Rewa News : 'गोल्डि-पटाखा माफिया' के सामने SP-कलेक्टर फेल! सवाल: साल भर सोती रही पुलिस, दिवाली से ठीक पहले 'दिखावे' की कार्रवाई क्यों? 'मुफ्त का पटाखा' लूटने की सालाना रस्म जारी!

ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा के मैदानी इलाके में शुक्रवार देर रात पटाखा गोदामों पर हुई पुलिस की अचानक रेड ने एक बार फिर व्यवस्था की खामियों को उजागर कर दिया है। भारी पुलिस बल के साथ एसडीओपी मनस्वी शर्मा के नेतृत्व में हुई इस कार्रवाई में करोड़ों का पटाखा जब्त किया गया है। लेकिन यह कार्रवाई हर साल दिवाली के ठीक पहले होती है और दिवाली खत्म होते ही सब कुछ शांत हो जाता है।
यह केवल एक पुलिस कार्रवाई नहीं है, यह भ्रष्टाचार, दिखावा और सरकारी लापरवाही का वह वार्षिक नाटक है, जो हर साल रीवा के मैदानी क्षेत्र में मंचित होता है। रिहायशी मकानों के बीच मौत के गोदाम चलाकर ये होलसेल व्यापारी हर पल शहर को बड़ी अनहोनी के खतरे में धकेल रहे हैं, और प्रशासन साल भर सोता रहता है।
हंगामा हर साल क्यों? दिवाली से पहले 'आईवॉश' कार्रवाई की सच्चाई
पूरा शहर जानता है कि मैदानी में लाइन से आधा दर्जन पटाखा व्यापारियों के होलसेल गोदाम हैं और पूरे जिले में पटाखे की सप्लाई यहीं से होती है।
- सवाल: साल भर कार्रवाई क्यों नहीं? सबसे बड़ा सवाल यही है कि अगर ये गोदाम अवैध हैं और रिहायशी क्षेत्र में हैं, तो साल भर पुलिस क्या कर रही थी ? प्रशासन ने पहले भी इन्हें हटाने के लिए नोटिस दिया, फिर भी गोदाम हटाए क्यों नहीं गए? क्या बड़े अधिकारी क्या कर रहे हैं
- दिखावे की कार्रवाई: सूत्र बताते हैं कि यह कार्रवाई केवल चमकाने के लिए की जाती है। दिवाली से ठीक पहले रेड मारकर करोड़ों का माल जब्त करना, फिर बीडीएस टीम को बुलाकर हड़कंप मचाना—यह सब केवल जनता को दिखाने के लिए है कि पुलिस गंभीर है।
- दिवाली के बाद शांति: जैसे ही दिवाली खत्म होती है, पुलिस की नींद टूट जाती है, और अगले 11 महीने तक ये गोदाम बेखौफ चलते रहते हैं।
कालाबाज़ारी का सच: 'सड़ा' पटाखा, मनमाना रेट और गोल्डि का नेटवर्क
पुलिस की छापेमारी के पीछे का सच और भी घिनौना है, जिसका सीधा असर आम जनता की जेब और सुरक्षा पर पड़ता है:
- सड़ा और बेकार माल: व्यापारियों द्वारा इन गोदामों में बिना ब्रांडिंग, बिना लेबल वाले और बेकार पटाखे भरे जाते हैं। ग्राहकों को मनमाने और बढ़ा-चढ़ाकर रेट पर ये खराब पटाखे बेचे जाते हैं, जिससे वे बेवकूफ बनते हैं।
- अवैध नेटवर्क का किंगपिन: सूत्र बताते हैं कि इन व्यापारियों का अवैध कारोबार केवल गोदाम तक सीमित नहीं है। गोल्डि (Goldi) नामक एक व्यक्ति इन सभी व्यापारियों के लिए 'मैनेजर' का काम करता है। यह गोल्डि ही है जो पुलिस विभाग, मीडिया और अन्य विभागों के लोगों को मैनेज करता है और हर दिवाली पर कार्रवाई को 'डील' में बदलवाता है।
यह स्पष्ट है कि यह अवैध कारोबार गोल्डि जैसे लोगों के नेटवर्क और उच्च स्तर के भ्रष्टाचार के बिना नहीं चल सकता।
जब्त माल जाता कहाँ है? 'मुफ्त के पटाखे' का खेल और पुलिस-मीडिया गठजोड़
सबसे बड़ा और सबसे शर्मनाक सवाल यह है कि करोड़ों का जब्त किया हुआ पटाखा कहाँ जाता है
- 'फ्री का पटाखा' ड्रामा: सूत्र बताते हैं कि रेड पड़ने के बाद जब्त माल को आधिकारिक रूप से दिखाने की प्रक्रिया शुरू होती है, लेकिन जब्त माल के नाम पर जमकर धांधली होती है।
- भ्रष्ट गठजोड़: कई पुलिसकर्मी, पत्रकार और अन्य विभागीय लोग इस 'मुफ्त के पटाखे' का लाभ लेने के लिए गोदामों पर पहुँचते हैं। यह कार्रवाई अवैध कारोबार रोकने के लिए कम, और 'फ्री का माल लेने' के लिए ज्यादा होती है।
- दिखावा नहीं, सबूत चाहिए: अगर वास्तव में करोड़ों का पटाखा जब्त हुआ है, तो प्रशासन को जनता को सबूत देना होगा कि वह माल कहाँ है, और वह नष्ट कब किया जाएगा!
