रीवा में 'शराब की लूट : मोहन सरकार के सुशासन के दावे फेल? मनगवां में ठेकेदार लाला राल्ही का 'तांडव', आबकारी विभाग की भूमिका पर उठे सवाल!

 
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रीवा के मनगवां में शराब ठेकेदार लाला राल्ही पर प्रिंट रेट से अधिक पर शराब बेचने का आरोप, जिला प्रशासन मौन। 

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा जिले का मनगवां, जो कि प्रदेश के उपमुख्यमंत्री का गृह जिला है, इन दिनों शराब माफिया और आबकारी विभाग की कथित मिलीभगत के चलते सुर्खियों में है। यहां मनगवां क्रमांक 2 में शराब की दुकानों पर खुलेआम प्रिंट रेट से अधिक कीमत पर शराब बेची जा रही है, जिससे आम जनता की जेब पर सीधा डाका डाला जा रहा है। ऐसा लगता है कि शराब का कारोबार करने वाले शोम ग्रुप को न तो कानून का भय है और न ही शासन-प्रशासन का। जिला प्रशासन इस गंभीर अनियमितता पर मूकदर्शक बना हुआ है, जबकि यह सीधे तौर पर जनता के आर्थिक हितों पर कुठाराघात है।

2. प्रिंट रेट से कई गुना महंगे बिक रहे उत्पाद: क्या है यह खुली लूट?

मनगवां में शराब की दुकानों पर खुली लूट कैसे चल रही है? यह सवाल हर उस नागरिक के मन में है जो मनगवां या उसके आसपास शराब खरीदने जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, शराब ठेकेदार लाला राल्ही ने मनमानी का एक नया नियम बना दिया है। जो शराब नियमानुसार प्रिंट रेट पर बिकनी चाहिए, उसे कई गुना अधिक दामों पर बेचा जा रहा है:

  • 170 रुपये की बीयर 250 रुपये में बेची जा रही है।

  • 80 रुपये की जीनियस (शराब) 150 रुपये में बेची जा रही है।

  • 70 रुपये की मसाला (शराब) 130 रुपये में बेची जा रही है।

यह सिर्फ कुछ उदाहरण हैं, असल में लगभग सभी उत्पादों पर इसी तरह की लूट मची हुई है। यह स्थिति न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि मदिरा प्रेमियों की जेब में सीधे डकैती डालने जैसा है।

2.1. ग्राहकों के विरोध पर धमकी और मारपीट: क्या प्रशासन सो रहा है?

जब ग्राहक इन अत्यधिक कीमतों का विरोध करते हैं, तो उन्हें न केवल उनकी बात अनसुनी कर दी जाती है, बल्कि ठेकेदार के गुर्गे उन्हें धमकी देते हैं और कई बार मारपीट भी करते हैं। यह स्थिति सीधे तौर पर कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाती है। रीवा में शराब की दुकानों पर लूट कैसे रोके? यह अब एक बड़ा प्रश्नचिन्ह बन गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि शराब कारोबारियों को किसी का डर नहीं है, और वे अपनी मनमानी चलाने में पूरी तरह स्वतंत्र हैं।

3. आबकारी विभाग की मिलीभगत और प्रशासन की उदासीनता: कौन है जिम्मेदार?

आबकारी विभाग क्या कर रहा है मनगवां में? यह सवाल सबसे अहम है। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से आरोप लगाया गया है कि आबकारी विभाग की मिलीभगत से शराब कारोबारी शोम ग्रुप और ठेकेदार लाला राल्ही खुलेआम जनता को लूट रहे हैं। आबकारी विभाग का मुख्य काम शराब की बिक्री को विनियमित करना और यह सुनिश्चित करना है कि नियम-कानूनों का पालन हो। लेकिन मनगवां में जो हो रहा है, वह बताता है कि आबकारी विभाग या तो निष्क्रिय है या फिर इस अवैध कारोबार में सीधे तौर पर शामिल है।

जिला प्रशासन इस पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है? यह भी एक बड़ा प्रश्न है। मोहन सरकार भले ही सुशासन के लाख दावे करे, पर मनगवां में हो रही यह खुली लूट इन दावों को दिखावा प्रतीत करवाती है। जनता की जेब में खुलेआम डकैती डाली जा रही है, लेकिन शासन-प्रशासन नाम की कोई चीज बची नहीं लगती। जिला प्रशासन की उदासीनता और मूकदर्शक बने रहना जनता के विश्वास को कमजोर कर रहा है।

4. पत्रकार को मिली खुली चुनौती: क्या यह पूरे सिस्टम को चुनौती है?

