DEO को हटाने की तैयारी तेज: रीवा की छवि धूमिल होने के बाद विभाग में बदलाव की संभावना,  कमिश्नर ने जारी किया कारण बताओ नोटिस, 48 घंटे में मांगा जवाब

 
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ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) स्कूल शिक्षा विभाग रीवा में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां बिना किसी अभिभावक की नौकरी के ही बच्चों को अनुकंपा नियुक्तियां बांट दी गईं। यह मध्यप्रदेश का संभवतः ऐसा पहला मामला है, जिसने पूरे राज्य में हड़कंप मचा दिया है। इस बड़े घोटाले का खुलासा होने के बाद जिले के शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है और कई बड़े अधिकारियों पर गाज गिरी है।

कैसे हुआ खुलासा?
इस बड़े फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ बृजेश कुमार कोल नामक एक आवेदक के फर्जी दस्तावेज पकड़े जाने के बाद हुआ। इसके बाद, रीवा कलेक्टर के निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) सुदामा लाल गुप्ता ने पिछले एक साल में हुई सभी अनुकंपा नियुक्तियों की जांच के आदेश दिए। जांच के दौरान आवेदकों को उनके रिकॉर्ड के साथ बुलाया गया, जिसमें पांच और आवेदकों के दस्तावेज फर्जी पाए गए। चौंकाने वाली बात यह है कि इन सभी फर्जी नियुक्तियों के आदेश वर्तमान डीईओ सुदामा लाल गुप्ता ने ही जारी किए थे।

FIR और अधिकारियों पर कार्रवाई
मामला प्रकाश में आने के बाद कलेक्टर के निर्देश पर सिविल लाइन थाने में पांच और फर्जी अनुकंपा नियुक्ति पाने वालों के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई है। इसके साथ ही, इस पूरे खेल में संलिप्तता पाए जाने पर लिपिक रमाप्रपन्न दुबे के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है।

इस बड़ी गड़बड़ी के लिए डीईओ सुदामा लाल गुप्ता और योजना अधिकारी अखिलेश शुक्ला को भी दोषी माना गया है। डीईओ ने इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव कमिश्नर के पास भेजा था। कमिश्नर ने इस मामले में डीईओ सुदामा लाल गुप्ता और योजना अधिकारी अखिलेश शुक्ला को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। दोनों अधिकारियों को 48 घंटे के भीतर अपना जवाब प्रस्तुत करना होगा, जिसके बाद उनके खिलाफ आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

डीईओ को हटाने की तैयारी और पुलिस की सुस्त कार्रवाई
इस बड़े अनुकंपा नियुक्ति फर्जीवाड़े से रीवा जिले की छवि को काफी नुकसान पहुंचा है। इस दाग को मिटाने के लिए अब डीईओ सुदामा लाल गुप्ता को पद से हटाने की तैयारी चल रही है। नोटिस का जवाब मिलने के बाद संभावना है कि स्कूल शिक्षा विभाग को एक नया डीईओ मिलेगा। सूत्रों के अनुसार, डीईओ की कुर्सी के लिए कई लोग दौड़ में हैं, और अब ऐसे चेहरे की तलाश है जो राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर संतुलन बना सके।

इस पूरे मामले में पुलिस की कार्रवाई भी सुस्त नजर आ रही है। सिविल लाइन थाने में अब तक कुल 7 लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किए जा चुके हैं, लेकिन एक भी आरोपी को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। यह सवाल खड़े करता है कि क्या पुलिस जानबूझकर आरोपियों को पकड़ने में ढिलाई बरत रही है? यदि आरोपी पकड़े जाते हैं, तो इस पूरे गिरोह का पर्दाफाश हो सकता है और रीवा में "अवैध अनुकंपा नियुक्ति की दुकान" चलाने वाले कई बड़े चेहरे बेनकाब हो सकते हैं।

इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है और कौन-कौन से बड़े नाम सामने आते हैं, यह देखना बाकी है।

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