विजिलेंस की विश्वसनीयता खतरे में: रीवा में ₹25,000 रिश्वत का वीडियो लीक, उच्च अधिकारी मौन; कब मिलेगा पीड़ित उपभोक्ता को न्याय?

ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा जिले के बिजली विभाग की विजिलेंस टीम पर भ्रष्टाचार के अत्यंत गंभीर आरोप लगे हैं, जिसने विभाग की विश्वसनीयता पर गहरा प्रश्नचिह्न लगा दिया है। आरोप है कि विजिलेंस टीम ने एक उपभोक्ता के खिलाफ कार्रवाई करने के बाद, सी. नाम के एक निजी व्यक्ति के माध्यम से उनसे लाखों रुपये की अवैध वसूली करने की कोशिश की।
यह पूरी घटना तब प्रकाश में आई जब वसूली की बातचीत का एक वायरल वीडियो सार्वजनिक हुआ। इस वीडियो में विजिलेंस के कर्मचारी स्पष्ट रूप से रिश्वत की मांग करते सुनाई देते हैं, जो दर्शाता है कि कार्रवाई का उद्देश्य भ्रष्टाचार को समाप्त करना नहीं, बल्कि व्यक्तिगत वसूली का माध्यम बन चुका है।
वायरल वीडियो और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन: वसूली के प्रमाण
रीवा बिजली विभाग में भ्रष्टाचार के क्या सबूत हैं? इस भ्रष्टाचार के समर्थन में ठोस प्रमाण मौजूद हैं। वायरल वीडियो के अलावा, यह भी बताया गया है कि विजिलेंस टीम के कर्मचारी पहले ही अपने व्यक्तिगत खातों में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के माध्यम से पैसा प्राप्त कर चुके हैं।
वायरल वीडियो के मुख्य अंशों से स्पष्ट है कि कर्मचारी उपभोक्ता से ₹25,000 की मांग कर रहे हैं। इस राशि को उन्होंने विभाजित करके बताया: ₹5,000 उनके अपने हिस्से के लिए, और ₹20,000 अन्य उच्च अधिकारियों के लिए। यह बातचीत न केवल रिश्वतखोरी को प्रमाणित करती है, बल्कि विभाग के शीर्ष स्तर तक भ्रष्टाचार के फैलाव का भी संकेत देती है।
'मामला दबाने' की कोशिश और ₹25,000 की रिश्वत की मांग
वीडियो में कर्मचारी उपभोक्ता को स्पष्ट रूप से सलाह देते सुनाई देते हैं कि वे इस मामले को ऊपर न जाने दें और इसे अपने स्तर पर ही निपटा लें। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि मामला वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचा, तो उपभोक्ता के लिए बड़ी दिक्कत हो सकती है। यह बातचीत दर्शाती है कि कर्मचारी भ्रष्टाचार को दबाने और अपने अवैध कृत्यों को छिपाने की हर संभव कोशिश कर रहे थे।
एक संवेदनशील पहलू यह भी है कि बातचीत में कर्मचारी यह स्वीकार करते हैं कि वे गरीब उपभोक्ता की समस्या को समझते हैं, जो कर्ज लेकर रिश्वत के पैसे दे रहा है। इसके बावजूद, उन्होंने अपनी वसूली की कार्रवाई जारी रखी।
विभाग की चुप्पी: न्याय के लिए संघर्ष करता उपभोक्ता
भ्रष्टाचार की इस गंभीर घटना के बाद, पीड़ित उपभोक्ता न्याय पाने के लिए लगातार उच्च अधिकारियों के चक्कर काट रहा है। हालांकि, चौंकाने वाली बात यह है कि विभाग की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया या कार्रवाई सामने नहीं आई है।
विभाग का यह मौन और निष्क्रियता इस बात की ओर इशारा करता है कि या तो वे इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं, या उन्हें अपनी विजिलेंस टीम की कार्रवाई पर कोई आपत्ति नहीं है। पीड़ित उपभोक्ता को न्याय कैसे मिलेगा? विभाग की यह अनिच्छा और निष्क्रियता पीड़ित के न्याय की राह में बड़ी बाधा है।
मुख्य निष्कर्ष: जवाबदेही और पारदर्शिता की आवश्यकता
यह पूरा मामला कई गंभीर निष्कर्षों की ओर इशारा करता है:
- विजिलेंस का दुरुपयोग: भ्रष्टाचार को रोकने के लिए बनाई गई विजिलेंस टीम स्वयं वसूली का माध्यम बन चुकी है, जिससे विभाग की विश्वसनीयता को अपूरणीय क्षति पहुंची है।
- जवाबदेही का अभाव: इस घटना ने प्रशासनिक स्तर पर जवाबदेही और पारदर्शिता की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया है। दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर तत्काल और कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
- पीड़ित का संघर्ष: विभाग की अनिच्छा के कारण पीड़ित उपभोक्ता न्याय पाने के लिए संघर्ष कर रहा है, जो सुशासन के सिद्धांतों के खिलाफ है।
- सुझाव: विभाग को तुरंत एक निष्पक्ष जांच समिति गठित करनी चाहिए, दोषी कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, और भविष्य में इस तरह के दुरुपयोग को रोकने के लिए ठोस पारदर्शिता उपाय लागू करने चाहिए।
वीडियो के अंत में सोलर योजना का प्रचार
भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों को उजागर करने वाले इस वीडियो के अंत में एक विज्ञापन भी संलग्न है।
- योजना: प्रधानमंत्री की "सोलर घर योजना" (या सोलर ऊर्जा योजना)।
- प्रस्ताव: योजना के तहत ₹78,000 की सब्सिडी के साथ सोलर पैनल लगाने की सुविधा दी जा रही है।
- प्रचारक: "राज किरण एंटरप्राइजेस", जिसका पता और संपर्क नंबर भी दिया गया है (रीवा में स्थित)।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न: रीवा बिजली विभाग में विजिलेंस टीम पर मुख्य आरोप क्या है?
उत्तर: उन पर कार्रवाई खत्म करने के बदले में उपभोक्ता से लाखों रुपये की अवैध वसूली करने और रिश्वत लेने का आरोप है।
प्रश्न: वायरल वीडियो में रिश्वत की कितनी रकम मांगी गई थी?
उत्तर: वीडियो में ₹25,000 की रिश्वत मांगी गई थी, जिसमें से ₹5,000 कर्मचारियों के लिए और ₹20,000 अन्य अधिकारियों के लिए थे।
प्रश्न: क्या विभाग ने इन आरोपों पर कोई कार्रवाई की है?
उत्तर: विभाग की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया या कार्रवाई नहीं आई है, जिससे पीड़ित उपभोक्ता न्याय के लिए संघर्ष कर रहा है।
प्रश्न: वीडियो के अंत में किस योजना का विज्ञापन है?
उत्तर: वीडियो के अंत में प्रधानमंत्री की "सोलर घर योजना" का विज्ञापन है, जिसमें ₹78,000 की सब्सिडी का उल्लेख है।