दुबई के 'ब्लैक मनी' किंग ने रीवा को बनाया 'हवाला का अड्डा'! सफेदपोश 'समाजसेवी' नेता और भ्रष्ट पुलिसकर्मी शामिल : रीवा के 100 रसूखदारों की नींद उड़ी!

 
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दुबई से आया 'काला पैसा'! सिंधी समाज के 6 बड़े कारोबारी रडार पर! क्या 'सट्टा किंग' के हवाला नेटवर्क में फंसे हैं रीवा के कई नामी 'सेठ'?

ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा शहर में एक ऐसा भूकंप आया है, जिसने केवल अपराधियों को नहीं, बल्कि समाज में इज्जतदार माने जाने वाले सफेदपोशों के चेहरों पर भी पसीना ला दिया है। मामला दुबई में बैठे 'सट्टा किंग' के हवाला (Hawala) नेटवर्क से जुड़ा है, जिसके तार सीधे रीवा, जबलपुर और सतना के कई रसूखदारों से जुड़े हुए हैं।

जांच एजेंसियां इस समय खाते-खुपियों, लैंडलेन और फोन कॉल डिटेल (Account Details, Landline, and Phone Call Details) की संयुक्त जाँच कर रही हैं। यह सिर्फ सट्टेबाजी (Gambling) का मामला नहीं है, बल्कि यह देश की जनता को लूटकर विदेशों में पैसा भेजने और उन पैसों को आतंकी गतिविधियों में फंडिंग (Funding Terrorist Activities) में इस्तेमाल किए जाने का भी गंभीर मामला है।

हवाला और फंडिंग का जाल: आतंकी गतिविधियों से जुड़े तार 
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, दुबई में बैठकर यह सट्टा किंग पंजवानी, बिरवानी और रतनानी के तार रीवा के 6 ऐसे चेहरों से जोड़ता है, जिन पर किसी ने आज तक शक नहीं किया। यह पूरा नेटवर्क छत्रछाया के माध्यम से संचालित हो रहा है।

  • पैसों का मार्ग: हवाला के जरिए लूटा गया काला धन रीवा से सतना या नागपुर भेजा जाता था, और वहाँ से दुबई में बैठे किंग तक पहुँचता था।
  • गंभीर संदेह: जब मुख्यमंत्री कार्यालय (CM Office) ने हवाला के इस खुलासे को संज्ञान में लिया और जाँच आईजी जबलपुर (IG Jabalpur) को सौंपी गई, तो मामले की गंभीरता कई गुना बढ़ गई। संदेह है कि इस पैसे का इस्तेमाल सिर्फ सट्टेबाजी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश विरोधी और आतंकी गतिविधियों (Anti-national and terrorist activities) की फंडिंग में भी जाता है।

खुलासा: छम्मन से जुड़ी 'सफेदपोश' मंडली 
इस पूरे सिंडिकेट की परतें तब खुलना शुरू हुईं, जब पूर्व पद्मधर कॉलोनी निवासी छम्मन के घर पर पुलिस ने दबिश दी। छम्मन, जिसे पहले डब्बा डीलर माना जाता था, अब सट्टा किंग का करीबी माना जा रहा है।

छम्मन की गिरफ्तारी के बाद रीवा के सफेदपोशों के नाम सामने आए, जो कथित रूप से समाजसेवियों के नाम पर वर्षों से टैक्स चोरी और काला धन कमा रहे थे। सूत्र बताते हैं कि छम्मन के पीछे केवल मोहरा था, जबकि असली खिलाड़ी समाज के भीतर ही बैठे हैं।

जिन सफेदपोशों के नाम सामने आए हैं और जिनके चेहरों पर अब पसीना आ रहा है, वे रीवा शहर के निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों से जुड़े हैं:

  • तरहटी, नगरिया, चिरहुला कॉलोनी
  • वेंकट रोड, पद्मधर कॉलोनी
  • इंडस्ट्रियल एरिया
  • कुछ मीडिया वालों के भी नाम सामने आने की संभावना है।

पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल: राजनीतिक दबाव और भ्रष्टाचार 
इस पूरे कांड में सबसे शर्मनाक और चौंकाने वाली बात रीवा पुलिस की भूमिका है।

  • राजनीतिक दबाव: सूत्रों के अनुसार, शुरुआती कार्रवाई में शामिल पुलिसकर्मियों के नाम भी उजागर हुए थे, जो रीवा के मठाधीश सिपाही (Dominant Constables) कहलाते हैं, लेकिन राजनीतिक दबाव के कारण पुलिस ने सभी को क्लीन चिट दे दी थी!
  • भ्रष्टाचार का कवच: यह साफ संकेत देता है कि यह हवाला-सट्टा-काला धन का खेल पुलिस और राजनीतिक संरक्षण (Political Patronage) के कवच में फल-फूल रहा था। पुलिस की निष्क्रियता सीधे तौर पर भ्रष्टाचार को उजागर करती है।
  • कमिश्नर की सक्रियता: मुख्यमंत्री कार्यालय के संज्ञान लेने और आईजी जबलपुर को जाँच सौंपने के बाद, अब पुलिसकर्मियों के भी वे छिपे हुए चेहरे उजागर होने की आशंका है, जो इस अवैध धंधे में शामिल थे।

जाँच की दिशा और रीवा के 'नए चेहरे' 
पुलिस का कहना है कि वे रीवा शहर के संदिग्ध लोगों, लेनदेन और संबंधित खाताबुक की जाँच कर रहे हैं। अब तक केवल छम्मन का नाम सामने आया है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि रीवा शहर के 100 से अधिक रसूखदारों  के नाम सामने आ सकते हैं।

  • बिना दबाव जाँच की मांग: आईजी जबलपुर से एक बिना राजनीतिक दबाव के निष्पक्ष पुलिस टीम गठित करने की मांग की गई है, जो इस पूरे नेटवर्क की जाँच करके उन चेहरों को बेनकाब करे जो समाज में अपने आपको समाजसेवी बताते हैं, लेकिन वास्तव में इस अवैध फंडिंग में शामिल हैं।

निष्कर्ष: सिस्टम को हिला देने वाली चुनौती 
दुबई से जुड़े इस हवाला और सट्टा किंग के नेटवर्क ने रीवा की सामाजिक और राजनीतिक शुचिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला न केवल आर्थिक अपराध है, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर चुनौती है। अब देखना यह है कि आईजी जबलपुर के नेतृत्व में गठित होने वाली टीम राजनीतिक दबाव से मुक्त होकर उन सफेदपोशों और पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई कर पाती है या नहीं, जिनके दिलों की धड़कनें इन दिनों बढ़ी हुई हैं।

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