अटैचमेंट की आड़ में बड़ा खेल? रीवा शिक्षा विभाग के 'बाहुबली' शिक्षक, जिनका वेतन कहीं और, काम कहीं और! क्या कलेक्टर लेंगी एक्शन?

 
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ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा का शिक्षा विभाग एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार किसी अच्छी वजह से नहीं, बल्कि अटैचमेंट के नाम पर चल रहे एक बड़े घोटाले के कारण। अटैचमेंट का मतलब होता है, किसी शिक्षक या कर्मचारी को उसकी मूल पदस्थापना वाली जगह से हटाकर किसी दूसरी जगह पर अस्थायी रूप से काम करवाना। लेकिन रीवा में यह अस्थायी व्यवस्था स्थायी बन गई है।

हाल ही में दो ऐसे मामले सामने आए हैं, जहाँ दो शिक्षिकाएं पिछले 5 और 6 सालों से अपनी मूल पदस्थापना से दूर, दूसरी जगहों पर अटैचमेंट पर काम कर रही हैं। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इन शिक्षिकाओं का वेतन तो उनकी पुरानी जगह से ही दिया जा रहा है, जबकि वे काम किसी और स्कूल में कर रही हैं। इससे न केवल उनकी पुरानी स्कूल में शिक्षकों की कमी हो रही है, बल्कि यह सरकार के नियमों का भी सीधा उल्लंघन है।

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यह केवल एक छोटी-सी लापरवाही नहीं है, बल्कि यह एक तरह का भ्रष्टाचार है, जहाँ नियमों को ताक पर रखकर कुछ खास शिक्षकों को मनचाही जगह पर काम करने की छूट दी जा रही है। जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) के संज्ञान में यह मामला होने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, जिससे इस अटैचमेंट व्यवस्था पर कई सवाल खड़े होते हैं। यह मामला शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाता है।

सुष्मिता तिवारी का मामला: 5 साल से अटैचमेंट कैसे? 
यह मामला शिवपुर्वा संकुल के अंतर्गत आने वाले प्राथमिक विद्यालय, सठीहा से जुड़ा है। इस स्कूल में प्राथमिक शिक्षिका श्रीमती सुष्मिता तिवारी पिछले पांच सालों से अपनी ड्यूटी नहीं कर रही हैं। दरअसल, तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी रामनरेश पटेल ने 19 मार्च 2020 को एक आदेश जारी कर उन्हें मार्तण्ड-3 संकुल के अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय कुल्लू में अटैच कर दिया था।

पाँच साल बीत जाने के बाद भी यह अटैचमेंट खत्म नहीं हुआ है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि सठीहा विद्यालय में अब केवल एक ही शिक्षक, श्री यमुना प्रसाद सकेत बचे हैं। श्री सकेत बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) का काम भी देखते हैं, जिसके कारण उन्हें अक्सर चुनावी या सरकारी कामों के लिए स्कूल से बाहर जाना पड़ता है। ऐसे में स्कूल के छात्रों की पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित हो रही है।

स्कूल के प्रधानाध्यापक और प्राचार्य ने कई बार वरिष्ठ अधिकारियों से सुष्मिता तिवारी को वापस उनके मूल स्कूल में भेजने की मांग की है, लेकिन उनकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। उनका वेतन आज भी शिवपुर्वा संकुल से ही दिया जा रहा है, लेकिन वे काम मार्तण्ड-3 संकुल के लिए कर रही हैं। यह दिखाता है कि किस तरह से एक शिक्षक की सुविधा के लिए छात्रों के भविष्य को दांव पर लगाया जा रहा है।

अर्चना दुबे का मामला: 6 साल से अटैचमेंट क्यों? 
यह दूसरा मामला रायपुर कर्चुलियान विकासखंड के शाउमावि पुरवा संकुल मनिकवार का है। यहाँ विज्ञान विषय की एकमात्र शिक्षिका श्रीमती अर्चना दुबे पिछले छह साल से अधिक समय से अटैचमेंट पर हैं। विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण विषय की अकेली शिक्षिका के अटैचमेंट पर चले जाने से उस स्कूल में विज्ञान की पढ़ाई पूरी तरह से ठप्प पड़ गई है।

बच्चों को बिना किसी शिक्षक के ही विज्ञान जैसे विषय को समझने के लिए छोड़ दिया गया है, जिसका सीधा असर उनके शैक्षणिक प्रदर्शन पर पड़ रहा है। इस मामले में भी बीईओ (ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर) बिना किसी जाँच-पड़ताल के लगातार उनका वेतन भुगतान कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि नियमों का पालन करने की बजाय, सिर्फ आदेशों को पूरा करने पर ही जोर दिया जा रहा है।

दोनों ही मामलों में एक बात साफ है कि ये अटैचमेंट किसी तात्कालिक या आपातकालीन स्थिति के लिए नहीं किए गए थे। यह केवल व्यक्तिगत लाभ और पहुंच का नतीजा है। यह दिखाता है कि कैसे कुछ प्रभावशाली लोग सरकारी व्यवस्था का दुरुपयोग कर रहे हैं।

क्यों हो रहा है यह घोटाला और शिक्षकों का अटैचमेंट कैसे चल रहा है? 
इस तरह के घोटाले होने के पीछे कई कारण हैं:

