी पदों पर बैठे उन सभी अधिकारियों के लिए एक कड़ा संदेश है जो अपनी शक्ति का दुरुपयोग करके अवैध संपत्ति अर्जित कर रहे हैं। यह कार्रवाई दर्शाती है कि EOW शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र से जुड़े कर्मचारियों पर भी पैनी नज़र रख रही है। जांच पूरी होने के बाद जो भी आधिकारिक आंकड़े सामने आएंगे, उनसे How EOW conducts raids in MP (ईओडब्ल्यू कैसे छापे मारती है) और अभिमन्यु सिंह चौहान की संपत्ति का पूर्ण और आधिकारिक खुलासा होगा।

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