रीवा शिक्षा विभाग में 'ईमानदार' को मिली सजा: जेडी नीरव दीक्षित का 15 दिन में ट्रांसफर, भ्रष्टाचार के संरक्षक खुश!

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा का स्कूल शिक्षा विभाग एक बार फिर अपने दागदार कारनामों के कारण सुर्खियों में है। संयुक्त संचालक लोक शिक्षण के पद पर नियुक्त नीरव दीक्षित को भ्रष्टाचार पर लगाम कसने की कीमत सिर्फ 15 दिनों में अपनी कुर्सी गंवाकर चुकानी पड़ी है। दीक्षित का 7 महीने में यह तीसरा तबादला है, जो विभाग में व्याप्त गहरी जड़ों वाले भ्रष्टाचार की ओर स्पष्ट इशारा करता है। उनके इस आनन-फानन में हुए स्थानांतरण से जहाँ ईमानदार अधिकारी निराश हैं, वहीं भ्रष्ट तत्वों में जश्न का माहौल है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोलना पड़ा भारी
बताया जा रहा है कि नीरव दीक्षित ने संयुक्त संचालक का पद संभालते ही विभाग में चल रहे कई बड़े घोटालों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया था:
- मनमानी पदस्थापनाओं पर रोक: उन्होंने अधिकारियों और कर्मचारियों की मनमानी पदस्थापनाओं पर तुरंत रोक लगा दी, जिससे कई प्रभावशाली लोग नाराज हो गए।
- आनंदम बजट घोटाला उजागर: भोपाल से आए 36 लाख रुपये के आनंदम बजट में बड़े पैमाने पर हेरफेर की तैयारी थी। आरोप है कि ट्रेनिंग के नाम पर कागजों में ही काम दिखाकर 15 से 20 लाख रुपये का गबन करने की योजना थी। इसमें कम दरें भरने वाले ठेकेदारों को दरकिनार कर अधिक दरों वाले को ठेका दिया गया था, और सारा काम मौखिक तौर पर हुआ था। नीरव दीक्षित ने इन सभी बिलों को रोक दिया, जिससे रीवा से लेकर भोपाल तक के कई अधिकारियों का हिस्सा प्रभावित हो रहा था।
- अनुकंपा नियुक्ति फर्जीवाड़े की जांच: दीक्षित ने डीईओ कार्यालय में हुए अनुकंपा नियुक्ति फर्जीवाड़े की तत्काल जांच बैठा दी। तीन सदस्यीय टीम की रिपोर्ट में जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) सहित कई बड़े अधिकारियों की गर्दन फंसती नजर आ रही थी। यह जांच रिपोर्ट कमिश्नर को सौंपे जाने के बाद से ही उनके स्थानांतरण की अटकलें तेज हो गई थीं।
नियमों को ताक पर रखकर किया गया तबादला
नीरव दीक्षित के स्थानांतरण में शासन ने सामान्य प्रशासन विभाग की 29 अप्रैल 2025 की स्थानांतरण नीति का खुलेआम उल्लंघन किया है। नीति की कंडिका 7, 8 और 17 के अनुसार:
- 1 अप्रैल 2024 से 30 अप्रैल 2025 के बीच किए गए स्थानांतरण दोबारा नहीं किए जाएंगे।
- प्रथम श्रेणी के अधिकारियों को तीन साल से पहले स्थानांतरित नहीं किया जाएगा।
- किसी कार्यालय से 20 प्रतिशत से अधिक स्थानांतरण नहीं होंगे।
इन स्पष्ट नियमों के बावजूद, नीरव दीक्षित को 15 दिन में ही हटाकर उप संचालक लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल भेज दिया गया। स्कूल शिक्षा विभाग में 50 प्रतिशत से अधिक स्थानांतरण किए गए हैं, जो नीति का बड़ा उल्लंघन है।
शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल: कौन है जिम्मेदार?
यह घटना रीवा के स्कूल शिक्षा विभाग की बदहाली और इसमें व्याप्त भ्रष्टाचार की भयावह तस्वीर पेश करती है। सवाल उठता है कि क्या ईमानदारी से काम करने वाले अधिकारियों को इसी तरह दंडित किया जाएगा? जब शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग में ही उच्चाधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जा रहे हों, तो छात्रों के भविष्य और शिक्षा की गुणवत्ता का क्या होगा? यह स्थानांतरण एक संदेश है कि यदि आप गलत के खिलाफ आवाज उठाएंगे, तो कुर्सी पर नहीं टिक पाएंगे। यह स्थिति उन लाखों छात्रों के भविष्य को खतरे में डाल रही है, जो एक अच्छी और पारदर्शी शिक्षा प्रणाली पर निर्भर हैं। अब देखना यह है कि क्या इस मामले में बड़े अधिकारियों की जवाबदेही तय हो पाती है या भ्रष्टाचार का यह खेल यूं ही जारी रहेगा।