"न आशीर्वाद बचा पाया न सफेदपोशों का हाथ: रीवा कोर्ट ने सीताराम दास और विनोद पांडे को भेजा सीधे नर्क के द्वार!" पढ़िए अब पीड़िता का दर्द...

 
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विश्वास, विश्वासघात और इंसाफ की पूरी दास्तान; जानिए कैसे एक रसूखदार 'बाबा' और हिस्ट्रीशीटर ने नाबालिग के साथ किया था 'अधर्म'

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मध्य प्रदेश के रीवा जिले से एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने न्याय व्यवस्था पर जनता के विश्वास को और मजबूत कर दिया है। करीब पौने चार साल पहले रीवा के राजनिवास (सर्किट हाउस) में एक नाबालिग के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म के मामले में अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) पद्मा जाटव की अदालत ने मुख्य आरोपी महंत सीताराम दास और उसके सहयोगियों को 'प्राकृतिक जीवन की अंतिम सांस' तक जेल में रहने की सजा सुनाई है।

गैंगरेप मामले में पुलिस की गिरफ्त में महंत और कथावाचक सीताराम।

गैंगरेप मामले में पुलिस की गिरफ्त में महंत और कथावाचक सीताराम।

सत्ता और रसूख के बीच रची गई घिनौनी साजिश
28 मार्च 2022 की वह शाम रीवा के इतिहास में एक काला धब्बा बन गई थी। जिस सर्किट हाउस में बड़े-बड़े मंत्री और अफसर ठहरते हैं, वहां के कमरा नंबर-4 में एक नाबालिग की अस्मत लूटी गई। इस कांड का मुख्य चेहरा महंत सीताराम दास था, जो खुद को बड़ा कथावाचक बताता था। उसके रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसके आगे-पीछे पुलिस का काफिला चलता था और बड़े नेता उसके चरणों में सिर झुकाते थे। लेकिन कानून की नजर में वह केवल एक अपराधी साबित हुआ।

राजनिवास (सर्किट हाउस) में ही युवती के साथ गैंगरेप हुआ था।

राजनिवास (सर्किट हाउस) में ही युवती के साथ गैंगरेप हुआ था।

पीड़िता की ज़ुबानी: कैसे बिछाया गया था झांसे का जाल
पीड़िता ने अदालत और पुलिस को बताया कि वह केवल 17 वर्ष की थी जब उसे सतना से रीवा बुलाया गया। मुख्य साजिशकर्ता विनोद पांडे ने उसे कॉलेज की फीस और अन्य कार्यों में मदद का लालच दिया। 

मैं 17 साल की हूं। उमरी (सतना) की रहने वाली हूं। 28 मार्च की सुबह 10 बजे रीवा के रहने वाले विनोद पांडे उर्फ दादा का फोन आया। बोला- कहां हो? तुम्हारा कोई कॉलेज का काम हो तो बताओ। मैंने उसे बताया कि फीस जमा करनी है, लेकिन लिस्ट में नाम नहीं आ रहा। बोला- रीवा आ जाओ। काम करवा दूंगा। कॉल डिस्कनेक्ट होने के बाद उसने कई बार फोन किए।

मैं करीब 12.30 बजे रीवा पहुंची। उसका फिर कॉल आया और पूछा- आ गई? मेरे हां कहते ही बोला- सैनिक स्कूल की तरफ आ जाओ। मैंने कहा- दादा मैं कॉलेज जा रही हूं। वहां नहीं आऊंगी। कॉलेज पहुंची, तो फीस जमा करने के लिए अपना नंबर ढूंढा, लेकिन नहीं मिला। कॉलेज में ही 3 बजे फिर दादा का कॉल आया। बोला-सैनिक स्कूल के पास आ जाओ। खा-पीकर मैं कॉलेज चलकर तुम्हारा काम करा दूंगा।

मैं वहां ऑटो से चली गई। तब 4 बज रहे थे। सैनिक स्कूल के पास पहुंची तो दादा का फिर फोन आया। मैंने बताया कि मेरे पास ऑटोवाले को देने के लिए पैसे नहीं हैं, सिर्फ फीस के पैसे हैं। उसने किसी लड़के को भेजने की बात कही। कुछ देर बाद सफेद रंग की कार से लड़का आया। उसने ऑटोवाले को 100 रुपए दिए। वह मुझे कार में बैठाकर सर्किट हाउस ले गया। दूसरी मंजिल पर दादा मिला। वह बोला- डरो मत, कुछ देर में एक संत आने वाले हैं। उनसे मिल लो, आशीर्वाद ले लो, फिर तुम्हारा काम करवाते हैं। 

