Reva Health Scam: जिंदा थी या नहीं, कौन बताएगा? निजी अस्पताल पर 'मोत के बाद रेफर' का आरोप, बीपी-शुगर मरीज की सर्जरी क्यों की?

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) शहर के जेल रोड स्थित सिटी हॉस्पिटल में बच्चेदानी के ऑपरेशन के लिए भर्ती कराई गई महिला मरीज संगीता चतुर्वेदी की शुक्रवार सुबह मौत हो गई। इसके बाद आक्रोशित परिजनों ने सिटी हॉस्पिटल पर उपचार में घोर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। मामले की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंची अमहिया पुलिस द्वारा परिजनों को समझाइश देते हुए मामले को शांत करने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं, मृत महिला मरीज के परिजन सिटी अस्पताल प्रबंधन पर उपचार में लापरवाही करने सहित महिला मरीज की मौत के बाद सुपर स्पेशलिटी अस्पताल रेफर करने का आरोप लगा रहे हैं।
ऑपरेशन के बाद बिगड़ी तबीयत, हुई मौत
मिली जानकारी के अनुसार, संगीता चतुर्वेदी को बच्चेदानी के ऑपरेशन के लिए सिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। ऑपरेशन सफलतापूर्वक होने के बाद, बताया गया कि महिला की तबीयत अचानक बिगड़ गई। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, उन्हें तत्काल रीवा के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में शिफ्ट किया गया, जहाँ उपचार के दौरान उनकी दुखद मृत्यु हो गई।
परिजनों के गंभीर आरोप बनाम अस्पताल का पक्ष
वीओ-01 (रिपोर्टर): पूरे घटनाक्रम के संबंध में मृत महिला के देवर मनोज चतुर्वेदी ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि उनकी भाभी संगीता चतुर्वेदी, जो महाजन टोला की निवासी थीं, को बच्चेदानी के ऑपरेशन के लिए सिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। जहां प्रभारी डीन डॉ. प्रियंक शर्मा की पत्नी और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मुक्ता शर्मा ने महिला की सर्जरी की थी। ऑपरेशन के बाद महिला का बीपी (रक्तचाप) और शुगर (मधुमेह) का स्तर बढ़ने लगा, जिसके कारण उनकी हालत अचानक बिगड़ने लगी।
मनोज चतुर्वेदी के अनुसार, इस दौरान अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों से काउंटर पर ऑपरेशन और उपचार संबंधी पूरे पैसे जमा करा लिए, लेकिन हैरत की बात यह है कि पैसे से संबंधित एक भी रसीद उन्हें नहीं दी गई। परिजनों का आरोप है कि महिला की मौत के बाद, सिटी हॉस्पिटल प्रबंधन ने उनके शव को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल रेफर करने की केवल नौटंकी की, जबकि उनकी मौत पहले ही हो चुकी थी। इससे भी गंभीर आरोप यह है कि प्रबंधन ने मृतका की बीमारी से संबंधित सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब कर दिए हैं। परिजनों ने यह भी सवाल उठाया है कि जब संगीता चतुर्वेदी पहले से ही बीपी और शुगर जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित थीं, तो डॉ. मुक्ता शर्मा ने किस आधार पर उनकी सर्जरी करने का निर्णय ले लिया।
वीओ-02 (रिपोर्टर): वहीं, इस पूरे मामले को लेकर सिटी हॉस्पिटल के संचालक और श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के प्रभारी डीन डॉ. प्रियंक शर्मा ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने मामले के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि उनके अस्पताल में उनकी पत्नी डॉ. मुक्ता शर्मा द्वारा दो दिन पूर्व यह सर्जरी की गई थी। डॉ. शर्मा के अनुसार, सर्जरी के बाद महिला का बीपी और शुगर लेवल अचानक बढ़ गया था, जिसके कारण महिला मरीज कार्डियक ट्रॉमा (हृदय आघात) में जाने लगी थीं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, उन्हें तत्काल सुपर स्पेशलिटी अस्पताल रेफर किया गया था।
बहरहाल, अमहिया पुलिस ने मृतका के परिजनों के बयान पंजीबद्ध कर लिए हैं और पूरे मामले की गहराई से जांच शुरू कर दी है। यह घटना एक बार फिर निजी अस्पतालों में उपचार की गुणवत्ता, पारदर्शिता और मरीजों के अधिकारों को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।
बाइट: 01- मनोज चतुर्वेदी, मृत महिला मरीज का देवर
बाइट: 02- डॉ. प्रियंक शर्मा, प्रभारी डीन श्याम शाह मेडिकल कॉलेज, संचालक सिटी हॉस्पिटल रीवा
सारांश
