"50 लाख देकर आए SP", "मिट्टी खाने वाला डिप्टी CM": रीवा में कांग्रेस विधायक के बयान से हिला प्रदेश

ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मध्य प्रदेश की राजनीति में इन दिनों बयानों का सिलसिला लगातार चर्चा में बना हुआ है। हाल ही में रीवा में कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा ने अपने एक विवादास्पद बयान से सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। न्याय सत्याग्रह आंदोलन के दौरान एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने रीवा के पुलिस अधीक्षक (SP) विवेक सिंह पर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की। उन्होंने एसपी को “आधा पुरुष और आधा महिला” (अर्द्ध-नारीश्वर) कहा, जिससे वहां मौजूद लोगों के बीच भी काफी चर्चा हुई। यह बयान न केवल पुलिस प्रशासन की गरिमा पर सवाल उठाता है, बल्कि राजनीतिक बहस का स्तर भी नीचे गिराता है।
एसपी विवेक सिंह पर अभद्र टिप्पणी
कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा यहीं नहीं रुके। उन्होंने एसपी पर सीधे और गंभीर आरोप लगाए। विधायक ने कहा कि पुलिस अधीक्षक अपराधियों को संरक्षण दे रहे हैं और जिले में अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। उन्होंने एसपी पर निशाना साधते हुए कहा कि वे “भोपाल में 50 लाख रुपए देकर आए हैं” और “शराब के ठेकों में पले-बढ़े हैं।” मिश्रा ने आरोप लगाया कि एसपी अपनी कुर्सी बचाने के लिए मंत्रियों की चाटुकारिता कर रहे हैं, जबकि रीवा में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ती जा रही है। उनका यह बयान एक अधिकारी पर सीधे तौर पर भ्रष्टाचार और अक्षमता का आरोप है।
डिप्टी सीएम पर भी निशाना: "मिट्टी खाने वाला कीड़ा"
अभय मिश्रा ने सिर्फ पुलिस अधीक्षक पर ही हमला नहीं किया, बल्कि उन्होंने प्रदेश के डिप्टी सीएम को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने उपमुख्यमंत्री को “मिट्टी खाने वाला कीड़ा” बताया और कहा कि "वह सुबह, दोपहर, शाम जमीन खाते हैं।" यह टिप्पणी राजनीतिक कटुता की पराकाष्ठा को दर्शाती है। विधायक का यह बयान कांग्रेस और बीजेपी के बीच बढ़ते तनाव और राजनीतिक विरोध को और भी तीखा बनाता है। उन्होंने सरकार पर अपराधियों के साथ मिलीभगत का भी आरोप लगाया, जिससे राजनीति में भूचाल आ गया है।
अपराध और पुलिस पर गंभीर आरोप
विधायक अभय मिश्रा ने अपने भाषण में जिले में बढ़ती अपराध दर पर भी चिंता जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि घर-घर में अवैध रूप से शराब बिक रही है और युवा नशे की चपेट में आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस अपराधियों को पकड़ने की बजाय उन्हें संरक्षण दे रही है। मिश्रा ने यह भी आरोप लगाया कि जो भी अपराधी मंत्री की शरण में चला जाता है, उस पर कोई कार्रवाई नहीं होती, और अगर वह नहीं जाता तो उसे जिलाबदर कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े अपराधी, भले ही 302 जैसी संगीन धारा में शामिल हों, उनके नाम मुकदमे से हटा दिए जाते हैं।
न्याय सत्याग्रह आंदोलन और कांग्रेस नेताओं का विरोध
अभय मिश्रा का यह बयान उस समय आया जब कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर “वोट चोरी” का आरोप लगाते हुए रीवा से न्याय सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया था। इस आंदोलन में पीसीसी चीफ जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार जैसे बड़े नेता भी मौजूद थे। कांग्रेस नेता महंगाई, भ्रष्टाचार, अव्यवस्था और महिलाओं पर अत्याचार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। आंदोलन के दौरान जब कांग्रेस नेताओं ने कमिश्नर कार्यालय के भीतर जाने का प्रयास किया, तो पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इस दौरान पुलिस और कांग्रेस नेताओं के बीच धक्का-मुक्की और बहस भी हुई, जिसके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए।
बड़े अपराधियों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती
विधायक अभय मिश्रा ने मंत्रियों और अपराधियों की मिलीभगत के भी आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि दलाल अपराधियों से कहते हैं कि मंत्री जी से मिल लो, उनकी शरण में चले जाओ, तो वे तुम्हें आशीर्वाद देंगे। इसके बाद उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। उन्होंने एक महिला अधिकारी पर हुए हमले का जिक्र करते हुए कहा कि जब पुलिस अपनी ही एक महिला अधिकारी की रक्षा नहीं कर सकती, तो वह जनता की क्या रक्षा करेगी? यह बयान कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाता है और यह भी बताता है कि राजनीति और अपराध का गठजोड़ किस तरह से पुलिस के काम को प्रभावित कर रहा है।
विधायक के बयान का राजनीतिक संदर्भ
अभय मिश्रा का यह विवादास्पद बयान एक ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस और भाजपा दोनों ही 2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारी में जुटे हैं। कांग्रेस, सरकार को घेरने के लिए हर मुद्दे का इस्तेमाल कर रही है, और यह बयान उसी रणनीति का हिस्सा माना जा सकता है। हालांकि, इस तरह की निजी और अभद्र टिप्पणियां राजनीतिक नैतिकता पर सवाल उठाती हैं और यह भी दर्शाती हैं कि चुनावी माहौल में नेताओं का संयम किस कदर खो रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बयान के बाद भाजपा और पुलिस प्रशासन की क्या प्रतिक्रिया आती है।