रीवा PWD में 231% तक का 'महाघोटाला': ठेकेदारों से साठगांठ कर 'डिप्टी सीएम' के नाम पर लूटा सरकारी खजाना! EOW में शिकायत दर्ज, भूचाल तय!

 
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मध्य प्रदेश के रीवा में PWD अफसरों और ठेकेदारों की साठगांठ से करोड़ों का खेल। पहले बिलो टेंडर, फिर रिवाइज कर 231% तक बढ़ाई राशि, EOW में शिकायत।

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मध्य प्रदेश में लोक निर्माण विभाग (PWD) का भ्रष्टाचार एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। भोपाल का 90 डिग्री ओवरब्रिज सुर्खियों में रहने के बाद अब रीवा का PWD ईएंडएम (विद्युत एवं यांत्रिकी) विभाग सवालों के घेरे में आ गया है। इस विभाग पर ठेकेदारों से साठगांठ कर करोड़ों रुपए का घोटाला करने का आरोप लगा है, जिससे सरकार को बड़ी आर्थिक चपत लगी है। इन कारनामों को देखकर कोई भी हैरान रह जाएगा।

बिलो टेंडर का खेल, फिर रिवाइज एस्टीमेट से 'घाटे की भरपाई'
मामले का खुलासा अधिवक्ता बीके माला ने किया है, जिन्होंने इसकी शिकायत आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ (EOW) के पुलिस अधीक्षक से की है। शिकायत में बताया गया है कि PWD विद्युत यांत्रिकी विभाग के प्रभारी कार्यपालन यंत्री विनय कुमार श्रीवास्तव के कार्यकाल के दौरान ही यह सारा भ्रष्टाचार किया गया है।

आरोप है कि विभाग ने रीवा में करोड़ों की सड़क और ओवरब्रिज निर्माण के साथ-साथ बिजली शिफ्टिंग और अन्य कार्यों के लिए चहेते ठेकेदारों को पहले 42% तक बिलो टेंडर दिए। यानी, ठेकेदारों ने निर्धारित अनुमानित लागत से काफी कम राशि पर काम लेने का अनुबंध किया। लेकिन, इस 'घाटे' की भरपाई बाद में रिवाइज्ड एस्टीमेट (संशोधित अनुमान) के माध्यम से की गई, और देखते ही देखते टेंडर की राशि पहले की निर्धारित राशि से कई गुना अधिक पहुंचा दी गई। यह सीधा-साधा फर्जीवाड़ा है, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है।

डिप्टी सीएम के नाम का भी लिया गया सहारा
शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि इन सारे फर्जीवाड़े के लिए कई जगह उपमुख्यमंत्री (डिप्टी सीएम) के नाम का भी सहारा लिया गया। यह एक गंभीर आरोप है जो इस भ्रष्टाचार की गहराई को दर्शाता है। बीके माला ने EOW से इस पूरे मामले की गहन जांच कर दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की है।

नियमों की अनदेखी और मनमाना भुगतान
अधिवक्ता बीके माला ने अपनी शिकायत में नियमों का भी हवाला दिया है। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश शासन लोक निर्माण विभाग, भोपाल ने 29 जुलाई 2019 को ही स्पष्ट निर्देश दिए थे कि प्रशासकीय स्वीकृति में प्रावधानित राशि से किसी भी स्थिति में अधिक व्यय न किया जाए। इसके बावजूद, रीवा PWD ईएंडएम विभाग ने इन निर्देशों का उल्लंघन किया।

रीवा परिक्षेत्र के मुख्य अभियंता ने भी 7 अगस्त 2020 को इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा था कि बिना पूर्व अनुमति और तकनीकी आधार के किन परिस्थितियों में कार्य कराया गया है। लेकिन, इन स्पष्टीकरणों और निर्देशों को दरकिनार करते हुए मनमाना काम और भुगतान जारी रहा।

'नेशनल ट्रेडर्स' और 'गुप्ता पेट्रोल पंप' मामले में बड़ा खेल

शिकायत में कुछ विशिष्ट उदाहरण भी दिए गए हैं:

समान तिराहा से रेलवे तिराहा ओवरब्रिज तक: नेशनल ट्रेडर्स को 3 करोड़ 7 लाख 45 हजार 863 रुपए का टेंडर 42% बिलो (1 करोड़ 78 लाख 29 हजार 526 रुपए) में दिया गया था। बाद में, इस ठेके की राशि को 31.8% तक बढ़ाया गया, और फिर तीसरी बार 10% और बढ़ाकर इसकी लागत 4 करोड़ 97 लाख 75 हजार 290 रुपए तक पहुंचा दी गई। इस रिवाइज्ड प्राक्कलन में भी डिप्टी सीएम के नाम का सहारा लेने का आरोप है।

गुप्ता पेट्रोल पंप से चिन्मय आश्रम तक: नेशनल ट्रेडर्स को ही 23 लाख 515 रुपए का टेंडर 41.55% बिलो में दिया गया। चौंकाने वाली बात यह है कि इस टेंडर की राशि को रिवाइज करके 231.9% अधिक कर दिया गया, और इसी के हिसाब से भुगतान भी किया गया। 

समान तिराहा से फ्लाई ओवरब्रिज ज्योति स्कूल मोड़ तक: रतन सिंह को भी यह काम 31% बिलो में दिया गया था, जिसमें इसी तरह के खेल की आशंका जताई जा रही है।

ये आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि किस तरह ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों को ताक पर रखकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया है। अब EOW की जांच ही इस बड़े भ्रष्टाचार का पूरा सच सामने लाएगी।

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