रीवा में गूंजी 'जय श्री गणेश': अनंत चतुर्दशी पर हुआ गणपति विसर्जन, सुरक्षा के लिए पुलिस का कड़ा पहरा!

 
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ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा में अनंत चतुर्दशी के पावन पर्व पर शहर के प्रमुख घाटों, जैसे करहिया और छतुरिया घाट, पर भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव का आज धूमधाम से समापन हुआ। सुबह से ही शहर के विभिन्न पंडालों और घरों से भगवान गणेश की प्रतिमाओं को विसर्जन के लिए विसर्जन स्थलों तक ले जाया जाने लगा। 'गणपति बप्पा मोरया, अगले वर्ष जल्दी आना' के जयकारों से पूरा वातावरण गूंज उठा। भक्तों ने पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ अपने प्रिय गणपति को अंतिम विदाई दी।

भक्तों ने प्रतिमाओं को विसर्जन स्थल तक ढोल-नगाड़ों और भक्ति गीतों के साथ नाचते-गाते हुए पहुंचाया। प्रशासन द्वारा तय किए गए सुरक्षित विसर्जन स्थलों पर पहुँचकर, भक्तों ने एक बार फिर पूरी श्रद्धा के साथ गणेश जी की पूजा-अर्चना की। उन्हें फूल, दुर्वा, अक्षत, रोली-कुमकुम अर्पित किए गए और फिर सभी ने मिलकर गणपति बप्पा को जल में प्रवाहित किया।

सुरक्षा और स्वच्छता: प्रशासन की तैयारी, भक्तों का सहयोग
इस वर्ष, जिला प्रशासन ने गणेश विसर्जन के लिए विशेष इंतजाम किए थे। प्रभारी कलेक्टर सौरभ सोनवड़े ने एक दिन पहले ही नागरिकों से अपील की थी कि वे केवल निर्धारित सुरक्षित स्थलों पर ही प्रतिमाओं का विसर्जन करें। नदियों में होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए करहिया और छतुरिया घाटों पर पुलिस बल और सुरक्षा अधिकारियों की तैनाती की गई थी।

नदियों को प्रदूषण से बचाने और भक्तों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, प्रशासन ने घाटों पर कृत्रिम कुंड बनाए थे। इन कुंडों में ही गणेश प्रतिमाओं का सुरक्षित विसर्जन किया गया। इस पहल ने न सिर्फ पर्यावरण की रक्षा की, बल्कि नदी के तेज बहाव से होने वाली किसी भी दुर्घटना को भी रोका। भक्तों ने भी प्रशासन के इस प्रयास में पूरा सहयोग किया और कृत्रिम कुंडों में ही अपनी श्रद्धा अर्पित की।

अनंत चतुर्दशी का महत्व: 'अनंत सूत्र' और शुभ योग
अनंत चतुर्दशी का यह पर्व सिर्फ गणेश विसर्जन का दिन नहीं है, बल्कि इसका अपना एक विशेष धार्मिक महत्व भी है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व, भगवान विष्णु के 'अनंत' स्वरूप को समर्पित है। इस दिन भक्त अपने सीधे हाथ में 14 गांठों वाला 'अनंत सूत्र' धारण करते हैं, जिसे सुख, समृद्धि और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है।

इस साल, अनंत चतुर्दशी का यह दिन रवि योग और सुकर्मा योग के शुभ संयोग में मनाया गया। पंडित अखंडानंद उपाध्याय ने बताया कि रवि योग सुबह 6:02 बजे से रात 10:55 बजे तक और सुकर्मा योग दोपहर 11:52 बजे के बाद से था। इन शुभ योगों में की गई पूजा-अर्चना का विशेष फल मिलता है।

पारंपरिक विसर्जन का आधुनिक रूप: कृत्रिम कुंडों का उपयोग क्यों?
गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन सदियों से एक पारंपरिक अनुष्ठान रहा है, लेकिन आज के समय में इसे पर्यावरण के अनुकूल बनाना एक बड़ी चुनौती है। अक्सर प्लास्टर ऑफ पेरिस (PoP) और रासायनिक रंगों से बनी मूर्तियाँ नदियों और जल स्रोतों को प्रदूषित करती हैं, जिससे जलीय जीवों और मानव स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।

