आईएएस से लेकर बाबू तक, रीवा जिला पंचायत में 'कमीशन का खेल' उजागर! वीडियो ने खोली भ्रष्टाचार की पोल

 
jbhb

ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा के सरकारी गलियारों में एक नया भूचाल आया है। ग्रामीण यांत्रिकी सेवा (आरईएस) के एक कार्यपालन यंत्री (EE) का वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल रहा है। इस वीडियो में, इंजीनियर एस.बी. राव न सिर्फ जिला पंचायत के बाबुओं को सीधे तौर पर 'दलाल' कहते सुनाई दे रहे हैं, बल्कि वे एक चौंकाने वाले मामले का भी खुलासा कर रहे हैं जहाँ 63 लाख रुपये की रिकवरी को मात्र 53 हजार रुपये में निपटा दिया गया। यह वीडियो सरकारी तंत्र की उस अंदरूनी सच्चाई को उजागर करता है, जहाँ पारदर्शिता और जवाबदेही सिर्फ कागज़ों तक सीमित रह गई है। इस वीडियो ने आम जनता से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों तक को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या रीवा में ईमानदारी से काम करना असंभव हो गया है?

आरईएस के इंजीनियर ने क्यों किया भ्रष्टाचार का खुलासा? 
वायरल वीडियो में, कार्यपालन यंत्री एस.बी. राव बेहद परेशान और हताश दिख रहे हैं। उनकी बातों से यह स्पष्ट होता है कि वे सिस्टम से बुरी तरह थक चुके हैं। वीडियो में वे एक व्यक्ति से बात कर रहे हैं, जो संभवतः किसी मामले में न्याय के लिए उनके पास आया था। राव उस व्यक्ति को सीधे-सीधे सलाह देते हैं कि जिला पंचायत के चक्कर काटने की बजाय वह सीधे कोर्ट चला जाए। उनकी हताशा का कारण यह है कि जिला पंचायत में 'जांच' के नाम पर सिर्फ मामलों को लटकाया जाता है और पैसे लेकर रिपोर्ट में मनचाहा बदलाव कर दिया जाता है। वे कहते हैं, "जब तक रीवा के ये बाबू रहेंगे, कुछ नहीं होगा।" यह बयान सिर्फ एक व्यक्ति का गुस्सा नहीं है, बल्कि उस व्यवस्था के प्रति गहरी निराशा है जहाँ नियमों और कानून से ऊपर रिश्वत और दलाली को रखा जाता है। उनका यह कदम एक तरह से 'व्हिसलब्लोअर' (whistleblower) की भूमिका निभाता है, जो अपनी ही संस्था के भ्रष्टाचार की पोल खोल रहा है।

63 लाख से 53 हज़ार का खेल: कैसे हुआ यह बड़ा गोलमाल? 
वीडियो का सबसे बड़ा और चौंकाने वाला हिस्सा वह है, जिसमें 63 लाख की रिकवरी को 53 हजार में निपटाने की बात सामने आती है। एस.बी. राव इस पर अपनी हैरानी जताते हुए कहते हैं कि "लाख-दो लाख का अंतर तो फिर भी समझ में आता है, लेकिन सीधे ही 63 लाख से 53 हजार कर दिया गया है।" यह गणित सीधे तौर पर वित्तीय अनियमितता और बड़े पैमाने पर हुए लेन-देन की ओर इशारा करता है। यह कोई छोटी-मोटी हेराफेरी नहीं है, बल्कि एक सुनियोजित भ्रष्टाचार है, जिसमें शायद कई लोग शामिल हैं।

आम तौर पर, सरकारी रिकवरी के मामलों में जांच के बाद एक निश्चित राशि तय की जाती है, लेकिन इस मामले में यह राशि इतनी कम कर दी गई है कि यह साफ-साफ रिश्वतखोरी का संकेत देता है। राव यह भी बताते हैं कि ये बाबू पैसे लेकर जांच रिपोर्ट में सिर्फ दो लाइनें लिख देते हैं - "जांच से सहमत नहीं हैं, फिर से जांच कराई जाए।" इस तरह, वे न सिर्फ भ्रष्टाचार को अंजाम देते हैं, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया को भी बाधित करते हैं। यह वीडियो दर्शाता है कि कैसे कुछ भ्रष्ट लोग सरकारी कामकाज को अपनी व्यक्तिगत कमाई का जरिया बना चुके हैं।

