रीवा पुलिस का गुंडाराज: चोरहटा थाने के पुलिसकर्मियों ने की महिला से मारपीट, पत्रकार के खुलासे पर SP-IG-DGP मौन

 
vbbb

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा के चोरहटा थाना क्षेत्र में पुलिस की कार्यशैली ने एक बार फिर सभी को हैरान कर दिया है। खैरी पुरानी बस्ती, वार्ड नंबर 4 में रहने वाली अमृता सिंह नामक एक महिला के घर कुछ पुलिसकर्मी बिना किसी आधिकारिक आदेश या बैच के पहुँचे और न केवल उन्हें धमकी दी, बल्कि मारपीट भी की। यह पूरी घटना एक मकान विवाद से जुड़ी है, जो पहले से ही न्यायालय में लंबित है।

अमृता सिंह, जो पिछले चार वर्षों से इस मकान में किराए पर रह रही थीं, ने मकान मालिक नीलम वर्मा को मकान खरीदने के लिए पैसे दिए थे। लेकिन न तो रजिस्ट्री हुई और न ही उन्हें पैसे वापस मिले, जिसके कारण यह मामला कोर्ट में चला गया।

4 अगस्त 2025 को, नीलम वर्मा, उनके पति कैलाश ताम्रकार, दीपक सिंह (ग्राम लईंन, शाहपुर के मंडल अध्यक्ष और जनपद सदस्य), माही सिंह गहरवार, सचिन कुशवाहा और अन्य साथी कुछ पुलिसकर्मियों के साथ उनके घर में घुस आए। कुछ पुलिसकर्मी सादे कपड़ों में थे, जबकि अन्य बिना नेम प्लेट वाली वर्दी पहने हुए थे। अमृता सिंह का आरोप है कि पुलिसकर्मी प्राइवेट एजेंट की तरह काम कर रहे थे। ......जैसा की पीड़िता अमृता सिंह द्वारा बताये अनुसार 

कोर्ट में मामला होने के बावजूद, नीलम वर्मा कथित तौर पर लगातार अमृता सिंह पर मकान खाली करने का दबाव बना रही थीं। उन्होंने इस काम के लिए चोरहटा थाने के कुछ पुलिसकर्मियों को "प्राइवेट एजेंट" बनाकर भेजा। सोमवार को जब ये पुलिसकर्मी वहाँ पहुँचे, तो उन्होंने कानूनी प्रक्रियाओं की परवाह किए बिना अमृता सिंह के परिवार को धमकाया और गाली-गलौज की। इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि कुछ पुलिसकर्मी अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं और निजी विवादों में पक्षपातपूर्ण तरीके से हस्तक्षेप कर रहे हैं। पुलिसकर्मी बिना आदेश और बैज के घर क्यों गए? यह एक गंभीर सवाल है जो कानून के शासन पर सवाल उठाता है।

पुलिस की कार्यशैली पर उठे गंभीर सवाल 
यह घटना रीवा पुलिस की निष्पक्षता और पेशेवरता पर कई गंभीर सवाल खड़े करती है। एक ओर पुलिस का काम नागरिकों की सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखना है, वहीं दूसरी ओर वर्दी पहने हुए पुलिसकर्मी खुद ही कानून तोड़ते नजर आ रहे हैं। इस घटना ने यह दिखा दिया है कि पुलिस का एक हिस्सा अभी भी सत्ता के दुरुपयोग में लिप्त है। जब पुलिसकर्मी बिना बैज और बिना किसी कानूनी आदेश के एक घर में घुसते हैं, तो यह सीधे तौर पर कानून का उल्लंघन है। पुलिस किस तरह से निजी विवादों में शामिल हो सकती है? इस प्रश्न का उत्तर यह है कि पुलिस को किसी भी नागरिक विवाद में हस्तक्षेप करने से पहले कोर्ट के आदेश का पालन करना चाहिए, न कि किसी निजी व्यक्ति के कहने पर मनमानी करनी चाहिए।