पीड़िता ने कहा-मैं चुपचाप से VIDEO बनाने लगी। संत के देखने पर VIDEO बनाना बंद कर दिया। इतने में दीदी का फोन आया तो दादा ने जबरदस्ती मुझसे बुलवाया कि मेरा काम नहीं हो पाया है, घर नहीं आ सकूंगी। हॉस्टल में फ्रेंड के पास रुकी हूं। इसके बाद दादा ने जबरदस्ती शराब पिलाई और किस करने लगा। मैं भागी तो थप्पड़ मारे। बोला-अब कहां जाएगी। संत की सेवा तो करनी ही पड़ेगी। इसके बाद दादा, संत का चेला और मोनू कमरे के बाहर निकल गए। दरवाजा बाहर से लॉक कर दिया।

संत ने कमरे की लाइट बंद कर दी। मैं चिल्लाई तो मेरा मुंह दबाकर बोला- फीलिंग्स समझो। जबरदस्ती की कोई बात नहीं है। मुंह से हाथ हटते ही मैं फिर चिल्लाई तो कहा अब तो जबरदस्ती करना ही पड़ेगी। उसने रेप करने के बाद धमकाते हुए कहा-मेरे बब्बा अयोध्या के एक मंदिर में पदाधिकारी हैं। किसी को कुछ बताया तो तेरे मां-बाप और पूरे परिवार को खत्म कर दूंगा, मेरा कुछ नहीं कर पाएगी।

रूम का गेट खुलवाने के लिए अपना मोबाइल खोजने लगा, नहीं मिलने पर मेरे फोन से दादा को फोन किया। उन लोगों ने दरवाजा खोला और मुझे पकड़कर नीचे ले गए। यहां एक कमरे में खाना लगा था। सीताराम ने मुझे खींचा और जबरन अपने पास बिठा लिया। उसने सलाद खिलाने लगा।

दोपहर 12:30 बजे: पीड़िता रीवा पहुंची।
शाम 4:00 बजे: उसे सफेद कार से सर्किट हाउस ले जाया गया।

धोखे का मंजर: आधे घंटे बाद लाल रंग की धोती कुर्ता पहने लंबे बालों वाला एक व्यक्ति कमरे में आया। दादा ने इंट्रोडक्शन कराते हुए कहा- संत सीताराम हमारे साथ खाते-पीते हैं। दोस्त की तरह रहते हैं, संत तो दूसरों के लिए हैं। संत के साथ चेला भी था। दादा ने उसका नाम धीरेंद्र मिश्रा बताया। कमरे के अंदर आते ही संत सीताराम ने दादा से पूछा- दारू वगैरह का इंतजाम है या नहीं। मैं घबरा गई। मैंने जाने का कहा तो दादा बोला- अब कहां जाओगी, रात हो रही है। संत महाराज को खुश कर दो। करोड़ों के मालिक हैं। बड़े लोगों में उठना-बैठना है।

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कुछ देर बाद जो लड़का मुझे कार से लेने आया था, वही शराब की बोतलें लेकर कमरे में आया। दादा ने उसे कहा- मोनू चखना और ले आओ। दादा शराब के पैग बनाने लगा और सभी शराब पीने लगे। मुझे बहुत डर लग रहा था। मैं घर जाना चाहती थी, पर वो लोग जाने नहीं दे रहे थे। दादा कह रहा था- संत सीताराम को प्रसन्न कर दो। संत का चेला बोला - तुम्हारी लाइफ बन जाएगी। संत अपने चेले को टोकते हुए बोला- ज्यादा मत समझाओ, समझ जाएगी।

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आरोपियों का कच्चा चिट्ठा: अपराधी से 'महंत' बनने का सफर
इस मामले में दोषी पाया गया विनोद पांडे कोई साधारण व्यक्ति नहीं बल्कि एक हिस्ट्रीशीटर अपराधी है, जिस पर हत्या और बलात्कार समेत 36 से ज्यादा मामले दर्ज हैं। वहीं, सीताराम दास (असली नाम समर्थ त्रिपाठी) एक असफल छात्र था, जिसने रसूख पाने के लिए भगवा चोला ओढ़ा था।

