"मनगवां की बेटी का भौकाल! "चूल्हा-चौका नहीं, DSP की कुर्सी चुनी! मनगवां की पूजा तिवारी ने रच दिया इतिहास!"

 
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ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मध्य प्रदेश के रीवा जिले की मनगवां तहसील के एक छोटे से गांव धवैया सथिनी में आज जश्न का माहौल है। इस जश्न की वजह हैं पूजा तिवारी, जिन्होंने अपने अथक परिश्रम और दृढ़ संकल्प से मध्य प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग (MPPSC) 2024 की परीक्षा में उप-पुलिस अधीक्षक (DSP) का पद हासिल किया है। यह सिर्फ एक सरकारी नौकरी नहीं, बल्कि एक साधारण किसान परिवार की बेटी के असाधारण सपनों की उड़ान है। यह कहानी है त्याग, संघर्ष और उस विश्वास की, जिसने आर्थिक तंगियों के बावजूद पूजा को सितारों तक पहुंचा दिया।

कौन हैं पूजा तिवारी? एक साधारण गांव की असाधारण बेटी 
पूजा तिवारी मनगवां के धवैया सथिनी गांव के एक सामान्य किसान परिवार से आती हैं। उनके पिता, श्री रवीन्द्र तिवारी, एक किसान हैं, जिनका एकमात्र सपना अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना था। पूजा अपने भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं, और उन्होंने बचपन से ही परिवार की जिम्मेदारियों और चुनौतियों को करीब से देखा है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही स्कूल में हुई, लेकिन उनके सपने हमेशा आसमान छूने के थे। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि प्रतिभा और मेहनत किसी बड़े शहर या महंगी कोचिंग की मोहताज नहीं होती।

पूजा की सफलता सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि उनके पूरे परिवार के सामूहिक प्रयासों का परिणाम है। उनके भाई-बहनों के लिए वह सिर्फ एक बड़ी बहन नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक और प्रेरणा स्रोत भी हैं, जो इंदौर में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं।

एक साधारण गांव की लड़की डीएसपी कैसे बनी? पूजा तिवारी के संघर्ष की कहानी
सफलता की हर कहानी के पीछे एक लंबा और कठिन संघर्ष छिपा होता है, और पूजा की कहानी भी इससे अलग नहीं है। उनका डीएसपी बनने तक का सफर चुनौतियों और बाधाओं से भरा था, जिसे उन्होंने अपनी हिम्मत से पार किया।

पिता ने कर्ज लेकर बेटी के सपनों को दी उड़ान
पूजा के पिता, श्री रवीन्द्र तिवारी, के लिए अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलाना आसान नहीं था। खेती-किसानी से होने वाली सीमित आय में परिवार का भरण-पोषण और बच्चों की पढ़ाई एक बड़ी चुनौती थी। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। जब भी पूजा की पढ़ाई के लिए पैसों की जरूरत पड़ी, उन्होंने समाज और बैंक से कर्ज लेने में भी संकोच नहीं किया। उनका मानना था कि शिक्षा ही वह पूंजी है जो उनके बच्चों का भविष्य बदल सकती है। पिता के इसी त्याग और विश्वास ने पूजा को कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया।

MPPSC में सफलता कैसे पाएं? पूजा की अटूट लगन और मेहनत
MPPSC जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा को पास करने के लिए सिर्फ आर्थिक संसाधन ही नहीं, बल्कि मानसिक मजबूती और अटूट लगन की भी आवश्यकता होती है। पूजा ने इंदौर में रहकर अपनी तैयारी की। छोटे से गांव से निकलकर बड़े शहर में अकेले रहना और पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना अपने आप में एक चुनौती थी। उन्होंने सीमित संसाधनों में बेहतरीन परिणाम देने का हुनर सीखा। वह घंटों तक पढ़ाई करती थीं और अपने लक्ष्य के प्रति पूरी तरह समर्पित थीं। यह उनकी कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि आज वह इस मुकाम पर हैं।

MPPSC की तैयारी कैसे करें? पूजा तिवारी से सीखें सफलता के मंत्र
जो युवा MPPSC या अन्य सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, वे पूजा की रणनीति से बहुत कुछ सीख सकते हैं।

