रीवा से नर्मदापुरम तक बेखौफ अपराधी, लापरवाह पुलिस?' आज जेल, कल बेल, परसों वही खेल': Viral Video! ने उड़ाई कानून व्यवस्था की धज्जियां 

 
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ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मध्य प्रदेश में कानून व्यवस्था और पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। रीवा और नर्मदापुरम जैसे शहरों से पुलिस हिरासत में बंद बदमाशों के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। इन वीडियो में आरोपी खुलेआम मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते, रील बनाते और उन्हें पोस्ट करते नजर आ रहे हैं, वह भी पुलिसकर्मियों की कथित मौजूदगी में। यह प्रवृत्ति न केवल पुलिस की छवि को धूमिल कर रही है, बल्कि अपराधियों के लिए भविष्य की योजनाओं (जैसे फरार होने की योजना) को अंजाम देने का एक खतरनाक जरिया भी बन सकती है। यह घटनाक्रम दर्शाता है कि MP पुलिस वीडियो वायरल क्यों हो रहे हैं और कैसे पुलिस लापरवाही कानून व्यवस्था के लिए खतरा बन रही है।

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रीवा का चौंकाने वाला मामला: हथकड़ी लगाए आरोपी ने बनाया वीडियो
रीवा से सामने आया वीडियो विशेष रूप से हैरान करने वाला है। 13 जुलाई को चोरहटा पुलिस चार आरोपियों – आशीष सिंह, ललिता वती केवट, भोले केवट और एक अन्य महिला आरोपी – को वाहन में ले जा रही थी। वाहन के पिछले हिस्से में हथकड़ी लगाए बैठे आशीष सिंह, ललिता वती केवट और भोले केवट ने एक वीडियो बनाया और उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। यह वीडियो सुबह 8.03 बजे का बताया जा रहा है।

आरोपी का बेखौफ अंदाज: 'तेरी चढ़ती जवानी...' गाने पर बाल संवारते हुए
वीडियो में दो स्थायी वारंटी हथकड़ी पहने हुए स्पष्ट रूप से दिख रहे हैं। सबसे चौंकाने वाला दृश्य तब सामने आया जब एक आरोपी 'तेरी चढ़ती जवानी मेरा पारा गोरी' गाने पर अपने बाल संवारता नजर आया, मानो वह किसी आम यात्रा पर हो, न कि पुलिस हिरासत में। यह अपराधियों के बेखौफ रवैये और कानून के प्रति उनके कम होते डर को दर्शाता है। यह घटना दिखाती है कि कैसे हथकड़ी लगाए आरोपी ने क्या किया जिससे पुलिस की साख पर बट्टा लग गया।

ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी: लापरवाही या मिलीभगत?
इस घटना के समय हेड कॉन्स्टेबल पुष्पराज बागरी, कॉन्स्टेबल अनूप त्रिपाठी, शिवमूर्ति मिश्रा, ऋतुराज साकेत और असिता सिंह ड्यूटी पर तैनात थे। सबसे बड़ा सवाल यह है कि पुलिसकर्मी ड्यूटी पर क्या कर रहे थे जब वीडियो बन रहे थे? पुलिस की मौजूदगी में आरोपियों के पास मोबाइल फोन का होना और वीडियो बनाना सीधे तौर पर पुलिस की लापरवाही या इससे भी गंभीर, मिलीभगत की ओर इशारा करता है। एएसपी आरती सिंह ने बताया है कि मामले की जांच की जा रही है और दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जाएगी।

पूर्व में भी हो चुकी है ऐसी घटना: हत्या के आरोपी की 'रील'
यह रीवा में ऐसी पहली घटना नहीं है। इससे पहले, 22 मई को भी एक हत्या के आरोपी ने मेडिकल चेकअप के दौरान अस्पताल में सेल्फी कैमरे से रील बनाई थी। इन लगातार हो रही घटनाओं से स्थानीय लोगों में गहरा रोष है। वे सवाल उठा रहे हैं कि पुलिस कस्टडी में रहते हुए आरोपियों के पास मोबाइल कैसे रहते हैं? यह गंभीर सुरक्षा चूक है, क्योंकि इस तरह अपराधी फरार होने की योजना भी बना सकते हैं।

नर्मदापुरम की घटना: पुलिस पकड़ने गई, आरोपी ने बनाया Video
नर्मदापुरम जिले के इटारसी से भी इसी तरह का एक वीडियो वायरल हुआ है। यहां एक आदतन अपराधी रोहित राजवंशी (कुचबंदिया) को पुलिस चाकूबाजी के एक मामले में पकड़ने पहुंची थी, लेकिन आरोपी ने पुलिसकर्मियों का ही वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया।

