REWA : 1952 से लेकर भाजपा ने रीवा संसदीय सीट पर पांचवी बार जीता है मुकाबला, भाजपा प्रत्याशी जनार्दन मिश्रा चुनाव जीतने में रहें कामयाब

 
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रीवा संसदीय क्षेत्र में एक बार भाजपा ने सेंध लगाई। जहां भाजपा प्रत्याशी जनार्दन मिश्रा चुनाव जीतने में कामयाब रहे। रीवा में कुल 20 चरण की मतगणना हुई। जिसमें सभी चरणों की मतगणना में भाजपा प्रत्याशी आगे रहे। कांग्रेस प्रत्याशी को पूरे मुकाबले में किसी भी राउंड में बढ़त नहीं मिली। जहां जीत-हार का अंतर 1 लाख 93 हजार 374 मतों का रहा। कांग्रेस उम्मीदवार नीलम अभय मिश्रा को 2 लाख 84 हजार 85 वोट मिले। जबकि जनार्दन मिश्रा को कुल 4 लाख 77 हजार 459 वोट मिले।

बसपा को एक लाख वोट मिलने की वजह
बसपा के उम्मीदवार अभिषेक मास्टर बुद्धसेन पटेल को 117221 वोट मिले। जहां रीवा संसदीय क्षेत्र से 14 उम्मीदवारों के बीच बसपा तीसरे स्थान पर रही। 1991,1996 और 2009 में बसपा रीवा से जीत दर्ज कर चुकी है। बसपा से 1991 में भीम सिंह पटेल,1996 में बुद्धसेन पटेल और 2009 में देवराज सिंह पटेल जीत दर्ज कर चुके हैं। बसपा के पारंपरिक वोटर रीवा में 90 के दशक से है। यही कारण है कि कांग्रेस और भाजपा जैसी मुख्य पार्टियों की टक्कर के बीच बसपा ने 1 लाख से ज्यादा वोट हासिल किए। रीवा संसदीय सीट उत्तरप्रदेश की सीमा से लगी हुई है। जिस वजह से यहां पर 90 के दशक से ही बसपा का अच्छा-खासा प्रभाव रहा है।

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14 प्रत्याशियों के होते हुए 6936 ने नोटा को चुना
रीवा संसदीय क्षेत्र से 14 प्रत्याशियों के होने के बाद भी 6936 मतदाताओं ने नोटा को चुनना ज्यादा पसंद किया। राजनीतिक जानकारों की माने तो नोटा चुनने वालों में बड़ी संख्या युवा वर्ग के लोगों की भी हो सकती है। जो सरकारों या राजनैतिक पार्टियों के कामकाज के तरीके से खुश नहीं हैं। वहीं निर्दलीय उम्मीदवारों को कुल 20 हजार 877 वोट मिले हैं। निर्दलीय उम्मीदवारों में अरूण तिवारी को 1113 मत, अरूणेन्द्र नारायण पाण्डेय को 1551 मत, जनार्दन मिश्रा को 2295 मत, दयाशंकर पाण्डेय को 4610 मत, प्रसन्नजीत सिंह को 3313 मत, इंजीनियर रामकुमार सोनी को 3873 मत और रोशनलाल कोल को 4122 वोट मिले हैं। डाकमत पत्रों समेत कुल मतों की संख्या 919647 रही।

1952 से लेकर भाजपा ने रीवा संसदीय सीट पर पांचवी बार जीता है मुकाबला
रीवा संसदीय सीट पर भाजपा ने पांचवी बार जीत हासिल की है। इस संसदीय सीट पर भाजपा के जीत की शुरुआत 1998 में हुई थी। जब यहां से चंद्रमणि त्रिपाठी कांग्रेस और बसपा को हराकर सांसद बने थे। 1999 में भाजपा यहां से चुनाव हार गई। 1999 में कांग्रेस के श्रीनिवास तिवारी ने जीत हासिल की। 2004 में भाजपा ने एक बार फिर इस सीट पर वापसी की। चंद्रमणि त्रिपाठी ही दूसरी बार भाजपा से सांसद बने। 2009 में बसपा ने मुकाबला जीता। 2014 में भाजपा ने एक बार फिर वापसी की। जिसके बाद 2019 और 2024 में भी जीत हासिल की है।

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त्योंथर,सिरमौर और सेमरिया में ही कांग्रेस दे सकी टक्कर
रीवा में मतगणना 20 चरणों में संपन्न हुई। जिसमें हर चरण की मतगणना में सिरमौर,सेमरिया और त्योंथर को छोड़कर अन्य जगहों पर कांग्रेस भाजपा से काफी पिछड़ी हुई नजर आई। सेमरिया से कांग्रेस ने भाजपा को अच्छी टक्कर दी। उसका प्रमुख कारण यह भी है कि कांग्रेस प्रत्याशी नीलम मिश्रा के पति अभय मिश्रा सेमरिया से विधायक हैं। पहले चरण की मतगणना में सेमरिया से भाजपा ने 3553 जबकि कांग्रेस ने 2820 वोट हासिल किए। दूसरे चरण की मतगणना में सेमरिया से भाजपा ने 3313 तो भाजपा ने 3253 वोट हासिल किए। तीसरे चरण की मतगणना में सेमरिया से भाजपा ने 3462 जबकि कांग्रेस ने 3395 वोट हासिल किए हैं। छठे चरण की मतगणना में सेमरिया से भाजपा ने 2628 जबकि कांग्रेस ने 2687 वोट हासिल किए।

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