रीवा में नौकरी के नाम पर महाठगी: आशा कार्यकर्ता की फर्जी नियुक्ति, BMO पर 90 हज़ार हड़पने का आरोप!

 
dfdf

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा जिला इन दिनों सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर हो रही धोखाधड़ी के एक के बाद एक सामने आ रहे मामलों से जूझ रहा है। शहरी और ग्रामीण, दोनों ही क्षेत्रों में बेरोजगारी का फायदा उठाकर भोले-भाले युवाओं और महिलाओं को ठगने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी कड़ी में एक और बेहद गंभीर मामला सामने आया है, जहां एक महिला ने आशा कार्यकर्ता जैसे महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति का झांसा देकर उससे ₹90,000 ठगने का आरोप जलदेव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के खंड चिकित्सा अधिकारी (BMO) देवव्रत पांडे पर लगाया है। यह चौंकाने वाला प्रकरण अब कलेक्टर कार्यालय में जनसुनवाई तक पहुंच गया है, जहां पीड़ित महिला ने न्याय और अपनी मेहनत की कमाई वापस दिलाने की गुहार लगाई है।

आशा कार्यकर्ता बनने का सपना और 90 हज़ार की चपत
पीड़ित महिला, किरण देवी साकेत, रीवा की उन सैकड़ों महिलाओं में से एक हैं जो सरकारी नौकरी पाकर अपने और अपने परिवार का भविष्य सुरक्षित करना चाहती थीं। किरण देवी के अनुसार, उन्हें आशा कार्यकर्ता के पद पर नियुक्ति दिलाने का प्रलोभन दिया गया। इस 'नियुक्ति' के एवज में, जलदेव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के खंड चिकित्सा अधिकारी देवव्रत पांडे ने उनसे शुरुआती तौर पर ₹80,000 की बड़ी रकम की मांग की। भरोसे में आकर किरण देवी ने यह राशि उन्हें सौंप दी। पैसों का लेन-देन होने के बाद, उन्हें कथित तौर पर बीएमओ कार्यालय से ही एक नियुक्ति पत्र भी मिला, जो इतना विश्वसनीय लग रहा था कि उन्हें अपनी नौकरी पक्की होने का पूरा यकीन हो गया। इस फर्जी नियुक्ति पत्र के आधार पर, किरण देवी ने करीब तीन महीने तक ईमानदारी से आशा कार्यकर्ता के रूप में ड्यूटी भी की। वह हर दिन अपने काम पर जाती थीं और उपस्थिति रजिस्टर में अपनी हाजिरी भी दर्ज कराती थीं, इस विश्वास के साथ कि वह अब एक सरकारी कर्मचारी हैं।

फर्जीवाड़े की दूसरी किस्त और कड़वा सच
तीन महीने की ड्यूटी के बाद, ठगों ने अपनी योजना को एक और कदम आगे बढ़ाया। किरण देवी से बताया गया कि उनकी नियुक्ति प्रक्रिया को अंतिम रूप देने और 'भोपाल भेजने' के नाम पर ₹10,000 की और आवश्यकता है। नौकरी बचाने और प्रक्रिया पूरी करने की उम्मीद में, किरण देवी ने यह अतिरिक्त राशि भी दे दी, जिससे ठगी गई कुल रकम ₹90,000 तक पहुँच गई।

हालांकि, यह भ्रम ज्यादा दिनों तक नहीं चला। कुछ समय बाद किरण देवी को अचानक पता चला कि उनकी 'नियुक्ति' वास्तव में कभी हुई ही नहीं थी। उन्हें जानकारी मिली कि आशा कार्यकर्ता के पदों के लिए विज्ञापन तो जारी हुआ था, लेकिन उसके बाद तकनीकी कारणों से या किसी अन्य वजह से पोर्टल बंद हो गया था और वास्तव में किसी भी आवेदक की नियुक्ति नहीं की गई थी। जब उन्होंने इस सच्चाई का सामना किया और संबंधित अधिकारियों से अपने पैसे वापस मांगे, तो उन्हें टालमटोल किया जाने लगा। हद तो तब हो गई जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने पैसे किसे दिए थे, मानो वे किसी को जानते ही न हों।

कलेक्टर कार्यालय में गुहार: न्याय की उम्मीद
इस भीषण धोखाधड़ी से टूट चुकी किरण देवी साकेत ने अब सोमवार को रीवा कलेक्टर कार्यालय में आयोजित जनसुनवाई में अपनी शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने अपनी शिकायत में साफ तौर पर खंड चिकित्सा अधिकारी देवव्रत पांडे पर रिश्वत लेने और धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है। किरण देवी साकेत ने दुख भरी आवाज में बताया, "देवदत्त पांडे (बीएमओ) ने मुझसे पैसे लिए थे और अब जब मैं अपने पैसे मांग रही हूं, तो वे झूठ बोल रहे हैं।"

यह घटना रीवा में नौकरी के नाम पर चल रहे एक बड़े भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े के नेक्सस की ओर इशारा करती है। ऐसे मामले न केवल पीड़ित व्यक्तियों को आर्थिक और मानसिक रूप से तोड़ते हैं, बल्कि सरकारी प्रक्रियाओं और अधिकारियों पर जनता के विश्वास को भी गहरा आघात पहुंचाते हैं। प्रशासन से इस पूरे मामले की गहन और निष्पक्ष जांच करने, दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने और पीड़ित महिला को न्याय दिलाने की अपील की जा रही है।

Related Topics

Latest News