MP में मौत का 'सिरप'! छिंदवाड़ा के बाद रीवा में हड़कंप; डिप्टी सीएम का सख्त एक्शन: रीवा के बाजार से तुरंत हटाओ वो 'कातिल सिरप'!

 
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डाय-एथिलीन ग्लाइकॉल युक्त 'Coldrif Syrup' पर MP में प्रतिबंध; रीवा के SGMH में सभी सिरप की जाँच, डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने दिए कड़े निर्देश।    

ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत की पीड़ादायक घटना ने पूरे राज्य के स्वास्थ्य तंत्र को हिलाकर रख दिया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा कराई गई जांच में इस विषाक्त त्रासदी का कारण सामने आया है। बच्चों को दी गई Coldrif Syrup में डाय-एथिलीन ग्लाइकॉल (Di-ethylene Glycol) नामक जहरीला रसायन 48.6% w/v की अत्यधिक मात्रा में पाया गया है।

डाय-एथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) एक औद्योगिक विलायक (Industrial Solvent) है, जिसका उपयोग एंटी-फ्रीज या ब्रेक फ्लूइड जैसे उत्पादों में होता है। इसे गलती से या जानबूझकर सस्ती मिठास के लिए फार्मास्यूटिकल्स में मिला दिया जाता है, जबकि यह मानव शरीर के लिए बेहद घातक है। इसके सेवन से किडनी (गुर्दे) और लिवर (यकृत) फेलियर होता है, जो बच्चों में तेजी से मौत का कारण बनता है। इसी घातक रसायन की पुष्टि होने के बाद, तमिलनाडु की Sresan Pharmaceutical द्वारा निर्मित Coldrif Syrup की बिक्री और वितरण पर पूरे मध्यप्रदेश में तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है।

रीवा में सरकारी अस्पतालों और दवा दुकानों पर विशेष निगरानी, संजय गांधी अस्पताल में सख्ती 
छिंदवाड़ा की घटना के बाद, रीवा जिले में भी स्वास्थ्य विभाग अतिरिक्त सावधानी बरत रहा है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि मरीजों को गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों पर खरी उतरने वाली दवाएँ ही मिलें, सरकारी अस्पतालों और निजी दवा दुकानों पर कफ सिरप की गहन जांच शुरू कर दी गई है।

SGMH अधीक्षक की तत्परता:
रीवा संभाग के सबसे बड़े स्वास्थ्य केंद्र संजय गांधी अस्पताल (SGMH) के अधीक्षक डॉ. राहुल मिश्रा ने बताया कि अस्पताल में उपयोग की जा रही सभी कफ सिरप की जांच के लिए डॉक्टरों की एक विशेष टीम लगाई गई है। उनका स्पष्ट निर्देश है कि किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ न हो, इसलिए हर सिरप की गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जा रहा है।

उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल का कड़ा रुख:
शनिवार को रीवा में मौजूद प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने इस मामले पर गहरा दुख और पीड़ा व्यक्त करते हुए राज्य सरकार की तरफ से कड़े निर्देश जारी किए। उन्होंने स्पष्ट किया कि:

  • यदि कहीं भी प्रतिबंधित Coldrif Syrup उपलब्ध मिलता है, तो उसे तुरंत जब्त किया जाए, लेकिन जांच के उद्देश्य से नष्ट न किया जाए।
  • Sresan Pharmaceutical (कांचीपुरम, तमिलनाडु) द्वारा बनाई गई अन्य दवाओं पर भी तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी जाए।
  • स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी जानकारी दी कि संदिग्ध बैचों के सैंपल पूरे प्रदेश से एकत्र कर जांच प्रयोगशालाओं में भेजे जा रहे हैं, और किसी भी स्तर पर कोताही न हो, इसके लिए सख्त निगरानी रखी जा रही है।

रीवा में अवैध सिरप की बिक्री: पहले से चिंता का विषय, अब दोहरी चुनौती 
यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि रीवा जिला पहले से ही अवैध और नशीली कफ सिरप की बिक्री को लेकर सुर्खियों में रहा है। आपराधिक तत्वों द्वारा इन सिरपों का उपयोग नशे के लिए किया जाता रहा है। ऐसे में, एक तरफ नशीली सिरपों के अवैध कारोबार को रोकना और दूसरी तरफ डाय-एथिलीन ग्लाइकॉल जैसे जहरीले रसायन वाले सिरप को स्वास्थ्य तंत्र से बाहर निकालना, रीवा के स्वास्थ्य विभाग के लिए दोहरी चुनौती बन गई है।

मुख्यमंत्री के निर्देश पर इस पूरे मामले की गहराई से जांच के लिए राज्य स्तर पर एक विशेष जांच टीम का गठन किया गया है। यह टीम न केवल छिंदवाड़ा की घटना की तह तक जाएगी, बल्कि राज्य के अन्य जिलों में भी दवा सुरक्षा की स्थिति की समीक्षा करेगी, ताकि भविष्य में इस तरह की जानलेवा त्रासदी को कैसे रोका जाए, इसके लिए ठोस कदम उठाए जा सकें। यह समय है जब दवा सुरक्षा और गुणवत्ता नियंत्रण पर कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए।

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