REWA ने 51 हजार भक्तों का महाभोग बनाकर एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज किया अपना नाम

 
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REWA NEWS : महाशिवरात्रि (Mahashivaratri) के पर्व पर आयोजक समिति ने बड़े पैमाने पर खिचड़ी बनाकर एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में अपना नाम दर्ज कराया है। भंडारे में 1100 किलो के कड़ाहा में 5100 किलोग्राम खिचड़ी बनाई गई। करीब 51 हजार श्रद्धालु महाप्रसाद ग्रहण कर रहे हैं।

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इंदौर से एशिया वर्ल्ड रिकार्ड की टीम भी शनिवार को रीवा पहुंची थी जिनके सामने यह महाप्रसाद बनाया गया।

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क्या है मान्यता

ऐसी मान्यता है कि आदिगुरु शंकराचार्य ने भारत की चार दिशाओं में चार मठ की स्थापना के बाद पांचवें मठ की स्थापना की थी। इसी वजह से इसे पचमठा आश्रम के रूप में जाना जाता है। 1954-55 में स्वामी ऋषि कुमार महाराज ने संस्कृत विद्यायल की स्थापना की। इस विद्यालय की स्थापना के बाद से इस आश्रम का महत्व और बढ़ता गया।

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इस बार आयोजन समित ने विशाल भंडारे का आयोजन किया था। रीवा में भक्तों के लिए एक ही कड़ाहे में 51 सौ किलो खिचड़ी का महाप्रसाद बनाकर रिकार्ड बनाया गया। इसके लिए एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड की टीम को रीवा बुलाया गया था। इसके बाद उनकी टीम के सामने यह महाप्रसाद बनाया गया।

जन कल्याण समिति के सचिव प्रतीक मिश्रा ने बताया

शिव बारात आयोजन एवं जन कल्याण समिति के सचिव प्रतीक मिश्रा ने बताया कि महाशिवरात्रि पर खिचड़ी का वर्ल्ड रिकॉर्ड बना है। मंदिर परिसर में डोम पंडाल लगाया गया था। 1100 किलो ग्राम वाले कड़ाहे के अंदर 5100 किलो ग्राम खिचड़ी बनाई गई। जिसमें 4000 लीटर पानी, 600 किलो चावल, 300 किलो दाल, 100 किलो देशी घी और 100 किलोग्राम हरी सब्जियां डाली गईं।

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ऐसे बनाया रिकॉर्ड
शिव बारात आयोजन समिति के द्वारा इस महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान भोलेनाथ के लिए महाप्रसाद बनाने की तैयारी की गई थी। इसके लिए 1100 किलो की लोहे से निर्मित एक कढ़ाई तैयार की गई थी। कढ़ाई में 5100 किलो का महाभोग तैयार किया गया। 11 सौ किलो की इस कड़ाहे में 51 सौ किलो की खिचड़ी पकाई गई। इसमें 100 किलो देशी घी, 4000 लीटर पानी, 600 किलो चावल, 300 किलो दाल, 100 किलो हरी सब्जियां डाली गईं। इसे बनाने के लिए 14-14 फीट के तीन करछुलों का इस्तेमाल किया गया। 21 शिव भक्तों ने मिलकर इस महाप्रसाद को बनाया।

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आयोजन समित को सार्टिफिकेट

इतनी बड़ी संख्या में बना महाप्रसाद एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड के पन्नों में दर्ज हो गया। टीम ने आयोजन समित को सार्टिफिकेट भी दिया। 1100 किलोग्राम के कड़ाहे को उत्तर प्रदेश के कानपुर और आगरा के कारीगरों ने 15 दिन में बनाया। इसे बनाने में 51 कारीगरों को लगाया गया था। कड़ाहे को हाइड्रोलिक मशीन से उठाकर ट्रक में लादकर कानुपर से रीवा के पचमठा आश्रम पहुंचाया गया था। कड़ाहे की ऊंचाई 5.50 फीट और चौड़ाई 11 फीट है। इस कड़ाहे को रखने के लिए विशाल भट्टी बनाई गई थी।

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