रीवा में ज़हरीला पानी: शहर में धड़ल्ले से बिक रहा डुप्लीकेट बोतल बंद पानी, प्रशासन-निगम पर मिलीभगत का आरोप

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा। रीवा शहर में डुप्लीकेट बोतल बंद पानी और केन वाले जार का जहरीला पानी खुलेआम बेचा जा रहा है, जिससे जनस्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। नागरिकों और स्थानीय मीडिया द्वारा कई बार शिकायतें किए जाने के बाद भी प्रशासन और नगर निगम द्वारा कोई ठोस कार्रवाई न होने से अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कलेक्टर ऑफिस और नगर निगम इस गोरखधंधे पर चुप क्यों हैं? क्या यह सब मिलीभगत के बिना संभव है?
सालों से जारी है पानी का यह 'गंदा खेल'
शहर के तमाम दुकानों, होटल-ढाबों और ठेलों पर लोकल सील लगी बोतलें और बिना ब्रांड के जार का पानी धड़ल्ले से बिक रहा है। इन बोतलों पर न तो कंपनी का सही नाम होता है, न पैकिंग डेट, न ही कोई लाइसेंस नंबर। 20 लीटर के केन वाले जार का पानी तो सड़कों किनारे खुले में, बिना ढक्कन और बिना किसी फिल्टर के भरकर सप्लाई किया जा रहा है। इन पर न कोई BIS सर्टिफिकेट होता है और न ही स्वास्थ्य विभाग की कोई जांच।
नकली पानी का कारोबार: शहर के इन इलाकों में फैला जाल
यह नकली पानी का कारोबार रीवा शहर के कई प्रमुख इलाकों में फैला हुआ है, जिनमें BTML फैक्ट्री चोरहटा वाला एरिया, ढेकहा, ट्रांसपोर्ट नगर, पड़रा घोघर, बिछिया, विश्वविद्यालय रोड, सेमरिया चौराहा, सिरमौर चौराहा, द्वारिका नगर, अमहिया, रतहरा, लोही, चिरहुला, रेलवे मोड के आगे गोड़हर बरा बस्ती, नेहरू नगर, बाईपास और स्टेशन रोड के होटल व ठेले शामिल हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि कुछ नामी जगहों पर भी डुप्लीकेट बोतलें और बिना लाइसेंस का पानी बेधड़क सप्लाई किया जा रहा है।
शिकायतें अनसुनी, जनता में कलेक्टर के प्रति आक्रोश
स्थानीय लोगों और पत्रकारों ने कलेक्टर ऑफिस और नगर निगम अधिकारियों को कई बार ज्ञापन और सूचनाएं दी हैं, लेकिन आज तक न कोई जांच अभियान चलाया गया, न स्पॉट सैंपलिंग हुई और न ही किसी के खिलाफ FIR दर्ज की गई। आरोप है कि प्रशासन और नगर निगम केवल कागजी खानापूर्ति करके मामले को दबा देते हैं।
कलेक्टर प्रतिभा पाल के आने के बाद जनता को उम्मीद थी कि इस गोरखधंधे पर लगाम लगेगी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई न होने से शहर के लोग गुस्से में हैं। उनका कहना है कि जनस्वास्थ्य जैसे गंभीर मुद्दे पर इतनी लापरवाही समझ से बाहर है।
बढ़ी बीमारियां, प्रशासन आँखें मूंदे
संजय गांधी अस्पताल और जिला अस्पताल में इन दिनों पेट की बीमारियों, डायरिया और टायफाइड के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है। डॉक्टर भी यह मान रहे हैं कि गंदे और बिना जांच वाले पानी के सेवन से ही लोग बीमार हो रहे हैं, लेकिन प्रशासन इस ओर से पूरी तरह आंखें मूंदे बैठा है।