कोर्ट में लंबित मामले के बावजूद पुलिस का हस्तक्षेप 
यह मामला इसलिए भी ज्यादा गंभीर हो जाता है क्योंकि यह विवाद न्यायालय में लंबित है और अमृता सिंह का उस मकान पर कब्जा भी है। जब कोई मामला कोर्ट में होता है, तो पुलिस या किसी अन्य सरकारी एजेंसी को उसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं होता है। इस घटना में, पुलिस ने न्यायालय की प्रक्रिया का सम्मान करने के बजाय मकान मालिक का पक्ष लिया और जबरन मकान खाली कराने का प्रयास किया। यह सीधे तौर पर न्यायपालिका की अवहेलना है। पुलिस का यह कदम दिखाता है कि उन्हें कानून से ज्यादा किसी निजी व्यक्ति का दबाव महत्वपूर्ण लगता है। कोर्ट में लंबित मामले में पुलिस क्या कर सकती है? कानूनी तौर पर, पुलिस को इस तरह के मामलों से दूर रहना चाहिए और दोनों पक्षों को कोर्ट में ही मामला सुलझाने देना चाहिए।

वायरल वीडियो में कौन-कौन शामिल थे? 
घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने पुलिस की किरकिरी कर दी है। इस वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पुलिसकर्मी किस तरह अमृता सिंह के साथ धक्का-मुक्की और मारपीट कर रहे हैं। आपके द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, वायरल वीडियो में महिला पुलिस आरक्षक विभा सिंह, नीरज पाण्डेय और बांधता तिवारी और अन्य पुलिसकर्मी शामिल थे। इन पुलिसकर्मियों ने जिस तरह से एक महिला के साथ दुर्व्यवहार किया, वह न सिर्फ शर्मनाक है, बल्कि उनकी वर्दी और पद का भी अपमान है। चोरहटा थाने के पुलिसकर्मी का वीडियो क्यों वायरल हुआ? क्योंकि उनकी गैर-कानूनी और अनैतिक कार्रवाई को एक पत्रकार ने कैमरे में कैद कर लिया था।

एक पत्रकार की हिम्मत ने उजागर किया सच 
इस पूरे मामले को जनता के सामने लाने का श्रेय एक पत्रकार को जाता है, जिसने अपनी जान जोखिम में डालकर इस घटना को कैमरे में कैद किया। पत्रकार ने न केवल घटना को उजागर किया, बल्कि ऐसे भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के खिलाफ लड़ने का साहस भी दिखाया। पत्रकार की वजह से यह मामला आज सुर्खियों में है और लोग पुलिस की मनमानी के बारे में जान पा रहे हैं। अगर यह पत्रकार इस मामले में आगे नहीं आता, तो शायद यह घटना दब जाती और इन पुलिसकर्मियों पर कोई कार्रवाई नहीं होती। पत्रकार ने इस मामले को कैसे उजागर किया? अपनी कलम और कैमरे की ताकत से, जिससे पुलिस के गैर-कानूनी कामों का पर्दाफाश हुआ।

वरिष्ठ अधिकारियों की चुप्पी और न्याय की मांग 
यह सबसे हैरान करने वाली बात है कि वायरल वीडियो सामने आने के बाद भी पुलिस के किसी भी वरिष्ठ अधिकारी ने इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया है। अभी तक SP, IG, DGP और CSP द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है। ऐसे मामलों में तत्काल निलंबन की कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन रीवा पुलिस ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है। इस तरह की चुप्पी यह दर्शाती है कि कहीं न कहीं पुलिस विभाग में जवाबदेही की कमी है। जनता और पीड़िता, दोनों ही न्याय की मांग कर रहे हैं और चाहते हैं कि दोषी पुलिसकर्मियों को उनके किए की सजा मिले।

पुलिस की जवाबदेही क्यों जरूरी है? 
पुलिस की जवाबदेही लोकतंत्र के लिए बहुत जरूरी है। जब पुलिस अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करती है, तो नागरिकों का कानून और न्याय व्यवस्था से भरोसा उठ जाता है। इस तरह के मामलों में, पुलिस की जवाबदेही तय करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि:

  • नागरिकों के अधिकारों की रक्षा: पुलिस का काम नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना है, न कि उन्हें धमकाना और मारना।
  • कानून का शासन: पुलिस को खुद कानून का पालन करना चाहिए। अगर वे खुद कानून तोड़ते हैं, तो कोई भी कानून का पालन क्यों करेगा?
  • सार्वजनिक विश्वास: पुलिस पर जनता का विश्वास बनाए रखना जरूरी है। अगर पुलिस पर से विश्वास उठ जाए, तो कानून-व्यवस्था बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा।
  • भ्रष्टाचार पर रोक: इस तरह के मामलों में अक्सर भ्रष्टाचार का संदेह होता है। जवाबदेही तय होने से भ्रष्टाचार पर रोक लगती है।

आगे की राह: क्या होनी चाहिए कार्रवाई? 

