रीवा में शिक्षा का बदहाल चेहरा: जर्जर स्कूल भवन में 635 बच्चों की जान दांव पर, छत गिरने के डर से पंखे भी नहीं!

 
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ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा जिले के ग्रामीण इलाके हिनौता स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में बच्चों की पढ़ाई खतरे के साये में हो रही है। विद्यालय के लगभग 70% भवन इतने जर्जर हो चुके हैं कि कभी भी ढह सकते हैं, बावजूद इसके यहां 635 विद्यार्थियों को रोज पढ़ाया जा रहा है। भीषण गर्मी और उमस के बावजूद, छत गिरने के डर से कक्षाओं में पंखे तक नहीं लगाए गए हैं, जिससे बच्चों को नारकीय परिस्थितियों में शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है।

प्राचार्य की लाचारी: "छत गिर सकती है, इसलिए पंखे नहीं लगाए!"
विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य राम गरीब कोल ने बताया कि वर्तमान में 9वीं कक्षा में ही 110 छात्र हैं और एक-एक सेक्शन में 60 से 65 विद्यार्थी बैठते हैं। भवन की दयनीय हालत यह है कि बच्चों को सुरक्षित स्थानों पर जगह-जगह शिफ्ट करना पड़ता है। गर्मी के महीनों, अप्रैल, मई और जून में भी बच्चों ने बिना पंखे के ही पढ़ाई की। जब पंखे न होने का कारण पूछा गया, तो प्राचार्य ने लाचारी व्यक्त करते हुए कहा, "छत गिर सकती है, इसलिए पंखे नहीं लगाए।" उन्होंने स्वीकार किया कि बच्चों को इससे भारी परेशानी हो रही है। दीवारों में सीपेज की भी गंभीर समस्या है, जिससे दीवारें और छत कमजोर होकर गिरने का डर लगातार बना रहता है।

प्रशासनिक आदेशों की अनदेखी, डीईओ ने जांच का आश्वासन दिया
यह चौंकाने वाली बात है कि जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) ने बरसात से पहले ही स्पष्ट आदेश जारी किए थे कि जर्जर भवनों में किसी भी कीमत पर कक्षाएं संचालित न की जाएं। इसके बावजूद हिनौता स्कूल में इन आदेशों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है। इस पर जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि यदि ऐसा हो रहा है तो मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

कक्षाओं की जर्जर हालत, न बैठ सकते हैं और न ही देखा जा सकता है।

           कक्षाओं की जर्जर हालत, न बैठ सकते हैं और न ही देखा जा सकता है।

स्थानीय लोगों में आक्रोश: "प्रशासन हादसे का इंतजार कर रहा है?"
विद्यालय की इस बदहाली और प्रशासन की उदासीनता को लेकर स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश है। स्थानीय निवासी शिवानंद द्विवेदी ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, "बच्चों को जर्जर छतों के नीचे बैठाना प्रशासन की घोर लापरवाही का परिचायक है। पंखे तक की सुविधा नहीं देना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।" उन्होंने सवाल उठाया, "क्या कोई बड़ा हादसा होने के बाद ही प्रशासन जागेगा?"

हिनौता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की यह स्थिति शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलती है और बच्चों की जान से खिलवाड़ का एक जीता-जागता उदाहरण है। ऐसे में जरूरत है कि प्रशासन तत्काल इस ओर ध्यान दे और किसी बड़ी अनहोनी से पहले बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।

सीपेज की भी परेशानी है, इससे दीवारें और छत गिरने का डर बना रहता है।

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