आदिवासी कर्मचारी से 40 लाख का फर्जीवाड़ा : सुदखोर से लिया था 5 हजार का कर्ज,10 साल तक ली आदिवासी की सैलरी

 
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एक सफाईकर्मी उधारी के 5 हजार रुपए लौटा नहीं सका तो सूदखोर ने उसकी पासबुक और चेक बुक छीन ली। उसे मार-पीटकर गांव भगा दिया। फिर उसकी जगह खुद नौकरी करने लगा। आरोपी ने 10 साल में करीब 40 लाख रुपए सैलरी सफाईकर्मी के खाते से उठाई। उसके नाम से कई बैंक अकाउंट खुलवाकर लोन लिया और एक बुलेट भी फाइनेंस करा ली। इसका खुलासा तब हुआ जब किस्त जमा न होने पर फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी, सफाईकर्मी के गांव पहुंचे। मामला मध्यप्रदेश के सतना नगर निगम का है। इसकी शिकायत 52 साल के सफाईकर्मी श्यामबिहारी आदिवासी ने की है। उसने पत्नी का इलाज कराने के लिए सतना निवासी आरोपी मनीष पांडेय (40) से 5 हजार रुपए लिए थे।

असली निगमकर्मी ने वकील के माध्यम से सतना निगमायुक्त, सिटी कोतवाली, एसपी, आईजी, डीआईजी, आयुक्त नगरीय प्रशासन, गृहमंत्री सहित मुख्यमंत्री के पास शिकायत की। हालांकि, तीन महीने बाद भी उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

पत्नी के इलाज के वास्ते लिए थे 5 हजार, इसके बाद से प्रताड़ना का दौर... जानिए पीड़ित आदिवासी की जुबानी...

मेरा नाम श्याम बिहारी आदिवासी है। रजहा गांव, थाना सोहागी, ​जिला रीवा का रहने वाला हूं। 2003 में सतना नगर निगम में सफाई कर्मचारी नियुक्त हुआ था। 21 मई 2003 को सामान्य प्रशासन विकास विभाग मंत्रालय ने बैकलॉग के रिक्त पदों पर विशेष अभियान के तहत 36 आदिवासियों की भर्ती की थी। तब 36 श्रमिकों में मेरी नियुक्ति 17वें नंबर पर हो गई। मैं सतना के व्यंकटेश मंदिर के पास किराए का मकान लेकर परिवार समेत रहने लगा। 2003 से 2012 तक सफाई कामगार की ड्यूटी करता रहा।

साल 2013 में मेरी मुलाकात विनय नामदेव पुत्र गोविंद नामदेव निवासी व्यंकटेश मंदिर के पास मुख्तियारगंज (सतना) से हुई। विनय नामदेव ने मुझे मनीष पांडेय (40) मिलवाया था। उन दिनों अचानक मेरी पत्नी की तबीयत खराब हो गई। मनीष ब्याज पर पैसा देने का काम करता था। मैंने पत्नी का इलाज कराने के लिए मनीष से 5 हजार रुपए उधार ले लिए। जिसे महीनेभर में मुझे चुकाना था। हालांकि, मैं रुपए नहीं चुका सका।

5 हजार रुपए कर्ज की भरपाई मनीष ने 40 लाख रुपए लेकर की है। क्योंकि 10 साल पहले मेरा वेतन औसतन 15 से 20 हजार रुपए के बीच था। अब 30 से 40 हजार के बीच तनख्वाह आ रही है। ऐसे में 40 लाख रुपए वेतन मेरे खाते से मनीष निकाल चुका है। पता नहीं मनीष ने मेरे नाम से कितने खाते खोलकर लोन निकाले हैं। एसबीआई के कर्मचारी से लेकर मैनेजर तक उसके आदमी हैं। सभी ने मिलकर बंदरवाट किया है। उसे जब भी साइन कराना होता था, तब मुझे बुलाता। 500 रुपए से 1000 देकर चलता कर देता था।

एक महीने बाद पैसे नहीं लौटा पाया, तो पीटकर गांव भगा दिया

श्याम बिहारी वकील शिवेंद्र सिंह ने बताया कि श्याम बिहारी उधार लिए 5 हजार रुपए एक महीने बाद नहीं दे पाया तो आरोपियों ने प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। एक दिन दोनों आरोपी (मनीष और विनय) पीड़ित को घर से उठाकर ले गए। कट्टा दिखाकर जान से मारने की धमकी दी। कमरे में बंद कर पीटा भी। ऐसे में कर्मचारी डर गया। आरोपियों ने उससे कहा कि दोबारा सतना में दिखना मत। ड्यूटी करने आया तो परिवार सहित खत्म कर देंगे।

