रीवा में पुलिस और आबकारी विभाग का 'खुलेआम संरक्षण': अवैध शराब का बेखौफ कारोबार, बुलेरो में पकड़ी शराब तो ग्रामीणों ने कर दिया Video Viral!

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा जिले में कानून और व्यवस्था को ठेंगा दिखाते हुए, पुलिस और आबकारी विभाग की नाक के नीचे ही अवैध शराब का कारोबार खुलेआम फल-फूल रहा है। इसका ताजा उदाहरण गढ़ थाना क्षेत्र के लालगांव चौकी के पास देखने को मिला, जहाँ शराब ठेकेदार के कर्मचारी बुलेरो वाहन में भरकर धड़ल्ले से गांव-गांव अवैध शराब पहुंचाते हुए ग्रामीणों के हत्थे चढ़ गए। ग्रामीणों ने तुरंत इस पूरे वाकये का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया, जिसने अब सीधे तौर पर प्रशासन की मिलीभगत पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या खाक कर रहा है पुलिस और आबकारी विभाग?
रीवा जिले में शराब का अवैध पैकारों का कारोबार पूरी तरह से बेलगाम है। जिस पुलिस और आबकारी विभाग पर इसे रोकने की जिम्मेदारी है, वो अपनी आँखें मूँदे बैठा है। या यूँ कहें कि उनकी अंधी अनदेखी नहीं, बल्कि सीधा संरक्षण है, जिसकी वजह से शराब माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे दिनदहाड़े और खुलेआम गांवों तक शराब पहुंचा रहे हैं। यह दर्शाता है कि विभाग अपनी जिम्मेदारियों से पूरी तरह से पीछे हट चुका है, और भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं।
लालगांव में ग्रामीणों ने खुद हिम्मत दिखाई और अवैध शराब पहुंचा रहे ठेकेदार के कर्मचारियों को बुलेरो वाहन सहित पकड़ लिया। ग्रामीणों का यह कदम बताता है कि वे इस अवैध धंधे से कितने त्रस्त हैं और प्रशासन की निष्क्रियता से कितने हताश। जब जनता को खुद कानून हाथ में लेना पड़े, तो यह शासन-प्रशासन के लिए एक शर्मनाक स्थिति है।
ठेकेदारों के बुलंद हौसले और ग्रामीणों की बेबसी!
इस अवैध कारोबार के कारण शराब ठेकेदारों और अवैध शराब दुकानों के संचालकों का मनोबल आसमान छू रहा है। उन्हें किसी का खौफ नहीं है, क्योंकि उन्हें पता है कि ऊपर से उन्हें कोई रोकने वाला नहीं है। इसका सीधा खामियाजा ग्रामीण भुगत रहे हैं। नशाखोरी बढ़ रही है, अपराधों में इजाफा हो रहा है, और ग्रामीण परिवारों का माहौल खराब हो रहा है। गांवों में शांति और सुरक्षा तार-तार हो चुकी है, और ग्रामीण खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं।
सिर्फ वीडियो वायरल करने से क्या होगा? अब किसकी बारी?
ग्रामीणों द्वारा वीडियो वायरल करने के बाद भी अभी तक पुलिस या आबकारी विभाग की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई है। यह दिखाता है कि प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से ले रहा है, या यूँ कहें कि नहीं ले रहा है। यह सीधे तौर पर प्रशासनिक जवाबदेही पर प्रश्नचिह्न लगाता है।
अब देखना यह होगा कि इस वायरल वीडियो और जनता के गुस्से के बाद भी क्या प्रशासन की नींद खुलती है या नहीं। क्या वे इस अवैध कारोबार पर लगाम कसने के लिए कोई कठोर कदम उठाएंगे या फिर हमेशा की तरह लीपापोती कर देंगे? रीवा की जनता अब प्रशासन से सिर्फ बयानबाजी नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई की उम्मीद कर रही है ताकि इस अवैध शराब के जहर से गांवों को मुक्ति मिल सके और दोषियों को उनके किए की कड़ी से कड़ी सजा मिल सके।