REWA : सुपर स्पेशलिटी और मेडिकल कॉलेज छोड़ रहें डॉक्टर; फर्जीवाड़ा और कमीशन की लूट से परेशान, कॉर्डियोलॉजी विभाग सबसे ज्यादा प्रभावित

 
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सुपर स्पेशलिटी डॉक्टरों को अब रास नहीं आ रहा है। सीनियर की तानाशाही के कारण डॉक्टर एक एक कर छोड़ रहे। एक और कॉर्डियोलॉजिस्ट ने तैयारी कर ली है। सीनियर डॉक्टर काम नहीं करने दे रहे। ओपीडी में बैठने तक का समय नहीं दे रहे। सिर्फ तीन घंटे की ओपीडी रखी गई है। मरीज तक बाहर रेफर कर दिए जाते हैं। ड्यूटी का प्रोटोकॉल और रोस्टर तक नहीं है। पेड ओपीडी बंद कर दी गई है। आयुष्मान प्रोत्साहन राशि तक तक नहीं मिल रही है। इससे नाराज होकर एक कॉर्डियोलॉजिस्ट ने सुपर स्पेशलिटी से तौबा करने का मन बना लिया है। अब वह सतना मेडिकल कॉलेज ज्वाइन करेंगे। सलेक्शन भी हो गया है। इसके बाद एक और डॉक्टर भी जाएंगे।

रीवा। सरकार और प्रशासन की लापरवाही भारी पड़ गई। सुपर स्पेशलिटी (rewa super specialty) की व्यवस्थाओं को सम्हाल नहीं पाए। अब एक-एक कर डॉक्टर छोड़ रहे हैं। कॉर्डियोलॉजी विभाग (Department of Cardiology) सबसे ज्यादा प्रभावित है। इसके पीछे वजह यहां के विभागाध्यक्ष डॉ वीडी त्रिपाठी (Head of Department Dr VD Tripathi) बताए जा रहे हैं। वह डॉक्टरों को खुल कर काम ही नहीं करने देना चाहते। खुद का वर्चश्य कायम रखने के चक्कर में अन्य डॉक्टरों को प्रभावित कर रहे हैं। इसके पहले भी एक डॉक्टर ने आवाज उठाई थी लेकिन उसे प्रताडि़त कर दबा दिया गया। अब एक डॉक्टर ने संस्थान को ही अलविदा करने का निर्णय ले लिया है।

बता दें की लोगों को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (rewa super specialty hospital) के रूप में एक वरदान मिला था। दिल का इलाज यहां सस्ते और बेहतर तरीके से हो रहा था। पर्याप्त संख्या में डॉक्टरों की भी पदस्थापना कर ली गई थी। धड़ल्ले से आपरेशन हो रहे थे। इस पर अब ग्रहण लग गया है। कार्डियोलॉजी विभाग के एचओडी और सीनियरों से तंग आकर एक एक कर डॉक्टर यहां से भाग रहे हैं। डॉक्टरों केा पर्याप्त काम करने का मौका नहीं दिया जा रहा है। इससे परेशान होकर ही यहां के डॉक्टर छोड़ रहे हैं। इसके पहले डॉ प्रदीप कुर्मी ने नौकरी छोड़ी थी। अब डॉ ललन प्रताप ङ्क्षसह ने जाने की तैयारी कर ली है। इनका सलेक्शन सतना मेडिकल कॉलेज के लिए हो गया है। जल्द ही नए मेडिकल कॉलेज में आमद भी दर्ज करा देंगे। इसके बाद कुछ और भी डॉक्टरों की बारी है।

काम ही नहीं करने देते कि कहीं आगे न बढ़ जाएं
सुपर स्पेशलिटी में सुविधाएं पर्याप्त है। काम करने का अवसर भी है लेकिन डॉक्टरों को काम ही नहीं करने दिया जाता। यहां ओपीडी का समय ही निर्धारित नहीं है। सिर्फ तीन घंटे का रोस्टर बनता है। डॉक्टरों को सीनियर डॉक्टर सिर्फ 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक बैठने के लिए ही मजबूर करते हैं। आपेरशन वगैरह का सेड्यूल तय नहीं है। कभी भी सर्जरी टाल दी जाती है। कनिष्ठ डॉक्टरों को बढऩे नहीं दिया जाता। सीनियर ही रोस्टर मनमानी तरीके से बनाते हैं। सीनियर डॉक्टर दूसरे डॉक्टरों के मरीजों को अपनी निगरानी में ले लेते हैं। बाहर भी रेफर करने से बाज नहीं आते। जूनियरों की प्रैक्टिस प्रभावित करते हैं। ड्यूटी और काम करने का कोई भी सिस्टम नहीं होने के कारण डॉक्टर छोड़कर भाग रहे हैं। मॉनीटरिंग ठप है।

