रीवा में लोग बोले: 'क्या अब हवा के लिए भी पैसे देने पड़ेंगे?' अटल पार्क में शुल्क लगाने पर भड़की जनता

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा का अटल पार्क, जो कभी शहर के निवासियों के लिए योग, व्यायाम और सामाजिक मेलजोल का एक मुफ्त केंद्र था, अब एक बड़े बदलाव से गुजरने वाला है। नगर निगम ने इस पार्क के संचालन के लिए एक ऑनलाइन निविदा (टेंडर) प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसका सीधा मतलब है कि अब पार्क में प्रवेश के लिए शुल्क देना होगा। यह निर्णय जनता के लिए समर्पित एक सार्वजनिक स्थान के 'निजीकरण' की ओर एक कदम माना जा रहा है, और इस पर कई सवाल भी उठ रहे हैं।
यह पार्क पहले 24 घंटे खुला रहता था और प्रेस कॉन्फ्रेंस, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और अन्य आयोजनों का केंद्र था। यह अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर बना है, जो एक सार्वजनिक व्यक्ति थे और उनका जीवन सादगी से जुड़ा था। ऐसे में उनके नाम पर बने पार्क का निजीकरण करना कई लोगों को अनुचित लग रहा है।
अधिवक्ता बी.के. माला का विरोध क्यों है?
रीवा के वरिष्ठ अधिवक्ता बी.के. माला ने इस फैसले पर अपनी गहरी आपत्ति जताई है। उनका तर्क है कि नगर निगम के पास पार्क के प्रबंधन और रखरखाव के लिए पहले से ही पर्याप्त संसाधन और कर्मचारी हैं, तो फिर शुल्क लगाने की क्या जरूरत है? उनका मानना है कि यह निर्णय जनता पर अनावश्यक बोझ डालेगा, क्योंकि रीवा में पहले से ही इको पार्क, रानी तालाब और संजय गांधी पार्क जैसे कई स्थानों पर प्रवेश शुल्क लगता है।
निजीकरण की आशंका और भविष्य की चिंताएं
अधिवक्ता माला ने इस बात पर भी चिंता जताई है कि एक बार निजी हाथों में जाने के बाद पार्क का मूल उद्देश्य बदल सकता है। उन्होंने राज कपूर ऑडिटोरियम का उदाहरण दिया, जिसे सार्वजनिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए बनाया गया था, लेकिन अब इसका उपयोग मुख्य रूप से शादियों और निजी समारोहों के लिए किया जाता है। उन्हें डर है कि अटल पार्क का भी यही हश्र हो सकता है।
नई निविदा के अनुसार, पार्क केवल सुबह 6 बजे से 8 बजे तक ही मुफ्त रहेगा। इस दो घंटे के बाद, प्रवेश के लिए शुल्क देना अनिवार्य होगा। यह बदलाव उन लोगों के लिए एक झटका है जो दिन के अन्य समय में पार्क का उपयोग करते थे।
माला ने इस बात पर जोर दिया है कि पार्क को नगर निगम के नियंत्रण में ही रहना चाहिए और पहले की तरह 24 घंटे जनता के लिए मुफ्त रहना चाहिए। उनका मानना है कि अटल जी के नाम पर बना यह पार्क जनता की सेवा के लिए ही समर्पित होना चाहिए, न कि व्यावसायिक लाभ के लिए। इस मुद्दे पर जनता की प्रतिक्रिया भी काफी तीखी है, और कई लोग इस फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।