कृत्रिम कुंडों का निर्माण इसी समस्या का समाधान है। ये कुंड मूर्ति विसर्जन के लिए एक सुरक्षित और नियंत्रित वातावरण प्रदान करते हैं। इससे नदियाँ स्वच्छ रहती हैं, और विसर्जित प्रतिमाओं को बाद में सुरक्षित तरीके से एकत्र करके निस्तारण किया जा सकता है। यह कदम धार्मिक आस्था और पर्यावरण संरक्षण के बीच एक सुंदर संतुलन बनाता है।

पंडितों का मार्गदर्शन: शुद्ध भाव से गणपति विसर्जन का महत्व
धर्मगुरुओं और पंडितों ने विसर्जन से पहले भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि गणपति का विसर्जन केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं है, बल्कि यह अपने आराध्य देव के प्रति हमारी श्रद्धा का प्रकटीकरण है। पंडित अखंडानंद उपाध्याय ने भक्तों से अपील की कि वे मूर्ति का विसर्जन पूरी श्रद्धा और शुद्ध भाव से करें। उन्होंने कहा कि "गणपति बप्पा की मूर्ति का विसर्जन हमेशा स्वच्छ स्थान पर ही करना चाहिए।" भक्तों ने इस सलाह का पालन किया और पूरी भक्ति के साथ गणपति बप्पा को विदा किया।

पूजन विधि और विसर्जन के दौरान के मंत्र
विसर्जन से पहले, भक्तों ने घर पर ही भगवान गणेश की अंतिम पूजा की। इस दौरान उन्हें फिर से नए वस्त्र, फूल, मोदक, और दूर्वा अर्पित किए गए। विसर्जन के समय गणेश जी की आरती की गई और "जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा" जैसे भजन गाए गए। विसर्जन के दौरान यह मंत्र बोला जाता है: "गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठ, स्वस्थाने परमेश्वर। मम पूजा गृहीत्मेमां, पुनरागमनाय च।" इसका अर्थ है कि "हे देव! अब आप अपने स्थान को वापस जाइए और हमारी पूजा स्वीकार कीजिए। अगले वर्ष फिर से जल्दी आइएगा।"

रीवा के भक्तों में दिखा उत्साह और भक्ति का अनुपम संगम
इस वर्ष का गणेशोत्सव रीवा में भक्ति और उत्साह का अनुपम संगम रहा। भक्तों ने 10 दिनों तक भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की और आज उनके विसर्जन के साथ यह पर्व संपन्न हुआ। सुरक्षा और पर्यावरण के प्रति प्रशासन और भक्तों के सहयोग ने इस विसर्जन को एक सफल और प्रेरणादायक आयोजन बना दिया।

देखिए रीवा के घाटों में गणपति विसर्जन

पुलिस के जवान मौके पर मौजूद नजर आए।

पुलिस के जवान मौके पर मौजूद नजर आए।

लोग गणपति के साथ तस्वीरें लेते कैमरे में कैद हुए।

लोग गणपति के साथ तस्वीरें लेते कैमरे में कैद हुए।

लोगों के बैठने के लिए पांडाल भी लगाए गए।

लोगों के बैठने के लिए पांडाल भी लगाए गए।

लोगों ने भावुकता के साथ गणपति विसर्जन किया।

लोगों ने भावुकता के साथ गणपति विसर्जन किया।

सुरक्षा के लिहाज से ज्यादा गहराई के जाने की अनुमति नहीं

सुरक्षा के लिहाज से ज्यादा गहराई के जाने की अनुमति नहीं

पुलिस ने खतरे वाली जगहों पर बैरिकेटिंग कर दी।

पुलिस ने खतरे वाली जगहों पर बैरिकेटिंग कर दी।

गोताखोरों की टीम मौके पर मौजूद नजर आई।

गोताखोरों की टीम मौके पर मौजूद नजर आई।

घाट से 100 मीटर की दूरी पर सर्कल बनाकर विसर्जन कराया गया।

घाट से 100 मीटर की दूरी पर सर्कल बनाकर विसर्जन कराया गया।

नगर निगम की टीम भी मौके पर मौजूद रही।

नगर निगम की टीम भी मौके पर मौजूद रही।

लोग गणेश भक्ति में सराबोर नजर आए।

लोग गणेश भक्ति में सराबोर नजर आए।

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