रीवा अनुकंपा नियुक्ति फर्जीवाड़ा: कमिश्नर ने गठित की 3 सदस्यीय जांच समिति, 3 साल की नियुक्तियों की होगी पड़ताल

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा के स्कूल शिक्षा विभाग में सामने आए अनुकंपा नियुक्ति फर्जीवाड़े को लेकर प्रशासन ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। कमिश्नर रीवा संभाग, वी.एस. जामोद ने इस पूरे मामले की गहन जांच के लिए तीन सदस्यीय दल का गठन कर दिया है। इस जांच समिति में अपर कमिश्नर, संयुक्त संचालक (शिक्षा) और जिला कोषालय अधिकारी को शामिल किया गया है। समिति को 15 दिनों के भीतर अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। यह जांच केवल हालिया प्रकरण तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यह दल विगत तीन वर्षों (2022 से अब तक) में हुई समस्त चतुर्थ श्रेणी की अनुकंपा नियुक्तियों की भी पड़ताल करेगा।
जांच समिति के गठन का उद्देश्य और दायरा
हाल ही में रीवा जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) कार्यालय में छह फर्जी अनुकंपा नियुक्तियों का खुलासा हुआ है, जिसमें खुद डीईओ सुदामा लाल गुप्ता के हस्ताक्षर से आदेश जारी हुए थे। इस मामले में पुलिस ने एफआईआर भी दर्ज कराई है। मामले की गंभीरता को देखते हुए, कमिश्नर ने यह त्वरित कदम उठाया है ताकि फर्जीवाड़े की जड़ों तक पहुंचा जा सके और इसमें शामिल सभी दोषियों को बेनकाब किया जा सके।
कमिश्नर वी.एस. जामोद द्वारा गठित यह तीन सदस्यीय जांच दल अब पिछले तीन सालों में दी गई सभी चतुर्थ श्रेणी की अनुकंपा नियुक्तियों की बारीकी से जांच करेगा। इसमें आवेदकों के दस्तावेजों की सत्यता, नियुक्ति प्रक्रिया का पालन, और अधिकारियों की भूमिका की विस्तृत पड़ताल की जाएगी। समिति को निर्देश दिए गए हैं कि वे सभी संबंधित फाइलों, दस्तावेजों और प्रक्रियाओं की गहन समीक्षा करें और 15 दिनों के अंदर एक विस्तृत जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करें।
प्रशासनिक पारदर्शिता पर जोर
इस जांच समिति का गठन यह सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में ऐसे घोटालों की पुनरावृत्ति न हो और शिक्षा विभाग में पारदर्शिता बनी रहे। जांच रिपोर्ट के बाद कई और बड़े खुलासे होने की संभावना है, जिससे इस फर्जीवाड़े में शामिल अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी गाज गिर सकती है। प्रशासन की यह सख्त कार्रवाई संदेश देती है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी।