REWA BIG NEWS : अनुदान घोटाले का मामला, तीन डीईओ फंसे, 18 प्राचार्य और अधिकारियों पर फिर होगी FIR : जेडी ने दर्ज कराई शिकायत

 
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  • डीईओ ऑफिस में हुए अनुदान घोटाले में तीसरी एफआईआर की तैयारी
  • सीएम के निर्देश पर हुई जांच और कार्रवाई

MP/ REWA NEWS : रीवा .स्कूल शिक्षा विभाग में हुए अनुदान घोटाले में आरोपियों की संख्या और बढ़ गई है। पहले 24 के खिलाफ एफआईआर कराई गई थी। अब भोपाल की जांच कमेटी की रिपोर्ट पर 14 और नए अधिकारी, कर्मचारी जुड़ गए हैं। तीसरी एफआईआर कराई जा रही है। सिविल थाना में कैशियर अशोक शर्मा, सहायक अध्यापक लाइन थाना में जेडी ने एफआईआर के लिए विजय तिवारी और अनुदान शाखा प्रभारी के आवेदन दे दिया है।

ज्ञात हो कि स्कूल शिक्षा विभाग में अनुदान प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों को अनुदान राशि के भुगतान में फर्जीवाड़ा किया था। महालेखाकार ग्वालियर की ऑडिट में आपत्ति सामने आई थी। वर्ष 2018 से 2019 के बीच में सिर्फ 70.67 लाख गबन की आपत्ति आई थी। जब तत्कालीन कलेक्टर डॉ इलैया राजा टी ने मामले की स्थानीय स्तर पर टीम बनाकर जांच कराई यह महाघोटाला बन कर सामने आया था। अनुदान प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों के एरियर और वेतन घोटाले में 2 करोड़ 18 लाख 39 हजार 901 रुपए का गबन मिला था। इसके अलावा कई स्कूलों को बिना सामानों की सप्लाई के ही बिल बाउचर पास करा लिए। इससे करीब 2 करोड़ 23 लाख का गबन किया गया। इस फर्जीवाड़ा में करीब 24 लोगों पर एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इसके अलावा तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी आरएन पटेल ने भी सिविल लाइन थाना में कैशियर अशोक शर्मा, सहायक अध्यापक विजय तिवारी और अनुदान शाखा प्रभारी के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराई थी।

इसी मामले की जांच भोपाल तक भी पहुंची थी। आयुक्त लोक शिक्षण ने तीन सदस्यीय टीम ने रीवा पहुंच कर जांच की थी। जांच के बाद प्रतिवेदन शासन को भेजा था। इसमें अनुदान घोटाला और सामग्री घोटाले की राशि भी बढ़ गई है। अब यह राशि भोपाल टीम की जांच के बाद 5 करोड़ 10 लाख पहुंच गई है। इसी मामले में जांच प्रतिवेदन के बाद भोपाल 1 से 18 लोगों के खिलाफ एफआईआर के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। निजी मैसेंजर से रिकार्ड भी रीवा पहुंच गया है। जेड़ी को एफआईआर की जिम्मेदारी दी गई है। जेडी ने रविवार को सिविल लाइन थाना पहुंच कर एफआईआर के लिए आवेदन भी दे दिया है।

यह सब आए रडॉर पर
जेडी लोक शिक्षण भोपाल की जांच टीम के प्रतिवेदन और अनुशंसा पर तत्कालीन वर्तमान बीमार चल रहे डीईओ, तत्कालीन रमसा प्रभारी व वर्तमान में डीईओ सीधी, प्राचार्य शाउमावि दुबगवां कर्मियान हीरामणि प्रजापति, सीपी साकेत, प्राचार्य शाउमावि बराव वर्तमान में प्राचार्यं गोड़हर, रामदेव वर्मा प्राचार्य शाउमावि पिपराही हनुमना, श्रीमती उमा द्विवेदी प्राचार्य शाउमावि प्रतापगंज हनूमना, रामकृष्ण तत्कालीन प्राचार्य शाउमावि हनुमना, दिव्या द्विवेदी तत्कालीन प्राचार्य शाउमावि कटरा, संतोष तिवारी तत्कालीन प्राचार्य शाउमावि रंगौली, रामनिवास मिश्रा तत्कालीन प्राचार्य पहाड़ी, जय कृष्ण उपाध्याय निलंबित प्राचार्य शाउमावि सोनौरी, अशोक शर्मा लेखापाल कार्यालय डीईओ रीवा, अखिलेश तिवारी पर कार्रवाई शुक्रवार को संभव है। सहायक ग्रेड 3 डीईओ आफिस, मुन्नालाल वर्मा बरिष्ठ लेखा परीक्षक कार्यालय डीईओ, कमलापति त्रिपाठी लिपिक डीईओ कार्यालय, विजय तिवारी अध्यापक बीईओ कार्यालय रायपुर कर्चुलिया, तत्कालीन बेडी अंजनी त्रिपाठी के खिलाफ एफआईआर कराने की तैयारी है।

पहले 24 के खिलाफ हो चुकी है एफआईआर
अनुदान और सामग्री खरीदी घोटाला में यह तीसरी एफआईआर होगी। इसके पहले तत्कालीन डीईओ रामनरेश पटेल ने तीन के खिलाफ एफआईआर कराई थी। इसके बाद तत्कालीन डीईओ के पी तिवारी ने जांच के बाद 24 लोगों के खिलाफ एफआईआर सिविल लाइन थाना में दर्ज कराई थी अब नई एफआईआर में 18 लोग शामिल जेडी लोक शिक्षण ने भोपाल की जांच टीम के हैं। इसमें तीन पूर्व और वर्तमान डीईओ भी शामिल प्रतिवेदन और अनुशंसा पर तत्कालीन डीईओ, हैं। कई स्कूलों के प्राचार्य भी जद में आए हैं।

स्पेशल मैसेंजर से पहुंचा दस्तावेज
आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय से अनुदान और सामग्री का घोटाले से जुड़े दस्तावेज और एफआईआर कराने का आदेश स्पेशल मैसेंजर से रीवा जेडी कार्यालय पहुंचा। इस घोटाले में कई "मिश्रा डीईओ भी फंस रहे हैं। ऐसे में एफआईआर की जिम्मेदारी जेडी लोक शिक्षण को दी गई है। शनिवार को जेडी लोक शिक्षण में एफआईआर कराने की रणनीति तैयार की गई। रविवार को दस्तावेज सहित एक शिकायत जेडी लोक शिक्षण रीवा ने सिविल लाइन थाना में दर्ज कराई है।

वर्तमान डीईओ भी फंस गए
पूर्व डीईओ के हाथ तो अनुदान घोटाले में फंसे ही थे। वर्तमान डीईओ गंगा प्रसाद भी नहीं बच पाए। इन्हें पद पर रहते हुए अनुदान प्राप्त शिक्षकों को दोहरा भुगतान करके उलझ गए। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में कुछ ऐसे भी लिपिक हैं, जो अटैचमेंट में है। इन्हीं की डीईओ अब एफआईआर की जद में आ गए हैं। इतना ही नहीं अटैचमेंट वाले कर्मचारी के चक्कर में एक लिपिक का भी नाम इसमें जुड़ गया है।

थाना में शिकायत आई है। अभी उसका अध्ययन नहीं कर पाए है। जुलूस वगैरह में व्यस्त थे। कल देखते हैं। अनुदान से जुड़ा हुआ मामला है। पहले भी इसमें एफआईआर हुई है। हितेन्द्रनाथ शर्मा थाना प्रभारी, सिविल लाइन रीवा

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