रीवा में फुटपाथ पर खुली लूट! ठेलेवालों से गुंडागर्दी कर वसूली, वीडियो वायरल – नगर निगम बेखबर या शामिल?

 
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 "फुटपाथ पर धंधा या डर का बाजार? रीवा में ठेकेदार कर रहा वेंडर्स से अवैध वसूली"

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा।  रीवा। शहर के सिरमौर चौराहा स्थित फ्लाईओवर के नीचे स्ट्रीट वेंडर्स से अवैध रूप से रुपए वसूले जाने का मामला सामने आया है। वायरल वीडियो में दावा किया जा रहा है कि बिना रसीद के ठेला और फुटपाथ व्यवसायियों से 20 से 50 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से राशि ली जा रही है। यह वसूली एसडी ग्रुप एंड कंपनी नाम की फर्म के कर्मचारियों द्वारा की जा रही है, जिसे निगम द्वारा पार्किंग का ठेका दिया गया है।

स्थानीय दुकानदारों का आरोप है कि अगर तय राशि नहीं दी जाती, तो फर्म के कर्मचारी वेंडर्स को धमकी देकर दुकानें हटवा देते हैं। इससे परेशान होकर छोटे व्यवसायियों को मजबूरी में अवैध रूप से राशि चुकानी पड़ती है।

नियमों के अनुसार, नगर निगम साल भर में स्ट्रीट वेंडर्स से अधिकतम ₹850 ही वसूल सकता है। लेकिन प्रतिदिन ₹20 की दर से यह राशि सालभर में ₹7200 तक पहुंच रही है, जो नियमों का उल्लंघन है।

एक वीडियो में फर्म का एक कर्मचारी चने वाले एक ठेले वाले से धमकाते हुए पैसा मांगता नजर आ रहा है। वेंडर्स ने आरोप लगाया कि कर्मचारी का नाम गुड्डू है, जो आए दिन वसूली करता है।

इस पूरे मामले पर नगर निगम आयुक्त डॉ. सौरभ संजय सोनवडे ने कहा है कि फर्म को केवल वाहन पार्किंग का ठेका दिया गया है, न कि बाजार बैठकी वसूली का। अगर कर्मचारी अवैध वसूली में लिप्त पाए जाते हैं, तो नियम अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी। वीडियो का परीक्षण कराया जा रहा है।

स्थानीय लोगों और फुटपाथ दुकानदारों ने प्रशासन से मांग की है कि इस तरह की अवैध वसूली पर तुरंत रोक लगाई जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

ये मामला वाकई गंभीर है और इस पर तुरंत कार्रवाई की ज़रूरत है। जो बातें सामने आई हैं, उनसे साफ ज़ाहिर होता है कि नगर निगम द्वारा तय नियमों की अनदेखी की जा रही है और स्ट्रीट वेंडर्स से गैरकानूनी वसूली की जा रही है।

यहाँ कुछ मुख्य बिंदु हैं:

1. अवैध वसूली का आरोप:

  • सिरमौर चौराहा स्थित फ्लाई ओवर के नीचे दुकान लगाने वाले वेंडर्स से 20 से 50 रुपए प्रतिदिन लिए जा रहे हैं।

  • यह रकम बिना किसी रसीद के ली जा रही है, जो पूरी तरह से अवैध है।

2. कानूनी स्थिति:

  • नगर निगम आयुक्त के अनुसार, स्ट्रीट वेंडर्स से साल भर में अधिकतम 850 रुपए ही वसूले जा सकते हैं।

  • प्रतिदिन 20 रुपए लेने की स्थिति में एक साल में लगभग 7200 रुपए लिए जा रहे हैं, जो तय सीमा से कई गुना ज्यादा है।

3. धमकी और दबाव:

  • अगर वेंडर्स पैसा नहीं देते तो उन्हें धमकाया जाता है और दुकान हटाने की धमकी दी जाती है।

  • वीडियो में एक कर्मचारी चने वाले को धमकाते दिख रहा है।

4. नगर निगम की प्रतिक्रिया:

  • नगर निगम आयुक्त ने स्पष्ट किया कि फर्म को सिर्फ पार्किंग का ठेका मिला है, वेंडर्स से वसूली करने का नहीं।

  • वीडियो की जांच करवाई जाएगी और यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

सुझाव:

  1. स्थानीय प्रशासन को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

  2. स्ट्रीट वेंडर्स यूनियन या अन्य सामाजिक संगठनों को एकजुट होकर इस मुद्दे को आगे उठाना चाहिए।

  3. वीडियो फुटेज को प्रमाण के रूप में सुरक्षित रखा जाए और प्रशासन को सौंपा जाए।

  4. मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से इस मुद्दे को उजागर करना ज़रूरी है, ताकि उच्च स्तर पर सुनवाई हो सके।

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