रीवा शिक्षा विभाग में फर्जी अनुकंपा नियुक्ति: डीईओ की मिलीभगत से हुआ घोटाला, कार्रवाई से बचते दिखे अधिकारी

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/ भोपाल डेस्क। रीवा न्यूज़ मीडिया की खबर को कलेक्टर ने लिया संज्ञान। लगातार तीन दिवस से चली आ रही गहमागहमी पर अंतत डीईओ रीवा सुदामा लाल गुप्ता ने विराम लगा ही दिया, अनुकंपा नियुक्ति सेक्शन प्रभारी रमाप्रपंन्नधर द्विवेदी को निलंबन पुरस्कार से सम्मानित किया, बताया गया है कि रमा प्रपन्नधर द्विवेदी ने बृजेश कोल नामक व्यक्ति से साठगाठ कर स्वयं फर्जी अभिलेख तैयार कर जिला शिक्षा अधिकारी को धोखे में रखकर अनुकंपा नियुक्ति दिलाकर पदांकन संकुल जोडौरी में भृत्य के पद पर किया था, शिकायत होने पर मामले की जाच तीन सदस्यीय दलगठित कर करवाई गई जिसमें प्राप्त साक्ष से यह सिद्ध हुआ की शाखा प्रभारी श्री द्विवेदी ने अभिलेख की जांच पड़ताल में लापरवाही वरती है, जो मध्य प्रदेश सिविल सेवा वर्गीकरण नियम 1965 के नियम 1,2,3 के विरुद्ध कदाचरण की श्रेणी में आता है, साथ ही उनके इस कृत्य से विभाग एवं जिला शिक्षा अधिकारी की भी छवि धूमिल हुई है, उनके उक्त कृत्य पर जिला कलेक्टर प्रतिभा पाल के निर्देश पर डीईओ रीवा ने श्री द्विवेदी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर मुख्यालय वीईओ कार्यालय सिरमौर नियत किया है। इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) सुदामालाल गुप्ता की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।
बृजेश कुमार कोल नामक व्यक्ति ने 'बेलाकली कोल' नाम की महिला को अपनी मां बताते हुए दावा किया कि वह शिक्षा विभाग में सहायक शिक्षक थीं और 16 मई 2023 को उनका निधन हो गया। बृजेश ने फर्जी दस्तावेज़ और हलफनामे के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया, जिसे जिला शिक्षा अधिकारी ने स्वीकार कर लिया और उसे शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, जोड़ौरी में चपरासी के पद पर नियुक्त कर दिया गया।
हालांकि, जांच में सामने आया कि 'बेलाकली कोल' नाम की महिला कभी भी शिक्षा विभाग में कार्यरत नहीं थीं और बृजेश कुमार कोल उनका बेटा भी नहीं है। यह मामला तब उजागर हुआ जब एक प्राचार्य ने शिकायत की कि नया नियुक्त कर्मचारी आवश्यक दस्तावेज़ प्रस्तुत नहीं कर पा रहा है, जिससे वेतन प्रक्रिया में बाधा आ रही है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए, डीईओ सुदामालाल गुप्ता ने तत्काल एक जांच टीम गठित की और स्वयं द्वारा जारी नियुक्ति आदेश को रद्द कर दिया। इसके बाद, उन्होंने सिविल लाइन थाने में एफआईआर दर्ज कराई और फर्जीवाड़े से जुड़े दस्तावेज़ और साक्ष्य पुलिस को सौंपे। वरिष्ठ अधिकारियों ने डीईओ को फटकार लगाई और मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए।
इस मामले में डीईओ कार्यालय में अटैच लिपिक रमा प्रसन्न द्विवेदी की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है, जिन पर बृजेश कोल से तीन लाख रुपये में सौदा कर फर्जी दस्तावेज़ तैयार करवाने और बिना कलेक्टर की अनुमति के नियुक्ति आदेश जारी करवाने का आरोप है। हालांकि, अब तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
कलेक्टर प्रतिभा पाल ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की उम्मीद जताई है। इस घोटाले ने शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और अधिकारियों की मिलीभगत को उजागर किया है, जिससे विभाग की साख पर सवाल उठ रहे हैं।