रीवा कलेक्टर की कराई जाए लोकायुक्त जांच : बर्खास्त कर्मचारियों को कैसे दी काम करने की अनुमति, उपस्थित होकर हलफनामा प्रस्तुत करें : हाईकोर्ट

 
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ऋतुराज द्विवेदी,रीवा। दरअसल यह पूरा मामला सिरमौर तहसील से जुड़ा हुआ है। सिरमौर तहसील में खंड लेखक के पद पर सत्येंद्र सिंह और राजेश पांडे की नियुक्ति हुई थी। अधिवक्ता राजेश सिंह ने बताया कि इन दोनों ने तहसील कार्यालय में अंधेर गर्दी मचा दी थी। नकल शाखा में बिना रुपए के काम नहीं करते थे। हर काम के दाम वसूलते थे। उनकी शिकायत तत्कालीन कलेक्टर एम गीता से हुई थी। कलेक्टर ने मामले की जांच के आदेश दिए थे। तत्कालीन सिरमौर एसडीएम से जांच कराई गई और उनसे जांच के बाद प्रतिवेदन कलेक्टर ने मांगा था। तत्कालीन एसडीएम ने जांच करने के बाद शिकायत में सत्यता पाई थी। प्रतिवेदन में दोनों को नौकरी से बर्खास्त करने की सिफारिश कर दी थी।

इस प्रतिवेदन के आधार पर तत्कालीन कलेक्टर ने दोनों कर्मचारियों को वर्ष 2009 में सेवा से बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद दोनों हाई कोर्ट चले गए और स्टे लेकर काम करते रहे। 2015 में इनको मिला स्टे भी खारिज हो गया। इन्होंने रिट याचिका लगाई लेकिन खारिज हो गई। इस आदेश को दोनों कर्मचारियों ने दबाए रखा। जब मामला उजागर हुआ तो सिरमौर तहसील अंतर्गत ग्राम पल्हान निवासी अधिवक्ता राजेश सिंह ने इसकी शिकायत जनवरी 2021 में तत्कालीन कलेक्टर से की। कलेक्टर ने जांच के आदेश भी दिए लेकिन जांच फाइल ही कर्मचारियों ने गायब कर दी। मामला फिर दब गया। इसके बाद अधिवक्ता राजेश सिंह ने 2022 और फिर 2023 में कलेक्टर से शिकायत की।

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कलेक्टर ने मामले को संज्ञान में नहीं लिया तो वह सीधे हाई कोर्ट पहुंच गए। हाई कोर्ट के जज विवेक अग्रवाल ने इस मामले में रीवा कलेक्टर पर तल्ख टिप्पणी की है।  हाईकोर्ट में दायर याचिका क्रमांक wp नंबर 8090/ 2024 की सुनवाई करते हुए कहा कि याचिका क्रमांक wp नंबर 3601/2010 निरस्त हो चुका है। रीवा कलेक्टर इसके बाद भी कैसे इन कर्मचारियों को लगातार काम करने की अनुमति दे रखी थी।

उन्होंने आदेश में कहा कि रीवा कलेक्टर स्वयं उपस्थित होकर इस मामले में हलफनामा प्रस्तुत करें और की कैसे वह सेवा में बर्खास्त होने के बाद भी काम करते रहे और जज ने यह भी कहा कि इस मैटर को लोकायुक्त के पास क्यों ना भेजा जाए कि रीवा कलेक्टर की इस मामले में जांच की जाए। इसका भी हलफनामा प्रस्तुत करें।

इस मामले के बाद से रीवा कलेक्टर की और प्रशासन की जमकर किरकिरी हो रही है। हाल ही में रीवा कलेक्टर ने सिरमौर तहसील पहुंचकर निरीक्षण भी किया था। तब तहसीलदार के रीडर बने राजेश पांडे बैठे हुए थे और पकड़े भी गए थे। तब भी रीवा कलेक्टर ने इन्हें गड़बड़ी करते हुए पकड़ा था। इसके बाद भी इनके खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई थी। अब इसी लापरवाही का नतीजा कलेक्टर रीवा को भुगतना पड़ेगा।

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