REWA : अदना सा बाबू प्रशासन पर पड़ रहा भारी, घोटालेबाज कर्मचारियों को हटाने में अधिकारियों के छूट रहे पसीने

 
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ऋतुराज द्विवेदी,रीवा। रीवा। ज्ञात हो कि स्कूल शिक्षा विभाग में करीब 5 करोड़ का अनुदान घोटाला और सामग्री सप्लाई घोटाला सामने आया था। इस मामले में कईयों पर एफआईआर दर्ज हुई। पहली एफआईआर तीन लोगों पर हुई थी। इसके बाद 24 फिर भोपाल से 18 लोगों के खिलाफ एफआईआर कराने का पत्र जेडी के पास पहुंचा है। इस अनुदान घोटाले में फंसे मुख्य कैशियर और लिपिकों को हटाने के लिए कलेक्टर से लेकर जिला पंचायत सीईओ तक जोर आजमाइश कर चुके हैं लेकिन सफल नहीं हो पाए। तत्कालीन कलेक्टर डा इलैया राजा टी को भी कैशियर को हटाने में एढ़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा लेकिन कोर्ट से स्टे लेकर वह दोबारा वहीं पदस्थ हो गया।

वही हालात फिर बने। कलेक्टर ने हाल ही में डीईओ और जेडी की क्लास लगाई थी। उन्हें तुरंत कैशियर को डीईओ कार्यालय से हटाने के निर्देश दिए थे। इतना ही नहीं निलंबन तक को कहा था। डीईओ निलंबित करने की हिम्मत तो नहीं जुटा पाए लेकिन किसी तरह जेडी कार्यालय में अटैच करने का आदेश जरूर किए। यह मेहनत भी बेकार गई। सूत्रों की मानें तो सिंगल आदेश किए जाने से उसे कोर्ट से फिर राहत मिल गई है। कैशियर ने दोबारा डीईओ कार्यालय में पकड़ जमा ली है और काम भी शुरू कर दिया है। कलेक्टर का आदेश और प्रयास फिर बेकार चला गया।

इन्होंने आवेदन दिया फिर भी नहीं हटा रहे
हद तो यह है कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में ज्यादातर कर्मचारीदागी हैं। सभी पर कुछ न कुछ आरोप लगे हैं। अधिकांश अनुदान घोटाले में फंसे हैं। डीईओ भी लपेटे में आ चुके हैं। इसके बाद भी इन्हें यहां से हटाया नहीं जा रहा है। जिन पर आरोप है। उनके खिलाफ ही भोपाल से जांच बैठी है। जांच प्रभावित कर सकते हैं। फिर भी दागियों को हटाया नहीं जा रहा। वहीं अनुदान घोटाले में फंसे दो लिपिक कमलापति त्रिपाठी और कमलेश तिवारी अन्यत्र स्थानांतरित किए जाने का आवेदन तक कर चुके हैं। इसके बाद भी उन्हें हटाया नहीं जा रहा है। इसके पीछे वजह अधिकारी की कुर्सी बनी हुई है। यदि इन कर्मचारियों को हटाया गया तो उन्हें खुद भी हटना पड़ेगा।

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