DEO पटेल और उपाध्याय का 'दोहरा खेल': करोड़ों के घोटाले में FIR, फिर भी डाइंग कैडर में 4 फर्जी नियुक्तियां! रीवा में भ्रष्टाचार का नंगा नाच!, विधानसभा तक गूंजा रीवा का शिक्षा घोटाला

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा शिक्षा विभाग में अनुकंपा नियुक्ति से जुड़ा एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसने प्रदेश के प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। आरोपों के केंद्र में तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) रामनरेश पटेल हैं, जिन पर पद पर रहते हुए नियमों को ताक पर रखकर डाइंग कैडर में चार फर्जी अनुकंपा नियुक्तियाँ करने का आरोप है। यह मामला तब और गंभीर हो जाता है, जब यह खुलासा हुआ है कि रामनरेश पटेल के खिलाफ पहले से ही करोड़ों रुपये के अनुदान घोटाले में एफआईआर दर्ज है, बावजूद इसके वह महत्वपूर्ण पद पर बने हुए हैं। इस पूरे प्रकरण की गूंज अब विधानसभा तक पहुंच गई है, जिससे प्रशासनिक स्तर पर बड़े बदलाव की उम्मीद है।
दागदार अतीत और वर्तमान पद: करोड़ों के अनुदान घोटाले में भी शामिल | Tainted Past and Current Position: Involvement in Crores of Grant Scam
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कौन हैं रामनरेश पटेल और उन पर क्या आरोप हैं?
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तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी रामनरेश पटेल वर्तमान में रीवा के पीजीबीटी कॉलेज के प्राचार्य के पद पर आसीन हैं। लेकिन उनका अतीत विवादों से घिरा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार, डीईओ के अपने कार्यकाल में उन्होंने अशासकीय विद्यालयों को दिए गए चार करोड़ रुपये के अनुदान में बड़ा घोटाला किया था।
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FIR और पद पर बने रहने का विरोधाभास क्या है?
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इस अनुदान घोटाले के संबंध में उनके खिलाफ सिविल लाइन थाने में एफआईआर (FIR) भी दर्ज है।
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बावजूद इसके, आरोप है कि अपने "पैसा और प्रभाव" के चलते उन्होंने कोर्ट से स्टे लेकर प्राचार्य का पद बरकरार रखा है। इस पर सवाल उठ रहे हैं कि गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना कर रहा व्यक्ति कैसे इतने महत्वपूर्ण पद पर बना रह सकता है, जबकि संबंधित फाइलें अभी भी धूल खा रही हैं।
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रामनरेश पटेल के खिलाफ कौन सी FIR है? इस पर विस्तार से बताएं।
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अनुकंपा नियुक्ति में अनियमितता: डाइंग कैडर में 4 नियुक्तियाँ | Irregularities in Compassionate Appointments: 4 Appointments in Dying Cadre
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क्या है अनुकंपा नियुक्ति का नया खेल और डाइंग कैडर का मतलब?
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अनुकंपा नियुक्ति उन कर्मचारियों के आश्रितों को दी जाती है जिनकी सेवाकाल के दौरान मृत्यु हो जाती है, ताकि परिवार को आर्थिक सहारा मिल सके।
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डाइंग कैडर उन पदों को कहा जाता है जिन्हें चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जा रहा है और जिन पर अब नई नियुक्तियाँ नहीं की जाती हैं। ऐसे पदों पर नियुक्ति करना नियमों के विरुद्ध माना जाता है।
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रामनरेश पटेल ने कैसे की 4 फर्जी नियुक्तियाँ?
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आरोप है कि रामनरेश पटेल ने अपने डीईओ कार्यकाल (विशेषकर वर्ष 2020 में) में चार अनुकंपा नियुक्तियाँ डाइंग कैडर के पदों पर कीं, जो कि पूरी तरह से अवैध और फर्जी हैं। यह खुलासा तब हुआ जब विधानसभा में पिछले पांच वर्षों में हुई अनुकंपा नियुक्तियों की जानकारी मांगी गई।
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विधानसभा में अनुकंपा नियुक्ति की जानकारी क्यों मांगी गई? इसके पीछे के राजनीतिक और प्रशासनिक कारणों पर प्रकाश डालें।
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फर्जी नियुक्ति का पर्दाफाश: सुनील कुमार सिंह का मामला | Unveiling the Fraudulent Appointment: The Sunil Kumar Singh Case
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सुनील कुमार सिंह की नियुक्ति में क्या अनियमितता पाई गई?