  • अधिकारियों की मिलीभगत: जब तक उच्च अधिकारी इन अटैचमेंट को रोकने की हिम्मत नहीं करेंगे, तब तक यह चलता रहेगा। ऐसा लगता है कि कुछ मामलों में अधिकारियों की मिलीभगत से ही यह सब हो रहा है।
  • राजनीतिक दबाव: कई बार ऐसे अटैचमेंट राजनीतिक दबाव या सिफारिशों के कारण होते हैं, जिससे अधिकारी चाहकर भी कार्रवाई नहीं कर पाते।
  • जांच का अभाव: बीईओ और अन्य अधिकारी बिना किसी जांच के वेतन का भुगतान कर रहे हैं। अगर वे सही तरीके से जांच करें तो यह मामला तुरंत पकड़ में आ जाएगा।
  • पारदर्शिता की कमी: शिक्षा विभाग में अटैचमेंट के मामलों में कोई पारदर्शिता नहीं है। कौन अटैचमेंट पर है, क्यों है और कब तक रहेगा, इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती।

अटैचमेंट से शिक्षा पर क्या फर्क पड़ता है? 
शिक्षकों के इस तरह लंबे समय तक अटैचमेंट पर रहने से शिक्षा व्यवस्था पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं:

  • छात्रों की पढ़ाई पर असर: जब किसी स्कूल से शिक्षक अटैचमेंट पर चले जाते हैं, तो उस स्कूल में शिक्षकों की संख्या कम हो जाती है। इसका सीधा असर छात्रों की पढ़ाई पर पड़ता है, जैसा कि सठीहा और पुरवा के स्कूलों में देखा गया।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट: ऐसे अटैचमेंट ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों से किए जाते हैं, जिससे वहाँ पहले से ही कमजोर शिक्षा व्यवस्था और भी खराब हो जाती है।
  • शिक्षकों में असंतोष: यह उन शिक्षकों में असंतोष पैदा करता है जो ईमानदारी से अपनी मूल जगह पर काम कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि कुछ शिक्षकों को विशेष सुविधा मिल रही है, जबकि वे सभी सरकारी कर्मचारी हैं।

शासन के नियम और अधिकारियों की लापरवाही 
शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि शिक्षकों को परीक्षा या निर्वाचन जैसे बहुत जरूरी कामों के अलावा किसी और काम के लिए अटैच नहीं किया जाएगा। लेकिन रीवा में इन नियमों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है। जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) और बीईओ जैसे अधिकारी इन निर्देशों का पालन करवाने में पूरी तरह से असफल रहे हैं।

जब स्कूल के प्रधानाध्यापक और प्राचार्य भी शिकायत कर रहे हैं, तब भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है, यह अधिकारियों की लापरवाही को साफ-साफ दिखाता है। यह दिखाता है कि शासन के नियम केवल कागजों पर हैं और उनका पालन कराने के लिए कोई भी गंभीर नहीं है।

आगे क्या होगा? 
अब जब यह मामला सामने आ गया है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी इस पर क्या कार्रवाई करते हैं। क्या वे इन दोनों शिक्षकों को वापस उनकी मूल संस्था में भेजेंगे या फिर यह मामला भी पहले की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा? यह भी देखना होगा कि इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्रवाई होती है।

यह केवल इन दो शिक्षकों का मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे सिस्टम की समस्या है। अगर इस पर कड़ा एक्शन नहीं लिया गया, तो ऐसे अटैचमेंट का सिलसिला जारी रहेगा और शिक्षा व्यवस्था इसी तरह से प्रभावित होती रहेगी।

अटैचमेंट की समस्या पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 
Q1. शिक्षकों का अटैचमेंट क्या होता है?
A1. शिक्षकों का अटैचमेंट एक अस्थायी व्यवस्था है, जिसमें उन्हें उनकी मूल पदस्थापना से हटाकर कुछ समय के लिए किसी दूसरी जगह पर काम करने के लिए भेजा जाता है।

Q2. अटैचमेंट कितने समय के लिए किया जाता है?
A2. अटैचमेंट का उद्देश्य अल्पकालिक होता है, जैसे किसी आपातकालीन स्थिति या विशेष कार्य के लिए। इसे लंबे समय तक नहीं रखा जा सकता।

Q3. क्या अटैचमेंट के दौरान वेतन रोका जाता है?
A3. नहीं, अटैचमेंट के दौरान भी शिक्षक को उसकी मूल पदस्थापना से ही वेतन मिलता रहता है।

Q4. अटैचमेंट को कैसे रोका जा सकता है?
A4. पारदर्शिता बढ़ाकर, अधिकारियों की जवाबदेही तय करके और नियमों का कड़ाई से पालन करवाकर अटैचमेंट की समस्या को रोका जा सकता है।

निष्कर्ष 
रीवा के शिक्षा विभाग में चल रहा अटैचमेंट घोटाला एक बड़ी समस्या की तरफ इशारा करता है। यह दिखाता है कि कैसे नियमों की अनदेखी कर कुछ लोगों को फायदा पहुंचाया जा रहा है और इसका सीधा खामियाजा छात्रों को उठाना पड़ रहा है। कलेक्टर और उच्च अधिकारियों को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप कर इन अटैचमेंट को खत्म करना चाहिए और भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए। शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए नियमों का पालन और जवाबदेही बहुत जरूरी है।

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