देशभक्ति भूलीं BEO: रीवा की आकांक्षा सोनी पर हो कड़ी कार्रवाई, राष्ट्रीय सम्मान से खिलवाड़ क्यों?

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा की ब्लॉक शिक्षा अधिकारी आकांक्षा सोनी की स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण न करने की लापरवाही को अब केवल एक गलती कहकर नहीं टाला जा सकता। यह मामला सिर्फ प्रशासनिक चूक का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सम्मान और नियमों के खुले उल्लंघन का है। जब पूरा देश देशभक्ति के रंग में डूबा था, तब बीईओ कार्यालय का सूना पड़ा रहना यह दिखाता है कि आकांक्षा सोनी को न तो देश के प्रति अपने कर्तव्य की परवाह है और न ही कलेक्टर के आदेशों की। इस गंभीर लापरवाही के लिए उन पर अब तत्काल और सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
देशभक्ति पर लापरवाही भारी: एक अक्षम्य अपराध
स्वतंत्रता दिवस पर अपने कार्यालय में तिरंगा न फहराना एक अक्षम्य अपराध है। यह सिर्फ एक नियम का उल्लंघन नहीं, बल्कि उन लाखों शहीदों का अपमान है जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। जिस अधिकारी को भावी पीढ़ी को देशभक्ति और राष्ट्रीय मूल्यों की शिक्षा देने का जिम्मा सौंपा गया है, वही इस तरह की घोर लापरवाही करे तो यह बेहद शर्मनाक है। यह लापरवाही बताती है कि राष्ट्रीय गौरव उनके लिए कोई मायने नहीं रखता। ऐसे में, यह जरूरी है कि उन पर ऐसी कार्रवाई हो जो अन्य अधिकारियों के लिए एक सबक बने।
पद का दुरुपयोग और मनमानी का पुराना रिकॉर्ड
यह पहली बार नहीं है जब आकांक्षा सोनी पर गंभीर आरोप लगे हैं। उनके खिलाफ पहले भी पद का दुरुपयोग करने और मनमाने तरीके से काम करने की शिकायतें सामने आ चुकी हैं। यह भी बताया गया है कि डीईओ ने इन आरोपों की जांच के लिए एक टीम भी गठित की थी, लेकिन लगता है कि जांच का कोई नतीजा नहीं निकला। उन्हें मिली यह छूट ही उन्हें इस तरह की बड़ी लापरवाही करने का साहस दे रही है। उनका पुराना रिकॉर्ड यह साबित करता है कि वे प्रशासनिक नियमों और जवाबदेही को लगातार अनदेखा करती रही हैं।
सख्त कदम जरूरी: क्या प्रशासन लेगा एक्शन?
अब गेंद रीवा के प्रशासन के पाले में है। कलेक्टर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की लापरवाही का नहीं, बल्कि पूरी व्यवस्था पर लगे दाग का है। यदि इस तरह की घोर लापरवाही पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती, तो यह अन्य अधिकारियों को भी मनमानी करने का संदेश देगा। आकांक्षा सोनी को न केवल निलंबित किया जाना चाहिए, बल्कि उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी शुरू की जानी चाहिए ताकि भविष्य में कोई अधिकारी इस तरह की गलती करने की हिम्मत न करे। देश के सम्मान से कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
क्या हैं कानूनी प्रावधान?
राष्ट्रीय ध्वज का अनादर करने या उसके प्रति लापरवाही बरतने पर राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के तहत कार्रवाई की जाती है। इस अधिनियम की धारा 2 के अनुसार, जो कोई भी व्यक्ति जानबूझकर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का अनादर करता है या उसे जलाता है, फाड़ता है, विकृत करता है, तो उसे तीन साल तक की जेल, जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
हालांकि, यह मामला थोड़ा अलग है, क्योंकि यहां ध्वज का प्रत्यक्ष अपमान नहीं हुआ, बल्कि एक सरकारी कार्यालय में राष्ट्रीय पर्व के मौके पर ध्वजारोहण न करने की गंभीर चूक हुई है। यह भी राष्ट्रीय ध्वज संहिता (Flag Code of India) के नियमों का उल्लंघन है, जो यह सुनिश्चित करती है कि राष्ट्रीय ध्वज को सम्मान के साथ फहराया जाए।
सरकारी अधिकारी पर क्या कार्रवाई होगी?
एक सरकारी अधिकारी होने के नाते, यह उनका कर्तव्य है कि वे भारत के संविधान और उसके आदर्शों का पालन करें। संविधान के अनुच्छेद 51A(a) में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि "भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों और संस्थाओं, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करे।"
जब एक सरकारी अधिकारी इस कर्तव्य का पालन नहीं करता, तो उस पर निम्नलिखित कार्रवाई की जा सकती है:
- विभागीय जांच : सबसे पहले, उस अधिकारी के खिलाफ एक विभागीय जांच शुरू की जाएगी। इस जांच में यह देखा जाएगा कि क्या लापरवाही जानबूझकर की गई थी या इसके पीछे कोई अन्य कारण था।
- निलंबन: जांच के दौरान अधिकारी को निलंबित किया जा सकता है, ताकि वह अपने पद का दुरुपयोग न कर सके।
- जुर्माना या दंड : जांच में दोषी पाए जाने पर, अधिकारी पर जुर्माना लगाया जा सकता है या उसे पदोन्नति से रोका जा सकता है।
- पद से हटाना : यदि लापरवाही बहुत गंभीर पाई जाती है, तो अधिकारी को सरकारी सेवा से बर्खास्त भी किया जा सकता है।
आगे क्या होना चाहिए?
इस मामले में, रीवा के कलेक्टर को बीईओ आकांक्षा सोनी के खिलाफ तुरंत विभागीय जांच का आदेश देना चाहिए। यह जांच न केवल स्वतंत्रता दिवस पर हुई चूक, बल्कि उनके खिलाफ लगे मनमानी के पिछले आरोपों को भी शामिल करे। ऐसे मामले में, केवल एक चेतावनी देना काफी नहीं होगा, क्योंकि यह अन्य अधिकारियों को भी नियमों का उल्लंघन करने का संदेश देगा।
कानून और नैतिकता दोनों ही इस बात की मांग करते हैं कि राष्ट्रीय सम्मान को ठेस पहुँचाने वाले किसी भी कृत्य के लिए सख्त कार्रवाई हो। ऐसे में, यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है।