रीवा जिला पंचायत पर लगे गंभीर आरोप और उनके मायने 
इस वायरल वीडियो ने रीवा की जिला पंचायत की कार्यप्रणाली पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या जिला पंचायत में भ्रष्टाचार एक आम बात है? क्या वहां के बाबू बिना पैसे लिए कोई काम नहीं करते? क्या सरकारी जांच सिर्फ दिखावा है? इन आरोपों के कई गहरे मायने हैं। सबसे पहले, यह जनता के विश्वास को तोड़ता है। जब लोग देखते हैं कि जिन सरकारी दफ्तरों में उनका काम होना चाहिए, वहीं पर दलाली चल रही है, तो उनका सरकारी व्यवस्था से भरोसा उठ जाता है। दूसरे, यह दिखाता है कि जवाबदेही की कमी है। अगर वरिष्ठ अधिकारियों को अपने मातहतों की कारगुजारियों की जानकारी नहीं है, तो यह उनकी लापरवाही है। और अगर उन्हें पता है और वे कुछ नहीं कर रहे हैं, तो यह उनकी मिलीभगत है। यह वीडियो एक तरह से जिला पंचायत के लिए एक आईना है, जिसमें उन्हें अपना बदसूरत चेहरा दिख रहा है।

रीवा में पहले भी हो चुका है ऐसा: आरईएस विभाग का पुराना 'दाग' 
यह पहली बार नहीं है जब रीवा के आरईएस विभाग से जुड़े किसी अधिकारी का भ्रष्टाचार से संबंधित वीडियो वायरल हुआ हो। इससे पहले, इसी विभाग के एक अन्य कार्यपालन यंत्री टी.पी. गुर्दवान का वीडियो सामने आया था, जिसमें वे खुलेआम रिश्वत लेते-देते पकड़े गए थे। उस मामले में उन्हें तत्काल निलंबित कर दिया गया था। एस.बी. राव का यह वीडियो उस घटना से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ तो नहीं है, लेकिन यह दर्शाता है कि आरईएस विभाग में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है, बल्कि यह एक गहरी समस्या है। एक के बाद एक सामने आ रहे ये वीडियो बताते हैं कि इस विभाग में एक मजबूत 'भ्रष्टाचार का तंत्र' काम कर रहा है। इन घटनाओं से यह भी साबित होता है कि अधिकारियों के निलंबन से समस्या पूरी तरह खत्म नहीं होती, बल्कि यह एक गहरी जड़ वाली बीमारी है जिसका इलाज पूरी व्यवस्था में बदलाव करके ही हो सकता है।

क्या यह वीडियो रीवा में सरकारी कामकाज की असलियत बताता है? 
एस.बी. राव का वायरल वीडियो सिर्फ एक घटना नहीं है, बल्कि यह रीवा के सरकारी कामकाज की एक कड़वी सच्चाई को दर्शाता है। यह दिखाता है कि कैसे निचले स्तर पर बाबू और दलाल सक्रिय हैं और कैसे वे जांच रिपोर्टों को प्रभावित करके मामलों को अपने फायदे के लिए मोड़ सकते हैं। यह बात भी सोचने वाली है कि अगर एक वरिष्ठ इंजीनियर इस तरह खुलेआम अपनी ही संस्था के खिलाफ बोल रहा है, तो इसका मतलब है कि समस्या बहुत बड़ी है और अब इसे छुपाना मुश्किल हो गया है। यह वीडियो एक तरह का 'अलर्ट' है, जो रीवा प्रशासन को यह चेतावनी दे रहा है कि अगर इस तरह के मामलों पर तुरंत और कड़े कदम नहीं उठाए गए, तो जनता का सरकारी व्यवस्था से पूरी तरह भरोसा उठ जाएगा।

इस वीडियो के बाद आगे क्या कार्रवाई होगी? 
इस वीडियो के वायरल होने के बाद, प्रशासन पर कार्रवाई का दबाव बढ़ गया है। जनता उम्मीद कर रही है कि इस मामले में न केवल तत्काल जांच शुरू होगी, बल्कि दोषी अधिकारियों को भी कड़ी सजा मिलेगी। पहला कदम यह होगा कि वीडियो की प्रामाणिकता की जांच की जाए और फिर जिन मामलों में वित्तीय अनियमितता हुई है, उनकी दोबारा जांच कराई जाए। इसमें न सिर्फ जिला पंचायत के बाबुओं को बल्कि उन वरिष्ठ अधिकारियों को भी जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए जिनकी निगरानी में यह सब हुआ। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या प्रशासन इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई करता है या यह भी सिर्फ एक और वीडियो बनकर रह जाएगा।

Related Topics

Latest News