रीवा शहर के जेलमार्ग स्थित एक निजी नर्सिंग होम (सिटी हॉस्पिटल) में भर्ती महिला मरीज संगीता चतुर्वेदी का बच्चेदानी का ऑपरेशन किया गया था। ऑपरेशन के बाद महिला की तबीयत अचानक बिगड़ गई, जिसे लेकर परिजन अस्पताल प्रबंधन पर उपचार में लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा करने लगे। महिला को गंभीर हालत में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में शिफ्ट किया गया, जहां उसकी मौत हो गई। महिला पहले से ही हार्ट, हाई बीपी और शुगर जैसी बीमारियों से पीड़ित थी। डॉक्टरों के अनुसार ऑपरेशन से पहले सभी आवश्यक जांचें की गई थीं और ऑपरेशन का निर्णय महिला की स्थिति को देखते हुए लिया गया था। मौत का कारण हार्ट अटैक बताया गया, जिसे सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के चिकित्सकों ने भी स्वीकार किया। परिजनों ने इलाज में लापरवाही, डॉक्यूमेंट चोरी और इलाज के दौरान उचित जांच न करने का आरोप लगाया। अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि परिजनों को ऑपरेशन से पहले सभी जानकारियां दी गई थीं, और ऑपरेशन के बाद भी महिला की स्थिति दो दिन तक ठीक थी। मौत के बाद अस्पताल ने परिजनों को एडवांस फीस वापस करने की बात कही। इस पूरे मामले ने चिकित्सा व्यवस्था, मरीजों के अधिकार और उपचार की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मुख्य बिंदु
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🏥 रीवा के सिटी हॉस्पिटल में महिला मरीज का बच्चेदानी का ऑपरेशन हुआ।
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⚠️ ऑपरेशन के बाद महिला की तबीयत बिगड़ी और उसे सुपर स्पेशलिटी अस्पताल भेजा गया।
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💔 महिला की मौत हार्ट अटैक के कारण हुई, जिसे डॉक्टरों ने पुष्टि की।
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⚖️ परिजन अस्पताल पर उपचार में लापरवाही, जांच न करने और डॉक्यूमेंट चोरी का आरोप लगा रहे हैं।
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💉 महिला पहले से हार्ट, हाई बीपी और शुगर की मरीज थीं।
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💸 परिजनों ने अस्पताल से एडवांस फीस वापसी की मांग की।
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🗣️ अस्पताल प्रबंधन ने ऑपरेशन के पूर्व परिजनों को पूरी जानकारी दी और ऑपरेशन को जरूरी बताया।
प्रमुख अंतर्दृष्टि
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🏥 समझौता और पारदर्शिता की कमी: इस घटना से पता चलता है कि अस्पताल और मरीज के परिजनों के बीच संवाद और पारदर्शिता की कमी गंभीर विवादों को जन्म दे सकती है। अस्पताल द्वारा ऑपरेशन से पहले पूरी स्थिति स्पष्ट करना जरूरी था, लेकिन परिजन इसे अपर्याप्त मानते हैं। इससे चिकित्सा प्रक्रियाओं में विश्वास कम होता है।
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💔 बीमारियों की जटिलता और जोखिम: महिला पहले से ही हृदय रोग, हाई बीपी और शुगर जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित थीं। ऐसे मरीजों के लिए सर्जरी जोखिम भरी होती है, जिसे समझाना आवश्यक है। डॉक्टरों का यह कहना कि ऑपरेशन के बाद महिला की हालत दो दिन तक ठीक थी, यह दर्शाता है कि स्थिति अचानक बिगड़ी, जो अक्सर इन जटिल रोगों में होता है।
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⚠️ इमरजेंसी में निर्णय लेना: जब महिला की स्थिति खराब हुई, तो उसे तत्काल सुपर स्पेशलिटी अस्पताल भेजा गया। यह निर्णय चिकित्सकीय रूप से सही था, लेकिन परिजन इसे लापरवाही के रूप में देखते हैं। यह दर्शाता है कि इमरजेंसी में लिए गए निर्णयों को परिजन कैसे समझते हैं, इसमें भिन्नता हो सकती है।
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🗃️ दस्तावेज़ प्रबंधन की समस्या: परिजनों का आरोप है कि अस्पताल ने मरीज के डॉक्यूमेंट चोरी कर लिए, जिससे मामला और जटिल हो गया। मेडिकल रिकॉर्ड का सुरक्षित और पारदर्शी प्रबंधन अस्पतालों के लिए अत्यंत आवश्यक है ताकि विवादों को टाला जा सके।
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💸 अस्पताल और मरीज के बीच आर्थिक विवाद: घटना के बाद अस्पताल ने एडवांस फीस वापसी का प्रस्ताव रखा, जो परिजनों की मांग थी। यह दर्शाता है कि चिकित्सा विवादों में आर्थिक मुद्दे भी प्रमुख भूमिका निभाते हैं और उन्हें समय पर समझदारी से हल करना आवश्यक है।
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👥 सामाजिक और भावनात्मक प्रभाव: मरीज के परिजन, विशेषकर पति और छोटे बच्चे, इस घटना से गहरा आहत हैं। यह दर्शाता है कि चिकित्सा त्रुटियों या मृत्यु के मामले केवल चिकित्सा मुद्दा नहीं होते, बल्कि परिवारों के जीवन पर गंभीर प्रभाव डालते हैं।
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🏥 चिकित्सा क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता: इस घटना से स्पष्ट होता है कि मेडिकल क्षेत्र में मरीजों के प्रति संवेदनशीलता, बेहतर संवाद, और कागजी कार्रवाई की पारदर्शिता जरूरी है। अस्पतालों को मरीजों के स्वास्थ्य और उनके परिवारों के सम्मान के साथ व्यवहार करना होगा ताकि विश्वास बना रहे।
यह मामला रीवा के स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता और मरीजों तथा उनके परिवारों के अधिकारों की सुरक्षा की महत्वपूर्ण याद दिलाता है। साथ ही, यह चिकित्सकों और अस्पताल प्रबंधन के लिए भी सीख है कि वे कैसे बेहतर संवाद और पारदर्शिता के माध्यम से ऐसे विवादों को टाल सकते हैं।