इस बीच, मनीष पांडेय ने कर्मचारी का एटीएम, आधार कार्ड, पेन कार्ड, बैंक पासबुक, चेकबुक आदि साइन कराकर रख लिए। धमकी दी कि जब-जब सतना आने के लिए कहूंगा, तो आ जाना। डर के मारे कर्मचारी गांव भाग गया। इसके बाद उसने सतना नगर निगम में ड्यूटी नहीं की। उसकी सैलरी स्टेट बैंक मुख्य शाखा सतना में आती रही। सैलरी का पैसा मनीष पांडेय एटीएम और दूसरे माध्यमों से निकालता रहा। यहां तक कि बैंक में भी आरोपी ने अपना मोबाइल नंबर दर्ज करवा लिया। इससे खाते के बारे में समय-समय पर जानकारी लेता रहता था। चेकबुक जारी कराकर पैसे निकालता रहा।

सेटिंग से एक बैंक में आरोपी ने खुलवाए कई खाते

आरोपी मनीष पांडेय की स्टेट बैंक सतना की मुख्य शाखा में अफसरों से साठगांठ थी। इससे उसने सफाई कर्मचारी के नाम पर एक ही बैंक में पांच 5 खुलवा लिए। चार खातों पर लोन भी लिया है। हालांकि, अब ये खाते होल्ड पर हैं। दावा है कि आरोपी ने आधा दर्जन से ज्यादा खाते खोलकर रखे हैं। किसी से लोन तो किसी में गाड़ी फाइनेंस करा रखी है।

7 महीने में निकाले 5.49 लाख, खाते में सिर्फ 65 रुपए

भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के एक अकाउंट से 7 महीने में 5.49 लाख रुपए निकाले गए हैं। वर्तमान में सिर्फ 65 रुपए खाते में बचे हैं। यह पांचवां खाता है। मई में 600, 28143, 1000, 5000 रुपए निकाले गए। इसी तरह जून में 28143 रुपए, अगस्त में 31832, 5000, सितंबर में 32630, 9500, अक्टूबर में 32630, 26721, 500, 5000 और 8000 रुपए निकाले गए।

सैलरी आते ही निकाल लेता था रकम, दो लोन भी चल रहे

श्यामबिहारी के वकील ने आरोप लगाया कि मनीष बेहद शातिर है। वह श्याम बिहारी आदिवासी की सैलरी आते ही कुछ ही दिन में 10 से 11 हजार रुपए एटीएम से निकाल लेता था। उसने 22 अगस्त 2022 में लोन लेकर 1.89 लाख रुपए निकाले हैं। दो दिन बाद दूसरा लोन लेकर 1.44 लाख रुपए हड़प लिए।

बैंक कर्मचारी जब घर पहुंचे तो हुआ खुलासा

दिसंबर 2022 में IDFC फर्स्ट बैंक रीवा के कर्मचारी श्यामबिहारी आदिवासी को खोजते हुए चाकघाट के पास रजहा गांव पहुंचे। फाइनेंसकर्मी ने श्यामबिहारी से किस्तें जमा करने को कहा। उन्होंने कहा कि बुलेट लिए हो, किस्त नहीं दे रहे हो। यह बात सुनते ही श्याम बिहारी जोर-जोर से रोने लगा। रोने की आवाज सुनकर ग्रामीण दौड़े। उन्होंने फाइनेंस कर्मचारियों को समझाया है। कहा कि जिस आदमी के पास खाने के पैसे नहीं हैं, वह बुलेट कैसे ले सकता है। तब जाकर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। ऐसे में श्याम बिहारी ने एक रिश्तेदार के माध्यम से रीवा पहुंचकर शिकायत की।

9 निगमायुक्तों का कार्यकाल जांच के घेरे में

गौरतलब है कि सतना नगर निगम में 9 निगमायुक्तों का कार्यकाल जांच के घेरे में है। 2013 से 2023 के बीच में राजेश शाही, तन्वी हुड्डा, अमनबीर सिंह बैस, प्रवीण सिंह अढ़ायच, प्रतिभा पाल, राम प्रसाद डहेरिया, सुरेन्द्र कथूरिया, धीरेन्द्र सिंह ​परिहार और बीबी सिंह गहरवार सेवाएं दे चुके हैं। आदिवासी कर्मचारी के साथ हुए फर्जीवाड़े को लेकर किसी ने गौर नहीं किया।

महापौर ने कहा था निगम में फर्जी कर्मचारी ले रहे सैलरी

पिछले महीने जिला ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के कार्यक्रम में वर्तमान महापौर योगेश ताम्रकार ने चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि सतना नगर निगम में फर्जी कर्मचारी सैलरी ले रहे हैं। कुछ लोग जबलपुर तो कई लोग मुंबई व गोवा में मौज काट रहे हैं। दो दशकों से भर्राशाही चल रही है। पुराने महापौर से लेकर निगमायुक्तों ने मौज काटी है। किसी ने कभी भी फर्जी कर्मचारियों के मुद्दे पर गौर नहीं किया।

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