हाईकोर्ट की सख्ती: रीवा में सीमांकन विवाद पर तीखा रुख, SDM को लगाई फटकार – 'अधिकारियों की मनमानी चरम पर'

ऋतुराज द्विवेदी रीवा। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने रीवा जिले की प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए एक सीमांकन विवाद में त्योंथर SDM संजय जैन को कड़ी फटकार लगाई है। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की बेंच ने नाराजगी जताते हुए यहां तक कह दिया कि –
"रीवा में सभी अधिकारी मस्त हैं और जिम्मेदारियों से मुक्त हो गए हैं।"
यह तीखी टिप्पणी ग्राम मझिगवां के एक ज़मीन विवाद की सुनवाई के दौरान सामने आई, जहां कुशवाहा परिवार लंबे समय से सीमांकन की मांग कर रहा था, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते काम लटकता रहा।
कोर्ट में क्या हुआ?
अदालत में पेश होकर SDM ने यह सफाई दी कि 26 मार्च को निर्धारित सीमांकन कार्यक्रम एक राजस्व निरीक्षक (RI) के एक्सीडेंट के कारण नहीं हो सका। इस पर न्यायालय ने सख्त लहजा अपनाते हुए पूछा:
"यदि एक कर्मचारी अनुपलब्ध था, तो वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की गई?"
कोर्ट को यह भी बताया गया कि नोटिस केवल व्हाट्सएप के माध्यम से भेजा गया था, कोई भौतिक सूचना या दस्तावेज नहीं दिया गया। इस गैर-प्रक्रियात्मक व्यवहार पर कोर्ट ने कड़ा एतराज जताया और SDM को निर्देश दिया कि वे नोटिस की पावती फैक्स के माध्यम से कोर्ट में दोपहर 2:30 बजे तक प्रस्तुत करें।
स्थानीय नेता बोले – 'राजस्व व्यवस्था पंगु'
कांग्रेस नेता और जनपद त्योंथर के पूर्व उपाध्यक्ष सौरभ मिश्रा ने मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा:
"त्योंथर तहसील में सैकड़ों सीमांकन के मामले सालों से अटके हैं। किसान रोज़ तहसील के चक्कर काटते हैं लेकिन प्रशासन सोया हुआ है।"
उन्होंने आरोप लगाया कि स्टे ऑर्डर दिन में जारी होता है और रात में वापस ले लिया जाता है, जिससे न्याय की प्रक्रिया मज़ाक बनकर रह गई है।