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सबसे प्रमुख मामला सुनील कुमार सिंह की अनुकंपा नियुक्ति का है, जिसे प्रयोगशाला सेवक के पद पर मॉडल स्कूल त्योथर में आदेश क्रमांक/122 दिनांक 05-06-2020 के द्वारा किया गया।
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उस समय प्रयोगशाला सेवक का पद डाइंग कैडर का था, जिस पर नई नियुक्ति नहीं हो सकती थी।
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प्राचार्य ने नियुक्ति स्वीकार करने से क्यों इनकार किया?
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स्कूल के प्राचार्य ने इस पद पर नियुक्ति स्वीकार करने से इनकार कर दिया, क्योंकि उन्हें पता था कि यह पद डाइंग कैडर का है और इस पर नियुक्ति अवैध है।
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आरोप है कि तत्कालीन डीईओ रामनरेश पटेल ने दबाव डालकर प्राचार्य को सुनील कुमार सिंह को जबरन उपस्थित कराने के लिए मजबूर किया।
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कैसे डीईओ ने दबाव डाला और जबरन उपस्थित कराया? इसके संभावित तरीकों पर चर्चा करें।
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वेतन भुगतान का गतिरोध: नियमों की अनदेखी | Salary Payment Stalemate: Disregard for Rules
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बिना पद के नियुक्ति का वेतन पर क्या असर पड़ा?
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चूंकि सुनील कुमार सिंह की नियुक्ति एक ऐसे पद पर हुई थी जो वास्तव में अस्तित्व में नहीं था (डाइंग कैडर), तो उनका वेतन भुगतान रुक गया।
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वीईओ त्योथर ने मार्गदर्शन क्यों मांगा और डीईओ का जवाब क्या था?
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वेतन भुगतान के संबंध में जब विकास खंड शिक्षा अधिकारी (वीईओ) त्योथर ने पत्र क्रमांक/229 दिनांक 17.08.20 के द्वारा डीईओ श्री पटेल से मार्गदर्शन मांगा, तो उनके द्वारा कोई कार्यालयीन उत्तर नहीं दिया गया।
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इसके बजाय, वीईओ को मौखिक रूप से कहा गया कि इसका वेतन भृत्य (चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी) के पद से भुगतान करें। यह स्पष्ट रूप से नियमों की अनदेखी थी क्योंकि प्रयोगशाला सेवक का पद भृत्य से उच्चतर है।
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वरिष्ठ अधिकारियों के दबाव और नियमों का विरोधाभास क्या है?
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आरोप है कि वरिष्ठ अधिकारी के दबाव के कारण वीईओ त्योथर ने डर के मारे 6 महीने तक प्रयोगशाला सेवक को भृत्य के पद से वेतन भुगतान किया।
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बाद में, कार्यालयीन पत्र क्रमांक/329 दिनांक 08.02.21 द्वारा वीईओ ने पुनः स्पष्ट किया कि शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि बड़े पद का वेतन छोटे पद से नहीं दिया जा सकता है। साथ ही, यह भी बताया कि इस विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक का पद पोर्टल पर नहीं है और यह डाइंग कैडर का पद है, अतः पोर्टल से वेतन भुगतान संभव नहीं है। यह पत्र तत्कालीन डीईओ रामनरेश पटेल की अनियमितताओं का ठोस सबूत माना जा रहा है।
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अन्य फर्जी नियुक्तियाँ और जांच की मांग | Other Fraudulent Appointments and Demand for Investigation
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रामनरेश पटेल द्वारा की गई अन्य फर्जी नियुक्तियां कौन सी हैं?
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सुनील कुमार सिंह के अलावा, वर्ष 2020 में ही डीईओ रामनरेश पटेल ने प्रकाश नारायण उपाध्याय की अनुकंपा नियुक्ति प्रयोगशाला सेवक के पद पर शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (शाउमावि) सितलहा में दिनांक 17.04.20 को की।
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इसके अतिरिक्त, उन्होंने अपने कार्यकाल में दो अन्य ऐसी ही नियुक्तियाँ कीं।
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ये चारों नियुक्तियाँ डाइंग कैडर में की गईं, जो इन्हें अवैध और फर्जी बनाती हैं।
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आयुक्त रीवा संभाग से क्या मांग की जा रही है?
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आयुक्त महोदय रीवा संभाग से मांग की जा रही है कि विधानसभा में मांगी गई 05 वर्ष में हुई अनुकंपा नियुक्ति की जानकारी के समय सामने आए इस 2020 के "चिठ्ठे" (घोटाले) को संज्ञान में लेते हुए तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी रामनरेश पटेल के खिलाफ तत्काल निलंबन की कार्यवाही प्रस्तावित करें।
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बृजेश कोल मामला और जांच की स्थिति | Brijesh Kol Case and Status of Investigation
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बृजेश कोल अनुकंपा नियुक्ति मामला क्या है?
