Muscular Dystrophy in Rewa : एक ही परिवार के तीन भाई, एक बहन और पिता का कंकाल सा दिखने लगा शरीर, CM ने इलाज कराने का दिया आश्वासन

 
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MP/REWA NEWS : रीवा में एक परिवार के तीन भाई, एक बहन और पिता मस्कुलर डिस्ट्रॉफी नाम की अजीब बीमारी से जूझ रहे हैं। बीमारी के कारण हर दिन इनकी मांसपेशियां सिकुड़ रही हैं और शरीर कंकाल सा दिखने लगा है। जन्म के 10 साल बाद बच्चों में ये बीमारी शुरू हुई। इस बीमारी का इलाज देश में नहीं है और इलाज भी काफी महंगा है। हालांकि, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीड़ित परिवार का इलाज कराने का आश्वासन दिया है।

क्या है मस्कुलर डिस्ट्रॉफी?

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक ऐसी बीमारी है, जिसमें इंसान कमजोर पड़ने लगता है। मसल्स सिकुड़ने लग जाती हैं और बाद में यह टूटने लगती हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार यह एक तरह का आनुवंशिक रोग है। रोगी में लगातार कमजोरी आती है और उसकी मांसपेशियों का विकास रुक जाता है। यह बीमारी सबसे पहले कूल्हे के आसपास की मांसपेशियों और पैर की पिंडलियों को कमजोर करती है। उम्र बढ़ते ही यह कमर और बाजू की मांसपेशियों को भी प्रभावित करना शुरू कर देती है।

कैसे शुरू हुई बीमारी?
दैनिक भास्कर ने पीड़ित परिवार ने बात की। उसरगांव में रामनरेश यादव (60) के पांच बेटे और दो बेटियां हैं। सबसे बड़ी बेटी सुशीला यादव (38) और दूसरे नंबर की रीतू यादव (36) हैं। इसके बाद भाइयों में सबसे बड़े सुरेश यादव (35), दूसरे नंबर के महेश यादव (28), तीसरे नंबर के अनीश यादव (25), चौथे नंबर के मनीष यादव (23) और पांचवें नंबर के मनोज यादव (20) हैं।

बच्चों में इस बीमारी के शुरुआती लक्षण साल 2006 में दिखाई देने लगे थे, जिसके बाद बच्चों को उनके नाना दिल्ली एम्स लेकर गए। एम्स के डॉक्टर्स ने रिसर्च पेपर तैयार कर अमेरिका भेजा। रिपोर्ट आने के बाद जर्मनी और यूएई में ही इलाज मिलने की सलाह दी। कांग्रेस से राज्यसभा सांसद ने भी इस परिवार की दिल्ली में जांच कराई। विधायक के लेटर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीड़ित परिवार से बात की है और जर्मनी में इलाज कराने और सरकार द्वारा पूरा खर्चा करने का भरोसा दिया है।

पीड़ित परिवार त्योंथर जनपद के उसरगांव का रहने वाला है। परिवार में 9 लोग हैं, इनमें से 5 मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की चपेट में हैं। स्टेम सेल थेरेपी के जरिए इस बीमारी का इलाज कुछ हद तक संभव है, लेकिन इसका खर्च बहुत महंगा है। एक लाख रु. का एक इंजेक्शन पड़ता है। ऐसे 20 इंजेक्शन मरीज को लगाए जाते हैं। जांच और दूसरे चार्जेस का खर्च भी अलग से आता है। एक पीड़ित के इलाज में करीब 30 लाख रुपए का खर्च होने का अनुमान है।

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बाएं से मनीष यादव, बीच में पिता राम नरेश यादव और दाई ओर मां प्रेमवती यादव।

विधायक पहुंचे थे CM के पास लेटर लेकर
मनीष यादव ने बताया कि समय-समय पर मीडिया के जरिए वे इलाज की गुहार लगाते आ रहे हैं। 22 मार्च को त्योंथर से भाजपा विधायक श्यामलाल द्विवेदी CM के पास लेटर लेकर गए थे। उन्होंने हमारे परिवार के इलाज की बात मुख्यमंत्री के सामने रखी है। एक दिन पहले ही SDM पीके पांडेय, BMO डॉ. केबी पटेल ने तैयारी कर ली थी। इसके बाद शनिवार की दोपहर 2 बजे CM का फोन आया है। बातचीत के बाद अब लग रहा है कि हम सभी स्वस्थ होंगे।

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एक मरीज के इलाज पर आएगा 30 लाख खर्च
पीड़ित परिवार ने कहा कि 2022 में जब विवेक तन्खा के साथ इलाज कराने दिल्ली गए थे, तब डॉक्टरों की टीम ने कहा था कि यूएई की जगह जर्मनी में उपचार सही है। एक जांच का 70 से 80 हजार लगेगा। एक-एक लाख के 20 इंजेक्शन लगेंगे। तब शरीर सही होगा। जर्मनी आना-जाना सहित कुल 30 लाख रु. का खर्च हर एक के इलाज पर आएगा। अगर पांच लोगों को इलाज के लिए जर्मनी भेजा जाता है, तो डेढ़ करोड़ रु. तक खर्चा आएगा। हालांकि, SDM पीके पांडेय का कहना है कि आगे निर्णय दिल्ली में बना 40 सदस्यीय मेडिकल बोर्ड लेगा।

ये हैं बीमारी के शिकार

रामनरेश यादव, पिता
सुशीला यादव, सबसे बड़ी बहन
अनीश यादव, तीसरे नंबर का भाई
मनीष यादव, चौथे नंबर का भाई
मनोज यादव, पांचवें नंबर का भाई

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