सिलेबस को समझें सबसे पहले परीक्षा के सिलेबस को अच्छी तरह से समझें। पूजा ने हर विषय के लिए एक ठोस रणनीति बनाई और पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों का गहन विश्लेषण किया।
समय प्रबंधन : उन्होंने एक सख्त दैनिक दिनचर्या का पालन किया। हर विषय के लिए समय निर्धारित किया और नियमित रूप से रिवीजन पर जोर दिया।
उत्तर लेखन का अभ्यास : मुख्य परीक्षा में सफलता के लिए उत्तर लेखन महत्वपूर्ण है। पूजा ने नियमित रूप से उत्तर लिखने का अभ्यास किया ताकि उनकी गति और गुणवत्ता दोनों में सुधार हो।
सकारात्मक मानसिकता : तैयारी के दौरान कई बार निराशा के क्षण आते हैं, लेकिन पूजा ने हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखा। उन्होंने अपने परिवार के त्याग को अपनी प्रेरणा बनाया।
सीमित लेकिन प्रभावी संसाधन : उन्होंने बहुत सारी किताबों के बजाय कुछ मानक किताबों को बार-बार पढ़ा, जिससे उनके कॉन्सेप्ट्स पूरी तरह स्पष्ट हो गए।

"सफलता का वह क्षण", जब पूरे गांव में गूंजी बेटी की उपलब्धि
जिस शाम MPPSC 2024 का अंतिम परिणाम जारी हुआ, वह तिवारी परिवार और धवैया सथिनी गांव के लिए ऐतिहासिक बन गया। जैसे ही पूजा का नाम डीएसपी पद के लिए चयनित उम्मीदवारों की सूची में आया, परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई। पिता श्री रवीन्द्र तिवारी की आंखें गर्व और खुशी के आंसुओं से भर गईं। उनका वर्षों का संघर्ष और त्याग आज सफल हो गया था।

यह खबर गांव में आग की तरह फैली और देखते ही देखते उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लग गया। पूजा के बाबा श्री वाल्मीकि तिवारी और चाचा पं. नागेंद्र तिवारी ने मिठाई बांटकर अपनी खुशी का इजहार किया। सरपंच राजेश गौतम, पूर्व प्राचार्य रामनरेश मिश्र, और अधिवक्ता संघ अध्यक्ष बालेंद्र तिवारी सहित क्षेत्र के कई गणमान्य लोगों ने पूजा को फोन पर और घर आकर शुभकामनाएं दीं। यह सफलता अब सिर्फ पूजा की व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि पूरे मनगवां क्षेत्र का गौरव बन चुकी है।

एक डीएसपी का काम क्या होता है और क्या हैं पूजा की भविष्य की योजनाएं?
एक उप-पुलिस अधीक्षक (DSP) राज्य पुलिस सेवा में एक महत्वपूर्ण और जिम्मेदार पद होता है। डीएसपी का मुख्य काम कानून-व्यवस्था बनाए रखना, अपराधों की जांच करना और अपने अधिकार क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करना है। यह पद समाज की सेवा करने का एक बेहतरीन अवसर प्रदान करता है।

पूजा तिवारी का लक्ष्य एक ईमानदार, निष्पक्ष और जनता के प्रति संवेदनशील पुलिस अधिकारी बनना है। उनका मानना है कि वह इस पद का उपयोग समाज में सकारात्मक बदलाव लाने, विशेषकर महिलाओं की सुरक्षा और ग्रामीण क्षेत्रों में न्याय व्यवस्था को मजबूत करने के लिए करेंगी। उनकी कहानी यह साबित करती है कि यदि इरादे नेक हों, तो आप किसी भी पद पर रहकर देश और समाज की सच्ची सेवा कर सकते हैं।

निष्कर्ष
पूजा तिवारी की कहानी सिर्फ एक सफलता की दास्तां नहीं है, बल्कि यह भारत के छोटे गांवों और कस्बों में पल रहे उन लाखों सपनों का प्रतीक है, जिन्हें अगर अवसर और सही मार्गदर्शन मिले, तो वे कुछ भी हासिल कर सकते हैं। यह कहानी हमें सिखाती है कि परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों, यदि आपके पास दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत करने का जज्बा और परिवार का साथ है, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं।

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