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इस पूरे विवाद की शुरुआत बृजेश कोल की अनुकंपा नियुक्ति से हुई, जो भृत्य पद पर फर्जीबाड़े से जुड़ी थी।
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इस मामले में जांच शाखा लिपिक रमाप्रसन्न द्विवेदी सहित अन्य पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है।
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वर्तमान में कौन सी जांच चल रही है और उसका क्या प्रभाव होगा?
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शाखा लिपिक, लिंक अधिकारी और जिला शिक्षा अधिकारी को निलंबित कर कमिश्नर रीवा ने 3 वर्ष की अनुकंपा नियुक्तियों की जांच बैठाई है, जो अभी प्रचलन में है।
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जांच रिपोर्ट आने पर तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी गंगा प्रसाद उपाध्याय के ऊपर भी निलंबन की गाज गिरना तय माना जा रहा है, क्योंकि उन्होंने भी जाते-जाते एक फर्जी अनुकंपा नियुक्ति की थी।
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डीईओ गंगा प्रसाद उपाध्याय पर निलंबन की गाज क्यों गिर सकती है? इस पर विस्तार से चर्चा करें।
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प्रशासन पर दबाव और विधानसभा में गूंज | Pressure on Administration and Echoes in Assembly
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कैसे यह मामला पूरे मध्य प्रदेश में फैला और विधानसभा तक पहुंचा?
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इस मामले की गंभीरता और अनियमितताओं की जानकारी जब पूरे मध्य प्रदेश में फैली, तो विधानसभा में प्रश्न लगाकर पिछले पांच वर्षों में हुई अनुकंपा नियुक्तियों की जानकारी खंगाली जाने लगी।
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यहीं से रामनरेश पटेल के कार्यकाल में हुई ये चार फर्जी नियुक्तियाँ सामने आईं।
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प्रशासन और सरकार पर क्या दबाव है?
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इस खुलासे के बाद प्रशासन और सरकार पर इस मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया है, खासकर जब मामला विधानसभा में उठ चुका है।
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कैसे विधानसभा प्रश्न ने नए खेल को उजागर किया? इसके प्रक्रियात्मक पहलुओं को समझाएं।
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भविष्य की संभावनाएं और न्याय की उम्मीद | Future Prospects and Hope for Justice
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इस घोटाले के क्या संभावित परिणाम हो सकते हैं?
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रामनरेश पटेल सहित अन्य दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ निलंबन, विभागीय जांच, एफआईआर और आपराधिक मुकदमे।
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फर्जी नियुक्तियों का रद्द होना।
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न्याय सुनिश्चित करने के लिए क्या आवश्यक है?
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आयुक्त संभाग और राज्य सरकार से निष्पक्ष और त्वरित जांच की अपेक्षा है।
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यह घोटाला शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है, जिससे भविष्य में ऐसी अनियमितताओं पर रोक लग सके।
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FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
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अधिकारी रामनरेश पटेल पर मुख्य रूप से क्या आरोप हैं?
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मुख्य रूप से उन पर डाइंग कैडर में चार फर्जी अनुकंपा नियुक्तियां करने और 4 करोड़ रुपये के अनुदान घोटाले में शामिल होने का आरोप है।
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"डाइंग कैडर" क्या होता है और इसमें नियुक्ति क्यों अवैध है?
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डाइंग कैडर वे पद होते हैं जिन्हें धीरे-धीरे समाप्त किया जा रहा है और जिन पर नई नियुक्तियां नहीं की जाती हैं। ऐसे पदों पर नियुक्ति करना नियमों के विरुद्ध है।
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रामनरेश पटेल के खिलाफ अनुदान घोटाले में FIR दर्ज होने के बावजूद वे कैसे पद पर बने हुए हैं?
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आरोप है कि उन्होंने "पैसा और प्रभाव" के चलते कोर्ट से स्टे ले रखा है, जिससे वे वर्तमान में पीजीबीटी कॉलेज रीवा के प्राचार्य बने हुए हैं।
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यह मामला विधानसभा में कैसे पहुंचा?
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राज्य में अनुकंपा नियुक्तियों से जुड़ी अनियमितताओं की गूंज फैलने के बाद विधानसभा में पिछले पांच वर्षों में हुई अनुकंपा नियुक्तियों की जानकारी मांगी गई, जिससे यह मामला उजागर हुआ।
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बृजेश कोल मामला क्या है और इसकी जांच का क्या प्रभाव होगा?
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बृजेश कोल की अनुकंपा नियुक्ति भृत्य पद पर फर्जीवाड़े से जुड़ी थी, जिसमें एफआईआर दर्ज हुई है। इसकी जांच चल रही है और रिपोर्ट आने पर तत्कालीन डीईओ गंगा प्रसाद उपाध्याय पर भी निलंबन की कार्रवाई हो सकती है।
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