हद है डॉक्टर ने पीए रखा हुआ है
विभाग के वरिष्ठ कॉडियोलॉजिस्ट प्राइवेट प्रैक्टिस (Senior Caudiologist Private Practice) में व्यस्त रहते हैं। हद तो यह है कि उन्होंने सरकारी अस्पताल में खुद का पीए अप्वाइंट कर रखा है। उनकी गैर मौजूदगी में सरकारी अस्पताल में मरीजों का लेखाजोखा पीए रखता है। प्राइवेट प्रैक्टिस करने के चक्कर में ही पेड ओपीडी बंद करा दी गई। सुबह ओपीडी में भी समय पर डॉक्टर नहीं आते। यहां सिर्फ तीन घंटे ही मरीजों को देखा जाता है। डॉक्टर 1 बजे ही उठ जाते हैं। जबकि जबलपुर में ओपीडी का समय सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक है।

कमीशन की लूट मची है
आयुष्मान प्रोत्साहन योजना के नाम पर लूट मची है। काम करने वालों को कमीशन ही नहीं दिया जा रहा है। एनेस्थीसिया के डॉक्टरों को बिना किसी आपरेशन में शामिल हुए भी प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। डॉक्टरों का हिस्सा भी मारा जा रहा है। एक ही डॉक्टर को दोहरा लाभ पहुंचाया जाता है। आपरेशन आदि के लिए समय पर इक्यूपमेंट तक उपलब्ध नहीं होते।

मेडिकल कॉलेज से भी डॉक्टरों ने किया तौबा
सिर्फ सुपर स्पेशलिटी से ही डॉक्टर छोड़कर नहीं जा रहे हैं। मेडिकल कॉलेज रीवा से डॉ अम्बरीश मिश्रा, डॉ जितेन्द्र चतुर्वेदी, डॉ एसपी गर्ग, डॉ विद्या गर्ग, डॉ धीरेन्द्र मिश्रा, डॉ बलबीर सिंह, डॉ अंकित जैन, डॉ रश्मि जैन, डॉ कपिला गायकवाड़, डॉ साक्षी चौरसिया, डॉ प्रभात सिंह बघेल, डॉ जितेश गावंडे सतना मेडिकल कॉलेज जाने की तैयारी कर लिए हैं।

यहां भी कुप्रबंधन हावी
कम वेतन में भी रीवा श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर सतना मेडिकल कॉलेज ज्वाइन कर रहे हैं। इसके पीछे यहां का कुप्रबंधन है। श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में काम करने वालों को अवसर नहीं दिया जाता। प्रमोशन का भी यहां चांस नहीं है। ओहदेदार पदों पर राजनीतिक सिफारिश वालों को ही मौका मिल रहा है। डीन के पद पर भी आज तक रेग्युलर नियुक्ति नहीं हो पाई। डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस में व्यस्त हैं। इन पर अंकुश तक नहीं लग पा रहा है। यही वजह है कि यहां के डॉक्टर भाग रहे हैं।

कॉर्डियोलॉजी में यह ही बचे
कार्डियोलॉजी विभाग में डॉ व्हीडी त्रिपाठी सह प्रध्यापक, डॉ एसके त्रिपाठी, डॉ राकेश सोनी, डॉ हिमांशु गुप्ता और डॉ अंकित सिंह ही बचे हैं। शेष डॉक्टरों ने यहां से तौबा कर ली है। सुपर स्पेशलिटी में जिस हिसाब से मनमर्जी काम चल रहा है। अगर हालात ऐसे ही रहे तो फिर से रीवा की स्थिति पहले जैसी ही हो जाएगी। यहां से मरीज बाहर इलाज कराने जाने के लिए मजबूर हो जाएंगे। चंद डॉक्टरों के हाथ में कमान सौंपने का खामियाजा अब रीवा की जनता को भुगतना होगा। प्रशासनिक अनदेखी भी भारी पड़ रही है।

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