इस पूरे मामले को उजागर करने के लिए जब एक पत्रकार ने शराब की दुकान में शराब बेच रहे सेल्समैन से लूट का कारण पूछा, तो सेल्समैन ने पत्रकार को खुली चुनौती दी कि "जो करना हो कर लो।" यह बयान सिर्फ एक पत्रकार को नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम, कानून और सीधे सरकार को दी गई खुली चुनौती है। यह दिखाता है कि शराब कारोबारी कितने बेखौफ हो चुके हैं और उन्हें किसी का डर नहीं है। लूट और डकैती रोकने का दायित्व सीधे तौर पर सरकार, कानून और प्रशासन का होता है। लेकिन मनगवां क्रमांक 2 में आबकारी विभाग के कथित संरक्षण में सरकार, कानून और प्रशासन को ही खुला चैलेंज दिया जा रहा है।

4.1. नियमानुसार बिक्री और वर्तमान स्थिति: रीवा में शराब के नियम क्या हैं?

नियमानुसार, शराब को उसके प्रिंट रेट पर ही बेचना अनिवार्य है। यह एक स्पष्ट सरकारी प्रावधान है जिसका पालन हर शराब दुकान को करना होता है। लेकिन रीवा जिले के मनगवां में कंपोजिट शराब दुकानों में खुलेआम दुगुने, तिगुने रेट पर शराब बेची जा रही है, जो इस नियम का सीधा उल्लंघन है। आबकारी विभाग की मिलीभगत और प्रशासन की उदासीनता के चलते, मनगवां में शराब की दुकानों में खुलेआम लूट मची हुई है। यह स्थिति न केवल नियमों की अवहेलना है, बल्कि जनता के साथ धोखाधड़ी भी है।

5. जनता की अपेक्षाएं और आगे की राह: मोहन सरकार से उम्मीदें

डिप्टी सीएम के जिले में शराब की मनमानी क्यों है? यह सवाल जनता के मन में गहरे घर कर गया है। जब प्रदेश के एक जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति के गृह जिले में ही ऐसी अनियमितताएं हो रही हों, तो आम जनता का विश्वास डगमगाना स्वाभाविक है। मोहन सरकार से अपेक्षा है कि वह इस मामले में तुरंत संज्ञान ले और दोषी आबकारी अधिकारियों व शराब ठेकेदार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे। जनता को न्याय मिलना चाहिए और शराब की बिक्री में पारदर्शिता सुनिश्चित की जानी चाहिए। केवल कड़े कदम ही इस खुली लूट को रोक सकते हैं और सुशासन के दावों को हकीकत में बदल सकते हैं।

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

  1. मनगवां में शराब प्रिंट रेट से ज्यादा क्यों बेची जा रही है?

    • आबकारी विभाग की कथित मिलीभगत और ठेकेदार लाला राल्ही की मनमानी के कारण शराब प्रिंट रेट से ज्यादा पर बेची जा रही है।

  2. क्या ग्राहकों को विरोध करने पर धमकी मिलती है?

    • हां, रिपोर्ट के अनुसार ग्राहकों को विरोध करने पर ठेकेदार के गुर्गों द्वारा धमकी दी जाती है और मारपीट भी की जाती है।

  3. जिला प्रशासन इस पर क्या कार्रवाई कर रहा है?

    • रिपोर्ट के अनुसार, जिला प्रशासन इस मामले पर मूकदर्शक बना हुआ है और उसने अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।

  4. यह मामला उपमुख्यमंत्री के गृह जिले का है, इसका क्या महत्व है?

    • यह मामला इसलिए गंभीर है क्योंकि यह उपमुख्यमंत्री के गृह जिले से संबंधित है, जो सरकार की कानून-व्यवस्था के दावों पर सवाल उठाता है।

  5. कौन से ठेकेदार का नाम इस लूट में सामने आया है?

    • शराब ठेकेदार लाला राल्ही और शोम ग्रुप का नाम इस खुली लूट में सामने आया है।

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