सीताराम दास की आपराधिक मानसिकता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसने यूपी के गोंडा में एक मंदिर की जमीन हड़पने के लिए अपने ही साथी पर गोली चलवाई थी। वह शराब, गांजा और सिगरेट का आदी था और धर्म की आड़ में अनैतिक कृत्य करता था।

पुलिस की चतुराई: एक बाल काटने की गलती और गिरफ्तारी
वारदात के बाद आरोपी महंत फरार हो गया था। तत्कालीन थाना प्रभारी हितेंद्रनाथ शर्मा ने बताया कि आरोपी अपनी पहचान छिपाने के लिए अपने लंबे बाल और दाढ़ी कटवाना चाहता था। वह सिंगरौली के रास्ते उत्तर प्रदेश भागने की फिराक में था। जब वह एक सैलून पर बाल कटवाने पहुंचा, तभी पुलिस ने उसे दबोच लिया। हालांकि, बाबा ने बेशर्मी से तर्क दिया कि वह 'पापों का प्रायश्चित' करने के लिए सिर मुंडवा रहा था।

रीवा एसपी कार्यालय।

रीवा एसपी कार्यालय।

कोर्ट का फैसला: 5 को सजा, 4 हुए बरी
इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए अभियोजन पक्ष ने पुख्ता सबूत पेश किए। अदालत के सामने निम्नलिखित साक्ष्य रखे गए:

  • DNA रिपोर्ट: जिसने आरोपियों की मौजूदगी और अपराध को वैज्ञानिक रूप से सिद्ध किया।
  • CCTV फुटेज: सर्किट हाउस में आने-जाने के सबूत।
  • CDR (Call Detail Record): आरोपियों के बीच हुई बातचीत का रिकॉर्ड।

अदालत ने सीताराम दास, विनोद पांडे, धीरेंद्र मिश्रा, अंशुल मिश्रा और मोनू पयासी को दोषी पाया। वहीं, सबूतों के अभाव में संजय त्रिपाठी, रवि शंकर शुक्ला, जानवी दुबे और तौसीद अंसारी को बरी कर दिया गया।

         दोषी का नाम                                                              जुर्माना

  • महंत सीताराम आजीवन कारावास (अंतिम सांस तक)       ₹1,00,000
  • विनोद पांडे आजीवन कारावास (अंतिम सांस तक)           ₹1,00,000
  • धीरेंद्र मिश्रा आजीवन कारावास (अंतिम सांस तक)           ₹1,00,000
  • अंशुल मिश्रा आजीवन कारावास (अंतिम सांस तक)          ₹1,00,000
  • मोनू पयासी आजीवन कारावास (अंतिम सांस तक)          ₹1,00,000

समाज के लिए एक बड़ा सबक
यह मामला न केवल एक अपराध की कहानी है, बल्कि उन लोगों के लिए चेतावनी है जो धर्म और पद की आड़ में अपराध को अंजाम देते हैं। पीड़िता के साहस और पुलिस की तत्परता ने एक ऐसे अपराधी को सलाखों के पीछे पहुँचाया जो खुद को कानून से ऊपर समझता था।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1. रीवा सर्किट हाउस कांड कब हुआ था?
यह घटना 28 मार्च 2022 को रीवा स्थित राजनिवास (सर्किट हाउस) में हुई थी।
Q2. मुख्य आरोपी कौन था?
मुख्य आरोपी तथाकथित कथावाचक और महंत सीताराम दास (समर्थ त्रिपाठी) और उसका साथी विनोद पांडे थे।
Q3. अदालत ने क्या सजा सुनाई है?
अदालत ने 5 दोषियों को 'शेष प्राकृतिक जीवन' यानी अंतिम सांस तक आजीवन कारावास और प्रत्येक पर 1 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
Q4. आरोपी महंत सीताराम को कहां से गिरफ्तार किया गया था?
उसे सिंगरौली की एक नाई की दुकान से गिरफ्तार किया गया था, जब वह अपनी पहचान छिपाने के लिए सिर मुंडवा रहा था।
Q5. इस केस में कितने गवाह और सबूत थे?
अभियोजन ने कुल 22 गवाहों के बयान दर्ज कराए और 140 दस्तावेजी सबूतों के साथ-साथ DNA और CCTV जैसे तकनीकी साक्ष्य पेश किए।

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