निष्कर्ष: दिखावा बंद हो, साल भर हो कार्रवाई
रीवा में यह 'पटाखा ड्रामा' हर साल शहर को खतरे में डालता है और सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है। अवैध पटाखा गोदामों को रिहायशी क्षेत्र से कैसे हटाएँ, इस पर सिर्फ नोटिस नहीं, बल्कि कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
एसपी और कलेक्टर को चाहिए कि वह गोल्डि जैसे मैनेजरों और उन्हें संरक्षण देने वाले भ्रष्ट पुलिसकर्मियों की जाँच करवाएं। दिखावे की यह वार्षिक परंपरा बंद हो और साल भर कठोर निगरानी रखी जाए।
अवैध भंडारण पर 'BNS' का प्रहार: कानूनी तलवार और सिस्टम की चोरी!
- कानूनी शिकंजा: BNS की धाराएँ और संभावित कार्रवाई
यह मामला सिर्फ अवैध भंडारण का नहीं, बल्कि आपराधिक साजिश और जान-माल के खतरे का है। भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत, इन व्यापारियों और उन्हें संरक्षण देने वाले अधिकारियों पर ये धाराएँ लग सकती हैं:
- BNS की धारा 194 (IPC की धारा 286 के समतुल्य): ज्वलनशील पदार्थों से संबंधित लापरवाही: रिहायशी क्षेत्र में भारी मात्रा में विस्फोटक या ज्वलनशील पदार्थ रखना, जिससे मानव जीवन खतरे में पड़े।
- BNS की धारा 330 (IPC की धारा 336 के समतुल्य): मानव जीवन को खतरे में डालना: पटाखा गोदामों का संचालन कर दूसरों के जीवन और व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालना।
- BNS की धारा 331 (IPC की धारा 337 के समतुल्य): उपेक्षा से घोर उपहति करना: अगर कोई हादसा होता है, तो यह धारा लगेगी।
- BNS की धारा 309 (IPC की धारा 420 के समतुल्य): धोखाधड़ी: खराब और सड़े पटाखे ऊँचे दामों पर बेचना, जनता के साथ धोखाधड़ी है।
- आपराधिक साजिश (Criminal Conspiracy): गोल्डि, भ्रष्ट पुलिसकर्मी और व्यापारी मिलकर साजिश कर रहे हैं, इसलिए इन पर BNS की धारा 61 (IPC की धारा 120B के समतुल्य) के तहत मामला दर्ज होना चाहिए।
कोर्ट और Law का रुख: सिस्टम की निष्क्रियता पर बड़ा सवाल!
कानून स्पष्ट कहता है कि रिहायशी क्षेत्र में विस्फोटक सामग्री का भंडारण अत्यंत गंभीर अपराध है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने कई फैसलों में प्रशासनिक निष्क्रियता पर सख्त टिप्पणी की है।
- जब्त माल पर सवाल: जब्त किए गए करोड़ों के माल का रिकॉर्ड और उसकी वीडियोग्राफी कर उसे नष्ट (Destroy) करने की प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए। जब्त माल कहाँ गया, इस सवाल पर पुलिस को स्पष्ट जवाब देना होगा, अन्यथा उन पर भ्रष्टाचार और चोरी का आरोप तय होगा।
- एसपी को नोटिस: हर साल दिवाली से पहले ही कार्रवाई क्यों होती है—इस सवाल पर कोर्ट रीवा एसपी को नोटिस जारी कर जवाबदेही तय कर सकता है। पुलिस और मीडिया के गठजोड़ की जाँच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी बननी चाहिए!
रीवा में Law सो नहीं रहा, लेकिन भ्रष्ट सिस्टम ने उसे 'हाथ बाँधकर' रखा है! अब FIR सिर्फ व्यापारियों पर नहीं, उन्हें संरक्षण देने वाले हर वर्दी वाले पर होनी चाहिए!