  • इस गंभीर मामले में तत्काल और कठोर कार्रवाई की आवश्यकता है।
  • तत्काल निलंबन: घटना में शामिल सभी पुलिसकर्मियों, जिनमें विभा सिंह, नीरज पांडे और बंधाटा तिवारी शामिल हैं, को तुरंत निलंबित किया जाना चाहिए।
  • आपराधिक मामला दर्ज: इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ मारपीट, जबरन वसूली, और पद के दुरुपयोग के आरोप में आपराधिक मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
  • उच्च स्तरीय जांच: इस मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी या वरिष्ठ पुलिस अधिकारी द्वारा कराई जानी चाहिए ताकि सभी तथ्यों का पता चल सके।
  • न्यायपालिका का सम्मान: पुलिस को यह निर्देश दिया जाना चाहिए कि वे कोर्ट में लंबित मामलों में हस्तक्षेप न करें।

कोर्ट में लंबित मामले के बावजूद पुलिस की मनमानी, महिला से मारपीट का वीडियो वायरल
रीवा जिले के चोरहटा थाना क्षेत्र में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहाँ एक मकान विवाद में पुलिस की संलिप्तता ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पीड़िता अमृता सिंह ने कुछ पुलिसकर्मियों और निजी व्यक्तियों पर घर में घुसकर मारपीट करने, धमकी देने और संपत्ति को नुकसान पहुँचाने का आरोप लगाया है। यह घटना तब हुई जब मामला पहले से ही न्यायालय में लंबित है।

पुलिस और आरोपियों पर लगे गंभीर आरोप
अमृता सिंह ने आरोप लगाया है कि आरोपियों ने उनके साथ और उनके पति के साथ जबरन मारपीट की। उनके अनुसार, एक बिना वर्दी के पुलिसकर्मी ने उन्हें पाँच थप्पड़ मारे और उनका मोबाइल छीन लिया। महिला पुलिसकर्मी विभा सिंह ने भी उनके साथ मारपीट की। दीपक सिंह ने उनका गला दबाया और उनके साथ छेड़खानी भी की गई। मारपीट के दौरान उनका हाथ मरोड़ा गया, जिससे उनकी चूड़ियाँ टूट गईं। 

उन्होंने कहा कि उनके बेटे को भी जान से मारने की धमकी दी गई, जो फिलहाल भोपाल में पढ़ाई कर रहा है। अमृता सिंह ने बताया कि पुलिसकर्मियों ने उनकी कार की बैटरी निकाल ली, गेट का लॉक तोड़ दिया और कार का स्टीयरिंग लॉक भी तोड़ दिया। जब उनसे उनके नाम और थाने के बारे में पूछा गया तो वे सही जानकारी नहीं दे पाए।

वायरल वीडियो और उच्च अधिकारियों की चुप्पी
इस पूरी घटना का वीडियो पीड़िता ने बनाया है, जिसमें पुलिसकर्मी बिना नेम प्लेट वाली वर्दी में दिखाई दे रहे हैं। जब मोहल्ले के लोग इकट्ठा हुए और विरोध करने लगे तो उन्हें भी डरा-धमकाकर भगा दिया गया और वीडियो बनाने से रोका गया।

पीड़िता के अनुसार, इस संबंध में पहले भी पुलिस अधिकारियों को आवेदन दिए गए थे, जिनकी रसीदें उनके पास मौजूद हैं, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस बार भी उन्होंने इस मामले की जानकारी रीवा एसपी और सीएसपी को आवेदन के तौर पर दे दी है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस घटना ने एक बार फिर पुलिस की कार्यप्रणाली और उनकी जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 

वीडियो वायरल होने के बाद भी, रीवा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी (SP, IG, DGP) चुप्पी साधे हुए हैं। ऐसे मामलों में तत्काल कार्रवाई और निलंबन की जरूरत होती है, लेकिन अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। यह घटना पुलिस की जवाबदेही और कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। जनता और पीड़िता न्याय की मांग कर रहे हैं और पूछ रहे हैं कि आखिर इन पुलिसकर्मियों पर कब और क्या कार्रवाई होगी।

Related Topics

Latest News