रीवा अनुकंपा नियुक्ति घोटाले की गूंज विधानसभा तक! अब 3 की बजाय 5 साल की नियुक्तियों की होगी जांच, शिक्षा विभाग में हड़कंप

 
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ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा जिले में हुए बहुचर्चित अनुकंपा नियुक्ति घोटाले की आंच अब सीधे विधानसभा तक पहुंच गई है, जिससे पूरे शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। इस घोटाले में 6 फर्जी नियुक्तियां पाए जाने के बाद जहां पहले ही योजना अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) और अनुकंपा शाखा प्रभारी को निलंबित किया जा चुका है, वहीं शाखा प्रभारी सहित 6 अन्य के विरुद्ध FIR भी दर्ज की गई थी। अब यह मामला सिर्फ रीवा तक सीमित न रहकर पूरे प्रदेश में फैलने की आशंका है, और जांच का दायरा विगत 3 साल से बढ़ाकर 5 साल की नियुक्तियों तक कर दिया गया है। इस बीच, पुलिस की धीमी कार्रवाई और 10-10 लाख रुपये लेकर फर्जी नियुक्ति देने के आरोपों ने मामले को और भी उलझा दिया है।

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विधानसभा में विधायक अजय अर्जुन सिंह ने उठाया मामला
इस पूरे मामले का पर्दाफाश करने और दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने के लिए देवतालाब विधायक अजय अर्जुन सिंह ने विधानसभा में गुहार लगाई है। उन्होंने तारांकित प्रश्न क्रमांक 907 के माध्यम से पूरे प्रदेश में विगत 5 वर्षों में हुई अनुकंपा नियुक्तियों की विस्तृत जानकारी मांगी है। इस प्रश्न का उत्तर भेजने की तिथि 21 जुलाई और सदन में उत्तर देने की तिथि 30 जुलाई निर्धारित की गई है।

विधायक के इस कदम से शिक्षा विभाग में खलबली मच गई है। जिन अधिकारी-कर्मचारियों को अभी तक निलंबित किया गया है, उनके हाथ-पांव फूलने लगे हैं। साथ ही, विगत 5 वर्षों में रीवा सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों में पदस्थ रहे जिला शिक्षा अधिकारी और योजना अधिकारियों की कुर्सी भी कांपने लगी है। उन्हें मालूम है कि यदि पारदर्शिता से जांच हुई, तो उनकी कुर्सी बचनी मुश्किल है और सलाखों के पीछे जाना भी तय हो सकता है।

कमिश्नर की कार्रवाई और जांच की धीमी गति
यह घोटाला तब संज्ञान में आया जब रीवा कमिश्नर वीएस जामोद को इसकी जानकारी मिली। उन्होंने तत्काल कार्रवाई करते हुए तत्कालीन डीईओ और योजना अधिकारी को निलंबित कर दिया था। इसके साथ ही, विगत 3 वर्षों के अनुकंपा नियुक्ति मामलों की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय जांच दल का भी गठन किया गया था। हालांकि, बताया जा रहा है कि यह जांच अभी धीमी गति से चल रही है। लेकिन, जैसे ही जांच प्रतिवेदन आएगा, तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी सहित तत्कालीन योजना अधिकारी पर भी गाज गिरना तय माना जा रहा है।

पुलिस की कार्रवाई पर गंभीर सवाल: 10 लाख की रिश्वत का आरोप!
जहां एक ओर प्रशासन और विधानसभा सक्रिय हुए हैं, वहीं इस पूरे प्रकरण में पुलिस की कार्रवाई पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं। तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी सुदामा लाल गुप्ता ने अपने लिपिक सहित 6 अन्य व्यक्तियों के खिलाफ सिविल लाइन थाने में FIR दर्ज करवाई थी, लेकिन हैरत की बात यह है कि पुलिस की कार्रवाई इतनी सुस्त है कि आज तक किसी की गिरफ्तारी या बयान तक नहीं लिए जा सके हैं।

इस मामले में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सिविल लाइन थाने में फर्जी अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त बृजेश कोल के पिता ने लिखित आवेदन प्रस्तुत किया है कि उनसे इन व्यक्तियों द्वारा 10-10 लाख रुपये लेकर यह फर्जी नियुक्ति दी गई थी। हालांकि, यह गंभीर आरोप वाली शिकायत भी अभी तक ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। पुलिस की इस ढुलमुल नीति के पीछे भी एक बड़े गिरोह का हाथ होने का अंदेशा लगाया जा रहा है, जो जांच को प्रभावित कर रहा है।

बड़े रैकेट का अंदेशा, दिल्ली तक पहुंची गूंज
रीवा के इस अनुकंपा नियुक्ति घोटाले की गूंज सिर्फ रीवा तक ही नहीं, बल्कि 'दिल्ली तक' फैल चुकी है। आशंका जताई जा रही है कि इसके पीछे एक बड़े रैकेट का हाथ है, जो न केवल रीवा बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों में भी इस तरह की फर्जी अनुकंपा नियुक्तियां कराने में सक्रिय हो सकता है।

फिलहाल, सभी की निगाहें रीवा कमिश्नर द्वारा गठित जांच समिति के प्रतिवेदन पर टिकी हुई हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि विधानसभा में 30 जुलाई को सरकार इस मामले पर क्या उत्तर देती है और दोषियों पर क्या कठोर कार्रवाई की जाती है, खासकर तब जब पुलिस की भूमिका पर भी प्रश्नचिह्न लग रहे हैं।

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