रीवा शिक्षा विभाग: सस्पेंड हुए DEO... अब BEO आकांक्षा सोनी का 'घोटाला'! क्या शिक्षा का मंदिर बन गया है 'भ्रष्टाचार का अड्डा'? कौन दे रहा है इन 'स्कैम मास्टर्स' को संरक्षण? 

 
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ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा का शिक्षा विभाग एक बार फिर बड़े घोटाले की काली छाया में है, और इस बार आरोपों का तीर सीधे BEO आकांक्षा सोनी की ओर है. यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब विभाग अभी पिछले बड़े अनुकंपा नियुक्ति घोटाले की आंच से पूरी तरह उबर भी नहीं पाया था, जिसमें तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) को निलंबित तक कर दिया गया था. सवाल उठता है – क्या रीवा शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार एक महामारी बन चुका है, और इन कथित 'स्कैम मास्टर्स' को आखिर कौन संरक्षण दे रहा है?

पिछला दाग़: DEO निलंबन और अब नया 'कागज़ी खेल'

याद हो, रीवा के जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में हुए अनुकंपा नियुक्ति घोटाले ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं. उस मामले में भी तत्कालीन DEO पर गाज गिरी थी और उन्हें निलंबित किया गया था. अभी उस कांड की पूरी जाँच भी नहीं हुई कि अब 'DDO (ड्राइंग एंड डिसबर्सिंग ऑफिसर) पावर' मिलते ही एक और बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है – इस बार निशाने पर हैं बीईओ आकांक्षा सोनी और उनके क्षेत्र का 'ट्रांसपोर्ट स्कैम'.

BEO आकांक्षा सोनी के क्षेत्र में 'ट्रांसपोर्ट घोटाला': E-मूल्यांकन के नाम पर E-मैनेजमेंट की खुली लूट!

Rewa News Media की ग्राउंड रिपोर्ट ने इस पूरे खेल का खुलासा किया है, जिसमें सरकारी धन की किस तरह आपराधिक लूट हुई है, यह देखकर आप दंग रह जाएंगे.

आरोप है कि बीईओ आकांक्षा सोनी ने स्कूलों के नाम पर कागजों में फर्जी रूट बनाए. यानी, उन रास्तों पर सरकारी वाहन दौड़ाए गए जिनका ज़मीन पर कोई वजूद ही नहीं था! 'ई-मूल्यांकन' जैसे अहम शैक्षिक कार्य की आड़ में 'ई-मैनेजमेंट' के नाम पर लाखों रुपये की लूट की गई.

'नकली कंपनी' और 'डिजिटल साथी' की साठगांठ!

दावा है कि मैडम आकांक्षा सोनी ने कथित तौर पर एक ऐसी ट्रांसपोर्ट कंपनी से गाड़ियाँ किराए पर लीं, जिसका न तो कोई रजिस्ट्रेशन नंबर था और न ही जीएसटी पंजीकरण! यह कंपनी केवल सरकारी फाइलों में जीवित थी, असल में इसका कोई अस्तित्व ही नहीं था. बावजूद इसके, इसे प्रति विज़िट ₹1000 प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया गया.

सबसे शर्मनाक बात यह है कि जिन स्कूलों को 'विज़िटेड' (दौरा किया गया) बताया गया, वहाँ के प्रिंसिपल और शिक्षकों ने कैमरे पर साफ कहा कि मैडम आकांक्षा सोनी या उनकी टीम कभी उनके स्कूल आई ही नहीं! यह खुलेआम सरकारी खजाने की बंदरबांट का सबूत है.

इस घोटाले के पीछे एक "डिजिटल साथी" का हाथ बताया जा रहा है, जिसे इस पूरे "स्क्रीनप्ले" का कथित "डायरेक्टर" कहा जा रहा है. सूत्र बताते हैं कि मैडम आकांक्षा सोनी कथित तौर पर इसी डिजिटल साथी के कहने पर 'विज़िट' की जगहों का चुनाव करती थीं, और बुकिंग से लेकर सारे कागज़ी काम यही 'डिजिटल साथी' कथित तौर पर संभालता था. यह मिलीभगत सीधे तौर पर भ्रष्टाचार के एक बड़े नेटवर्क की ओर इशारा करती है.

कौन दे रहा है इन्हें संरक्षण? यह सवाल पूरे विभाग को हिला देगा!

जब एक के बाद एक घोटाले सामने आ रहे हैं, और पूर्व DEO को निलंबित होने के बाद भी नए मामले उजागर हो रहे हैं, तो यह सवाल उठना लाज़मी है:

  • क्या रीवा शिक्षा विभाग में भ्रष्ट अधिकारियों का एक सिंडिकेट काम कर रहा है?

  • पिछली जाँचों और निलंबन के बावजूद, इन 'स्कैम मास्टर्स' के हौसले इतने बुलंद क्यों हैं?

  • क्या कोई शक्तिशाली राजनीतिक या प्रशासनिक शख्सियत इन्हें 'अदृश्य' संरक्षण दे रहा है, जिसके इशारे पर ये बेखौफ होकर सरकारी पैसे की लूट कर रहे हैं?

  • कब तक रीवा में शिक्षा का पवित्र मंदिर, घोटालों का अड्डा बना रहेगा?

इस मामले की तुरंत उच्चस्तरीय, निष्पक्ष और समयबद्ध जाँच होनी चाहिए. दोषियों को सज़ा मिलनी चाहिए, ताकि रीवा के शिक्षा विभाग पर लगे भ्रष्टाचार के दाग को मिटाया जा सके और जनता का भरोसा वापस आ सके.

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