SHOCKING! रीवा में 'कोरेक्स सिटी' का सरकारी ट्रेलर! सबसे सेफ कलेक्ट्रेट कैंपस में ड्रग्स का कारोबार... अधिकारी-कर्मचारी भी कर रहे हैं 'सेवन'?

 
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ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मध्य प्रदेश के रीवा शहर में इन दिनों एक बेहद चौंकाने वाला और शर्मनाक मामला सामने आया है, जिसने समूचे प्रशासनिक तंत्र की कार्यशैली और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं। शहर का वह स्थान, जिसे सबसे महफूज़ और सुरक्षित माना जाता है—अर्थात् कलेक्टर कार्यालय परिसर—अब असामाजिक तत्वों और नशाखोरी का अड्डा बन चुका है। यह वह परिसर है जहाँ 200 से अधिक शासकीय विभाग मौजूद हैं और जहाँ शहर के विकास और कानून-व्यवस्था के फैसले लिए जाते हैं।

खुले में पड़े नशीले पदार्थ: परिसर की बदहाली का दृश्य
कलेक्ट्रेट परिसर के भीतर की स्थिति अत्यंत भयावह है। विभिन्न स्थानों पर, विशेष रूप से खनिज कार्यालय और कॉफी हाउस के पास, नशीले पदार्थों का अंबार देखा गया है।

  • सैकड़ों शीशियाँ: परिसर में नशीली सिरप (जैसे कोरेक्स) की सैकड़ों खाली शीशियाँ बिखरी पड़ी हैं।
  • अन्य नशीले पदार्थ: इनके अलावा, नशीली टैबलेट्स, शराब की बोतलें और डिस्पोजल भी जगह-जगह पड़े मिले हैं।
    • परिसर में इस तरह पड़ी हैं नशीली शीशीयां।

    परिसर में इस तरह पड़ी हैं नशीली शीशीयां।

    जगह-जगह नशीली सिरप पड़ी हुई हैं।

    जगह-जगह नशीली सिरप पड़ी हुई हैं।
  • यह दृश्य स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि असामाजिक तत्व बिना किसी डर या रोक-टोक के इस प्रशासनिक केंद्र में अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं, जो रीवा शहर की साख पर एक बट्टा लगाने का काम कर रहा है।

प्रशासनिक दावों पर गंभीर प्रश्न: 'कोरेक्स सिटी' बनने का डर 
यह मामला इसलिए भी ज्यादा गंभीर हो जाता है क्योंकि यह प्रशासन के उन दावों की पोल खोलता है जिनमें वह अवैध नशीली सिरप की बिक्री पर सख्ती से कार्यवाही करने की बात करता है।

'कोरेक्स सिटी' बनने की आशंका
अधिवक्ता बीके माला ने इस स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि कलेक्ट्रेट परिसर के भीतर जिस तरह से सैकड़ों की संख्या में कोरेक्स की शीशियाँ कैमरे में कैद हुई हैं, उन्हें देखकर यही लगता है कि रीवा कहीं धीरे-धीरे 'कोरेक्स सिटी' न बन जाए।

कार्यवाही की प्रभावशीलता पर सवाल
प्रशासन लगातार यह दावा करता है कि उसने अवैध सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा रखा है और सघन छापेमारी की जा रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि:

  • यदि प्रशासन सख्ती से कार्यवाही कर रहा है, तो कलेक्टर कार्यालय परिसर के भीतर ये नशीली सिरप की शीशियाँ कहाँ से आ रही हैं?
  • शहर के सबसे महफूज़ स्थान पर जब इस तरह के हालात हैं, तो आम जगहों और गली-मोहल्लों का भला क्या होगा?
  • क्या अधिकारी-कर्मचारी भी इन नशीले पदार्थों का सेवन कर रहे हैं या इस गोरखधंधे में शामिल हैं, जिसके कारण परिसर की सुरक्षा व्यवस्था इतनी लचर हो गई है?
  • कलेक्टर कार्यालय परिसर की यह बदहाली प्रशासनिक लापरवाही और कानून-व्यवस्था के ढीले पड़ने का जीता-जागता उदाहरण है।

पुलिस का संज्ञान और सख्त चेतावनी: क्या होगी कड़ी कार्यवाही?
मामले के मीडिया के माध्यम से संज्ञान में आने के बाद, पुलिस प्रशासन ने इस पर गंभीरता दिखाने की बात कही है।

थाना प्रभारी का बयान
सिविल लाइन थाना प्रभारी पुष्पेंद्र मिश्रा ने इस पूरे मामले में अपना पक्ष रखते हुए कहा है:

"आपके माध्यम से मामला संज्ञान में आया है।"
"मामले को गंभीरता से लेते हुए ऐसे लोगों पर वैधानिक कार्यवाही की जाएगी।"

सख्त चेतावनी
थाना प्रभारी ने असामाजिक तत्वों को सख्त चेतावनी भी दी है कि "वो सुधर जाएं और कलेक्ट्रेट परिसर या अन्य किसी भी स्थान पर इस तरह की गतिविधि न करें।" उन्होंने स्पष्ट किया है कि यदि ये गतिविधियाँ जारी रहीं, तो उन पर कठोर कार्यवाही की जाएगी और नकेल कसी जाएगी।

जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की चुप्पी: सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल 
इस अत्यंत संवेदनशील मामले में जिले के वरिष्ठ अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी चिंता का विषय है। एक ओर नशीली दवाओं के सेवन से युवाओं का भविष्य खतरे में है, वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक केंद्र की सुरक्षा पर ही प्रश्नचिह्न लगा हुआ है।

कलेक्ट्रेट परिसर में सीसीटीवी कैमरे और सुरक्षा गार्ड की तैनाती के बावजूद ये गतिविधियाँ बेख़ौफ़ कैसे चल रही थीं, यह सुरक्षा व्यवस्था की बड़ी विफलता है।
अब पुलिस ने कार्रवाही की बात तो कह दी है, लेकिन यह देखना बाकी है कि केवल चेतावनी से काम चलता है या वास्तव में कोई बड़ा अभियान चलाकर इस परिसर को नशाखोरी के अड्डे से मुक्त कराया जाता है।

यह मामला रीवा शहर के सामाजिक स्वास्थ्य और कानून-व्यवस्था के लिए एक रेड अलर्ट है, जिस पर तत्काल और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।

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