लड़कियां असुरक्षित! संजय गांधी अस्पताल के भीतर डॉक्टर की 'गंदी हरकत', क्या ये ही है 'मेडिकल हब'? डॉक्टर अशरफ पर गंभीर आरोप, ड्यूटी बंद

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) संजय गांधी अस्पताल के एक चिकित्सक, डॉ. अशरफ, एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। इस बार उन पर शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय की छात्राओं के साथ अनुपयुक्त एवं अपमानजनक व्यवहार करने का आरोप लगा है। बीएससी नर्सिंग द्वितीय वर्ष की छात्राओं ने डॉ. अशरफ के खिलाफ कॉलेज प्राचार्य को लिखित शिकायत दी है, जिसके बाद हड़कंप मच गया है।
छात्राओं ने शिकायत में खुद को डॉ. अशरफ के व्यवहार से असुरक्षित और मानसिक रूप से प्रताड़ित महसूस करने की बात कही है। उनकी शिकायत की गंभीरता को देखते हुए, नर्सिंग कॉलेज प्राचार्य ने तत्काल कदम उठाते हुए ईएनटी वार्ड और ईएनटी ओटी से द्वितीय और तृतीय वर्ष की छात्राओं की ड्यूटी हटा दी है, ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
प्राचार्य ने डीन को लिखा पत्र, जांच कमेटी गठित
नर्सिंग कॉलेज प्राचार्य ने इस गंभीर मामले की जानकारी श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. सुनील अग्रवाल को पत्र लिखकर दी। डीन ने भी मामले की गंभीरता को समझते हुए तत्काल तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन कर दिया है। यह टीम महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम 2013 के तहत गठित आंतरिक परिवाद समिति की देखरेख में जांच करेगी।
जांच टीम की पीठासीन अधिकारी नेत्र रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. शशि जैन हैं। उनकी टीम में डॉ. नीरा मराठे (पीएसएम), श्रीमती रीना पटेल (स्टाफ नर्स) और अशासकीय सदस्य के रूप में कमलेश सचदेवा (खुशी फाउंडेशन) शामिल हैं। यह टीम एक सप्ताह के भीतर अपनी जांच पूरी कर डीन को प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगी।
छात्राओं के गंभीर आरोप
बीएससी नर्सिंग की लगभग 80 छात्राओं ने डॉ. अशरफ के खिलाफ लिखित शिकायत में कई गंभीर आरोप लगाए हैं। छात्राओं का कहना है कि डॉ. अशरफ का व्यवहार कई बार उन्हें मानसिक रूप से असहज, असुरक्षित और अपमानित करने वाला रहा है। उन्होंने शिकायत में यह भी उल्लेख किया है कि डॉ. अशरफ के व्यवहार के कारण उनका क्लीनिकल लर्निंग वातावरण भी प्रभावित हो रहा है।
इस घटना ने संजय गांधी अस्पताल और नर्सिंग कॉलेज में हड़कंप मचा दिया है। डॉ. अशरफ की मुश्किलें अब बढ़ने वाली हैं, क्योंकि जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है। यह मामला अस्पताल परिसर में छात्राओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है।