चाकूबाजी के आरोपी का वायरल वीडियो: 'आज जेल, कल बेल, परसों वही पुराना खेल'
रोहित राजवंशी ने अपने वीडियो के साथ लिखा, "आज जेल, कल बेल, परसों वही पुराना खेल।" यह कैप्शन अपराधियों के मन में कानून और पुलिस के प्रति घटते भय को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। यह वीडियो तेजी से वायरल हुआ और विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा तक भी पहुंचा। घटना 23 जुलाई बुधवार दोपहर की है, जब रोहित ने गुरुनानक दाल मिल के पास सड़क पर पानी उछलने पर हुए विवाद में देवीदास उर्फ अनुराग भदौरिया के पेट में चाकू घोंप दिया था। देवीदास घायल है। यह घटना बताती है कि नर्मदापुरम में चाकूबाजी के आरोपी का वीडियो क्यों वायरल हुआ और कैसे अपराधी कानून का उपहास कर रहे हैं।

स्थानीय लोगों की शिकायत और विधायक का हस्तक्षेप
इलाके की रहने वाली महिलाओं ने आरोपी रोहित और उसके परिवार के खिलाफ विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा से शिकायत की है, जिससे पता चलता है कि यह आरोपी आदतन अपराधी है और स्थानीय लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। विधायक का हस्तक्षेप इस मामले की गंभीरता को और बढ़ा देता है।

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पुलिस की कार्रवाई: जमानत का विरोध
टीआई गौरव सिंह बुंदेला ने बताया कि चाकूबाजी के मामले में आरोपी रोहित को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया है। पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया है कि वे रोहित की जमानत का विरोध करेंगे, ताकि वह दोबारा अपराध न कर सके। हालांकि, यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है कि पुलिस की मौजूदगी में आरोपी वीडियो कैसे बना पाया।

कानून व्यवस्था पर सवाल: मोबाइल फोन की पहुंच कैसे?

ये दोनों घटनाएं राज्य की कानून व्यवस्था और पुलिस बल की दक्षता पर गंभीर सवाल उठाती हैं। सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि पुलिस हिरासत में मोबाइल फोन का इस्तेमाल कैसे होता है? क्या यह लापरवाही है, संसाधनों की कमी है, या पुलिसकर्मियों और अपराधियों के बीच मिलीभगत का परिणाम है? यदि आरोपियों को हिरासत में भी मोबाइल फोन की सुविधा मिल रही है, तो यह उनके लिए आसानी से बाहरी दुनिया से संपर्क साधने, जानकारी जुटाने या यहां तक कि आपराधिक गतिविधियों को नियंत्रित करने का रास्ता खोल देता है। इससे अपराधियों की रील बनाना न सिर्फ एक सोशल मीडिया ट्रेंड है, बल्कि एक गंभीर सुरक्षा चूक भी है।

स्थानीय स्तर पर, विशेषकर रीवा में, पुलिस पर यह गंभीर आरोप है कि कुछ पुलिसकर्मी पान-गुटखा या कुछ पैसों के लिए आसानी से मैनेज हो जाते हैं, और आरोपियों को पूरी 'VIP ट्रीटमेंट' देते हैं, यहाँ तक कि उन्हें VIP गाड़ी की सुविधा भी दी जाती है। यह स्थिति तब और भयावह हो जाती है जब यह स्पष्ट नहीं होता कि आखिर गाड़ी में फोन आया कैसे, और क्या पुलिसकर्मी इस बात से अनभिज्ञ थे या जानते हुए भी उन्होंने ऐसा होने दिया।

आगे की राह: क्या होगा पुलिस की जवाबदेही पर?

इन घटनाओं ने पुलिस प्रशासन पर दबाव बढ़ा दिया है। जनता की अपेक्षा है कि केवल जांच के आदेश देने से काम नहीं चलेगा, बल्कि दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त और त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए। ऐसे पुलिसकर्मियों को तत्काल निलंबित कर देना चाहिए जो अपने कर्तव्यों में लापरवाही बरतते हैं या भ्रष्टाचार में संलिप्त पाए जाते हैं।

पुलिस हिरासत में मोबाइल फोन के उपयोग को रोकने के लिए सख्त प्रोटोकॉल लागू किए जाने चाहिए और उनकी निगरानी सुनिश्चित की जानी चाहिए। पुलिस महानिदेशक (DGP), पुलिस महानिरीक्षक (IG) और पुलिस अधीक्षक (SP) जैसे वरिष्ठ अधिकारियों को ऐसे पुलिसकर्मियों के खिलाफ कठोर कदम उठाने चाहिए जो इस तरह की गतिविधियों में लिप्त पाए जाते हैं। उन्हें न केवल विभागीय कार्रवाई करनी चाहिए, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। यदि इन मुद्दों को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो एमपी में कानून व्यवस्था और भी कमजोर होगी और अपराधियों का हौसला बढ़ेगा, जिससे आम जनता की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। यह देखना होगा कि पुलिस अपनी जवाबदेही कैसे तय करती है और इन गंभीर चूक को कैसे दूर करती है।

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