शिक्षकों के प्रशिक्षण के नाम पर निजी स्कूल का प्रचार: रीवा में शिक्षा विभाग पर गंभीर आरोप, जांच की मांग!

 
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शिक्षकों के प्रशिक्षण में 'चाय-नाश्ता' भी गायब! रीवा में भ्रष्टाचार की नई परत, कलेक्टर से तत्काल हस्तक्षेप की मांग

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) एक ओर जहाँ मध्य प्रदेश सरकार सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए कटिबद्ध है और छात्रों को निःशुल्क सुविधाएं प्रदान कर रही है, वहीं रीवा में शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों पर चंद पैसों के लालच में निजी विद्यालयों का प्रचार-प्रसार करने का गंभीर आरोप लगा है। यह पूरा मामला शिक्षकों के प्रशिक्षण को लेकर सामने आया है।

जानकारी के अनुसार, शासकीय शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए जिले में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (DIET) और पीजीबीटी कॉलेज जैसे बड़े संस्थान उपलब्ध हैं, जिनमें पर्याप्त कमरे और हॉल हैं। इसके अतिरिक्त, शहर में मार्तंड 1, 2, शाउमावि 1, 2, एस.के. स्कूल, पी.के. स्कूल, कन्या पाण्डेन टोला जैसे कई बड़े शासकीय विद्यालय भी हैं, जहाँ प्रशिक्षण आसानी से आयोजित किया जा सकता था।

लेकिन, इन सभी शासकीय विकल्पों को दरकिनार करते हुए, शहर से 5 किलोमीटर दूर स्थित एक निजी विद्यालय 'इंटीग्रिटी स्कूल' को प्रशिक्षण केंद्र बनाया गया है, जिसे पहले केवल 3% लोग ही जानते थे। आरोप है कि यह कदम निजी विद्यालय को आर्थिक लाभ पहुँचाने और उसका प्रचार-प्रसार करने के लिए उठाया गया है।

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बताया गया है कि इस प्रशिक्षण के लिए BRC रीवा द्वारा कार्य योजना तैयार की जाती है, जिसका अनुमोदन BEO रीवा आकांक्षा सोनी द्वारा किया जाता है। इस प्रशिक्षण केंद्र तक पहुँचने के लिए प्रत्येक शिक्षक को 50-100 रुपये का किराया अपनी जेब से देना पड़ रहा है, जिससे उन पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है। आरोप है कि एक तरफ जहाँ प्रशिक्षण के नाम पर अच्छी खासी राशि का बंदरबांट किया जा रहा है, वहीं निजी विद्यालयों का प्रचार कर भी राशि कमाई जा रही है।

यह स्पष्ट रूप से रीवा जिले में विषय-वार शिक्षकों के प्रशिक्षण के नाम पर निजी स्कूल का सुनियोजित प्रचार-प्रसार और सरकारी बजट का दुरुपयोग प्रतीत होता है। इस पूरे मामले की उच्च-स्तरीय जांच होनी चाहिए और जिम्मेदार अधिकारियों, विशेषकर BEO आकांक्षा सोनी और BRC रीवा, के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाहियों पर लगाम लग सके और सरकारी संसाधनों का सही उपयोग सुनिश्चित हो सके।

जानकारी के अनुसार, इन तथाकथित प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शिक्षकों को मिलने वाली चाय और नाश्ते की सुविधा भी नदारद है, जबकि इसके लिए शासन द्वारा पर्याप्त बजट आवंटित किया जाता है। यह सीधे तौर पर शिक्षकों के हितों की अनदेखी और बजट के बड़े पैमाने पर गबन की ओर इशारा करता है।

नियमों के अनुसार, ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों में प्रतिभागियों को निश्चित तौर पर जलपान (चाय-नाश्ता) और भोजन की सुविधा प्रदान की जानी चाहिए। इसके लिए प्रत्येक शिक्षक के हिसाब से प्रतिदिन एक निश्चित राशि का प्रावधान होता है। लेकिन रीवा में, शिक्षकों को न सिर्फ अपनी जेब से आवागमन का किराया देना पड़ रहा है, बल्कि उन्हें मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित किया जा रहा है। यह दर्शाता है कि प्रशिक्षण के नाम पर जारी होने वाली राशि का एक बड़ा हिस्सा कहीं और 'डायवर्ट' किया जा रहा है।

यह लापरवाही नहीं, बल्कि सुनियोजित भ्रष्टाचार का स्पष्ट संकेत है।

माननीय कलेक्टर महोदय, रीवा, से यह आग्रह है कि वे इस पूरे मामले को अत्यंत गंभीरता से लें।

  1. तत्काल जांच के आदेश: प्रशिक्षण स्थलों के चयन से लेकर शिक्षकों को दी जाने वाली सुविधाओं (या उनकी अनुपस्थिति) और बजट के उपयोग तक की उच्च-स्तरीय निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

  2. जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई: BEO रीवा आकांक्षा सोनी, BRC रीवा और इस पूरे षड्यंत्र में शामिल सभी अधिकारियों के खिलाफ नियमों के तहत कड़ी से कड़ी अनुशासनात्मक और कानूनी कार्रवाई की जाए।

  3. सरकारी संसाधनों का सदुपयोग सुनिश्चित करें: भविष्य में यह सुनिश्चित किया जाए कि शिक्षकों के प्रशिक्षण सहित सभी शासकीय कार्यक्रम शासकीय परिसरों में ही आयोजित हों और आवंटित बजट का पारदर्शी एवं नियमानुसार उपयोग हो।

यह केवल कुछ पैसों का मामला नहीं, बल्कि सरकारी शिक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता और शिक्षकों के मनोबल से जुड़ा हुआ है। इस अनियमितता पर तत्काल रोक लगाकर, दोषियों को सजा दिलाकर ही शासन की मंशा और नियमों का सम्मान सुनिश्चित किया जा सकता है। क्या कलेक्टर महोदय इस गंभीर मामले में हस्तक्षेप कर शिक्षकों को न्याय दिलाएँगे और सरकारी धन के दुरुपयोग पर लगाम लगाएंगे?

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