इलाज नहीं, इंतज़ार! दो घंटे तक स्ट्रेचर पर बिलखता रहा मासूम, CM हेल्पलाइन के बाद जागी रीवा अस्पताल की आत्मा!

ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मध्य प्रदेश के रीवा स्थित संजय गांधी अस्पताल (SGMH) में शनिवार को मानवता को शर्मसार करने वाली एक घटना सामने आई, जिसने राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 13 वर्षीय मासूम मनीष साहू, जिस पर पहले बिजली गिरी थी, उसे गंभीर हालत में लेकर परिजन इलाज के लिए पहुँचे। लेकिन, अस्पताल के लापरवाह स्टाफ ने कथित तौर पर लगभग दो घंटे तक बच्चे को भर्ती करने के बजाय परिजनों को एक वॉर्ड से दूसरे वॉर्ड में भटकाते रहे।
बच्चे की नाजुक हालत को देखते हुए जब बड़ी मिन्नतों के बाद एक बॉटल (IV drip) लगाई गई, तो उसे पकड़ने के लिए भी कोई स्टाफ मौजूद नहीं था। मजबूरन, बच्चे की माँ या कोई परिजन उस बॉटल को हाथ में ऊँचा करके खड़े रहे ताकि बच्चे को ड्रिप मिल सके। यह दृश्य अस्पताल परिसर में घंटों तक बना रहा, जो अस्पताल स्टाफ की संवेदनहीनता को दर्शाता है।
बच्चे पर बिजली गिरी थी, कैसे हुई घटना?
परिजनों ने बताया कि बच्चा 30 अगस्त को महोबा ननोरा में था, जब उस पर बिजली गिरी थी। प्रारंभिक इलाज के लिए उसे महोबा जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तबीयत में सुधार होने के बाद वह पन्ना में था, लेकिन अचानक तबीयत बिगड़ने पर उसे पन्ना जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ से डॉक्टरों ने उसकी गंभीर हालत को देखते हुए उसे रीवा के संजय गांधी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया था।
गंभीर रूप से घायल मनीष साहू, जो अब वेंटिलेटर पर है, जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है। सवाल यह उठता है कि एक गंभीर, रेफर किए गए मरीज के साथ अस्पताल के स्टाफ का ऐसा रवैया क्यों था?
वॉर्ड-वॉर्ड भटकाते रहे परिजन, कैसे मिला इलाज?
परिजनों के अनुसार, अस्पताल पहुँचने पर स्टाफ ने पहले उन्हें बर्न वॉर्ड भेजा, यह सोचकर कि बिजली गिरने से जलने के घाव होंगे। हालांकि, बर्न वॉर्ड के स्टाफ ने बच्चे को एडमिट करने से साफ मना कर दिया। इसके बाद बच्चे को वॉर्ड नंबर 7 में भेजा गया, लेकिन वहाँ भी उसे भर्ती नहीं किया गया।
अस्पताल की इस 2 घंटे की देरी और संवेदनहीनता से परेशान होकर, परिजनों ने बच्चे को हाथ में बॉटल लिए हुए ही अस्पताल परिसर में खड़े रहकर मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में फोन कर शिकायत की।
मुख्यमंत्री हेल्पलाइन के बाद हुई भर्ती, लेकिन...
मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में शिकायत किए जाने के बाद ही अस्पताल प्रशासन हरकत में आया और दो घंटे की देरी से बच्चे को किसी तरह बच्चा वॉर्ड में भर्ती किया गया। हालाँकि, तब तक बहुत देर हो चुकी थी और बच्चे की हालत काफी बिगड़ चुकी थी। उसे तुरंत वेंटिलेटर पर रखा गया।
अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर राहुल मिश्रा ने पूरे मामले में अपनी कड़ी नाराजगी जताई है और जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि इस तरह के संवेदनशील मामले में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषी स्टाफ पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह आवश्यक है कि स्वास्थ्य सेवा जैसे मूलभूत अधिकार में किसी भी तरह की कोताही को गंभीरता से लिया जाए और भविष्य में कैसे ऐसी घटनाओं को रोका जाए, इस पर ठोस कदम उठाए जाएँ।