शिक्षा विभाग में 'फाइलें दबाओ, प्रमोशन पाओ' गैंग सक्रिय! प्रिंसिपल ने एक दिन में भर दी 30 दिन की हाजिरी, डीईओ-प्रिंसिपल की मिलीभगत से अतिथि शिक्षक वंचित

 
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ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा जिले का शिक्षा विभाग गहरे भ्रष्टाचार और फर्जी नियुक्तियों के आरोपों के कारण पूरी तरह से हिल गया है। वीडियो रिपोर्ट और नए तथ्यों से स्पष्ट है कि विभाग में फर्जी अनुकंपा नियुक्तियों और अनियमितताओं का खेल चरम पर है।

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रीवा शिक्षा विभाग में मुख्य घोटाला क्या है? यहाँ न केवल फर्जी नियुक्तियों का घोटाला है, बल्कि सरकारी हाजिरी रजिस्टर में जानबूझकर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। इसका सीधा शिकार ईमानदार और वास्तविक कार्यरत अतिथि शिक्षक हो रहे हैं, जिन्हें न्याय और उनके हक के वेतन से वंचित रखा जा रहा है।

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पीड़ित सिमरन मनियार का दर्दनाक संघर्ष और नए खुलासे 
अतिथि शिक्षक सिमरन बानो मनियार ने इस व्यवस्था पर गंभीर आरोप लगाए हैं। वह डोल स्कूल, सिरमौर ब्लॉक (चचाई रोड) पर अतिथि शिक्षक वर्ग 2 (अंग्रेजी विषय) के रूप में कार्यरत थीं।

  • ऑनलाइन जॉइनिंग और अटेंडेंस: सिमरन की ऑनलाइन जॉइनिंग थी और वह नियमित रूप से अटेंडेंस लगा रही थीं।
  • वेतन और प्रताड़ना: लगातार काम करने के बावजूद उन्हें वेतन का भुगतान नहीं किया गया और उन्हें प्रिंसिपल और Beo द्वारा झूठी रिपोर्टिंग व प्रताड़ना का सामना करना पड़ा।
  • पक्षपात: उनके खिलाफ, उसी स्कूल में देवेंद्र सिंह लोध नामक संदिग्ध शिक्षक की अवैध जॉइनिंग कराई गई है।

हाजिरी फर्जीवाड़ा: बीईओ, प्रिंसिपल और 10 अक्टूबर से 24 नवंबर तक की एंट्री एक दिन में
इस मामले का सबसे गंभीर और विशिष्ट खुलासा डोल स्कूल के हाजिरी रजिस्टर को लेकर हुआ है:

  • स्कूल और अधिकारी: 24 नवंबर 2025 को बीईओ शिव प्रसाद और प्रिंसिपल दयाशंकर द्विवेदी डोल स्कूल पहुँचे।
  • फर्जी हस्ताक्षर: हेड मास्टर की अनुपस्थिति में प्रिंसिपल दयाशंकर द्विवेदी ने देवेंद्र सिंह लोध नामक उस लड़के के हस्ताक्षर करवाए जिसकी नियुक्ति संदिग्ध है।
  • एक दिन में एंट्री: देवेंद्र सिंह लोध से 10 अक्टूबर से लेकर 24 नवंबर 2025 तक की अटेंडेंस एक ही दिन में भरवा ली गई।
  • जबरदस्त फर्जीवाड़ा: यह तब किया गया, जब ऑनलाइन अटेंडेंस सिमरन बानो मनियार द्वारा लगाई जा रही थी। यह स्पष्ट रूप से दस्तावेजों में हेरफेर और न्याय व्यवस्था के साथ धोखाधड़ी का मामला है।

फर्जी शिक्षक की नियुक्ति में रिश्तेदारी का एंगल
देवेंद्र सिंह लोध की नियुक्ति में घोर पक्षपात और रिश्तेदारी का मामला भी सामने आया है।

  • फर्जी शिक्षक: सिमरन बानो मनियार की जगह पूर्व में अतिथि शिक्षक देवेंद्र सिंह लोध कार्यरत थे, जो पूर्व प्राचार्य अरविंद सिंह लोध के भतीजे हैं (अरविंद सिंह लोध इनके सगे बड़े पिता थे)।
  • नियमों की अनदेखी: देवेंद्र सिंह लोध के पास बीएड की डिग्री न होने व मेरिट में न होने के बाबजूद नियम विरुद्ध सिर्फ रिश्तेदार होने के कारण उन्हें वहां पर ज्वाइन करवा दिया गया था। अरविंद सिंह लोध पहले यहाँ संस्था प्रभारी थे और अब रिटायर हो चुके हैं।

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जिला शिक्षा अधिकारी की संवेदनहीनता 
पीड़ित सिमरन बानो मनियार ने इस अनियमितता और पक्षपात की जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) को दी थी।

डीईओ का जवाब: डीईओ ने सिमरन को मदद करने के बजाय, यह कहकर टाल दिया कि वहाँ उस लड़के की (यानी  देवेंद्र सिंह लोध की) पहले से जॉइनिंग है, इसलिए तुम वहाँ मत जाओ।
यह डीईओ का रवैया निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाता है और साबित करता है कि उच्च स्तर पर दोषियों को संरक्षण दिया जा रहा है, जिससे ईमानदारी से काम करने वाले शिक्षक न्याय से वंचित हैं।

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निष्कर्ष: यह जांच नहीं, भ्रष्टाचार को दबाने का प्रयास है
यह पूरा प्रकरण स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि रीवा शिक्षा विभाग में खुली लूट मची हुई है। प्रिंसिपल, बीईओ और डीओ की मिलीभगत से फर्जी शिक्षक लाभान्वित हो रहे हैं, जबकि पात्र और कार्यरत शिक्षक प्रताड़ित हो रहे हैं। यह जांच केवल एक दिखावा है, क्योंकि वास्तविक कार्रवाई की उम्मीद कम है जब तक कि उच्च स्तर से कठोर हस्तक्षेप नहीं होता।

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