रीवा के संजय गांधी अस्पताल में 'गुंडागर्दी' का नंगा नाच! रोज पिटते हैं लोग, क्यों सोया है पूरा सिस्टम?

 
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ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) शहर का संजय गांधी अस्पताल, जो इलाज के लिए जाना जाता है, अब गुंडागर्दी और अराजकता का अड्डा बनता जा रहा है। शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात यहां जो हुआ, उसने फिर साबित कर दिया कि मरीजों के परिजन और कर्मचारी हर दिन जान जोखिम में डालकर यहां आते हैं। एक मरीज के अटेंडर और उसके साथियों ने मिलकर एक आउटसोर्स वार्ड बॉय को बेल्ट और घूंसों से बेरहमी से पीटा, जिसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल रहा है। सवाल ये नहीं कि मारपीट क्यों हुई, सवाल ये है कि ये सब रोज़ क्यों होता है और पूरा का पूरा सिस्टम आखिर क्यों सोया हुआ है?

अस्पताल के भीतर शुरू हुआ, बाहर बना अखाड़ा: सिस्टम की पोल खोलता वीडियो

मिली जानकारी के मुताबिक, इस झड़प की शुरुआत अस्पताल के अंदर हुई थी, जहाँ एक वार्ड बॉय ने कथित तौर पर मरीज के अटेंडर के साथ मारपीट की। इसका बदला लेने के लिए अटेंडर और उसके आठ साथी गेट नंबर 2 के पास घात लगाकर बैठे थे। जैसे ही वार्ड बॉय बाहर निकला, उसे घेर लिया गया और बेल्ट व घूंसों से तब तक पीटा गया जब तक वह जमीन पर गिर नहीं गया। वीडियो में साफ दिख रहा है कि युवक कैसे जान बचाकर भाग रहा है।

यह घटना दर्शाती है कि अस्पताल के अंदर और बाहर दोनों जगह सुरक्षा व्यवस्था चरमरा गई है। आखिर ऐसा क्यों है कि मरीज और उनके परिजन सुरक्षित महसूस नहीं करते और कर्मचारियों को भी गुंडागर्दी का शिकार होना पड़ता है?

पुलिस की 'स्वयं संज्ञान' वाली रस्म अदायगी: क्या सिर्फ वीडियो वायरल होने का इंतजार?

इस मामले में अमहिया पुलिस ने वीडियो वायरल होने के बाद 'स्वतः संज्ञान' लेने की बात कही है। थाना प्रभारी शिवा अग्रवाल ने बताया कि कोई औपचारिक शिकायत नहीं मिली है, लेकिन जांच शुरू कर दी गई है।

लेकिन, यहाँ कुछ बड़े सवाल उठते हैं:

  • क्या पुलिस सिर्फ वीडियो वायरल होने का इंतजार करती है? क्या अस्पताल परिसर में होने वाली ऐसी घटनाओं पर नजर रखने का उनका कोई तंत्र नहीं है?

  • संजय गांधी अस्पताल के आउटसोर्स कर्मचारियों पर मारपीट के आरोप नए नहीं हैं। पहले भी कई बार ऐसी घटनाएं हुई हैं, लेकिन शायद ही कभी कोई ठोस कार्रवाई हुई हो। क्या ये कार्रवाई न होने के कारण ही ये कर्मचारी और गुंडे बेखौफ हो चुके हैं?

  • क्या अस्पताल प्रशासन और पुलिस के बीच कोई तालमेल नहीं है जो इस तरह की घटनाओं को रोक सके? या फिर मिलीभगत के कारण ये सब धड़ल्ले से चल रहा है?

कब जागेगा प्रशासन? मरीज और कर्मचारी मांग रहे सुरक्षा!

रीवा का संजय गांधी अस्पताल विंध्य क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल है, जहाँ दूर-दूर से लोग इलाज के लिए आते हैं। लेकिन जब यहाँ ही सुरक्षा की गारंटी नहीं तो आम आदमी कहाँ जाए? यह समय है जब जिला प्रशासन, पुलिस अधीक्षक (SP) और मध्य प्रदेश सरकार को इस गंभीर स्थिति का संज्ञान लेना चाहिए।

अब सिर्फ जांच और बयानों से काम नहीं चलेगा, ठोस कार्रवाई की जरूरत है:

  • गुंडागर्दी करने वालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई हो।

  • अस्पताल परिसर में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाए।

  • आउटसोर्स कर्मचारियों के आचरण की नियमित जांच हो और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो।

  • पुलिस को अस्पताल परिसर के आसपास अपनी गश्त बढ़ानी चाहिए और ऐसे तत्वों पर कड़ी नजर रखनी चाहिए।

रीवा के लोग चाहते हैं कि संजय गांधी अस्पताल फिर से स्वास्थ्य का केंद्र बने, न कि गुंडागर्दी का अखाड़ा। क्या प्रशासन इस चुनौती को स्वीकार करेगा और एक्शन लेगा, या हमेशा की तरह 'सिस्टम' सोया ही रहेगा?

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