रीवा शिक्षा विभाग में 'ई-अटेंडेंस' पर बड़ा एक्शन: DEO सहित 36 अधिकारियों को नोटिस, वेतन वृद्धि रोकने की तैयारी

 
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सरकारी स्कूलों में पारदर्शिता से भागा शिक्षा विभाग! रीवा संभाग के संयुक्त संचालक ने 7 दिन में मांगा जवाब, लापरवाही पर रुकेगी एक साल की वेतन वृद्धि 

ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा जिले के सरकारी स्कूलों में पारदर्शिता लाने के लिए शुरू की गई ई-अटेंडेंस प्रणाली को लेकर एक बड़ी प्रशासनिक उदासीनता का मामला सामने आया है। जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) समेत कुल 36 प्राचार्यों और अधिकारियों ने जानबूझकर इस प्रणाली से दूरी बनाए रखी, जिसके परिणामस्वरूप संयुक्त संचालक (JD) ने इन सभी को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। यह कार्रवाई शिक्षा विभाग में जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक सख्त कदम है।

कार्रवाई का कारण: भोपाल से आई अनुपस्थित अधिकारियों की सूची 
यह चौंकाने वाला खुलासा रीवा संभाग के संयुक्त संचालक नीरव दीक्षित ने किया। उन्होंने बताया कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों और अधिकारियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए ई-अटेंडेंस प्रणाली लागू की गई थी।

  • उदासीनता पर सवाल: ई-अटेंडेंस का उपयोग न करना सीधे तौर पर पारदर्शिता और अनुशासन को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है।
  • स्रोत: ई-अटेंडेंस प्रणाली का उपयोग न करने वाले शिक्षकों और प्राचार्यों की विस्तृत सूची सीधे भोपाल स्थित मुख्यालय से प्राप्त हुई थी। इस केंद्रीकृत निगरानी प्रणाली ने रीवा के अधिकारियों की लापरवाही को उजागर कर दिया।
  • कितने लापरवाह: सूची में जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) समेत कुल 36 प्राचार्यों और अधिकारियों के नाम शामिल हैं, जिन्होंने जानबूझकर प्रणाली का उपयोग नहीं किया।

संयुक्त संचालक का सख्त रुख: 7 दिन का अल्टीमेटम और वेतन वृद्धि रोकने की चेतावनी
संयुक्त संचालक लोक शिक्षण, नीरव दीक्षित, ने इस लापरवाही को अत्यंत गंभीरता से लिया है। उन्होंने तुरंत इस सूची पर कार्रवाई की और सभी 36 लापरवाह अधिकारियों को नोटिस जारी किया।

  • जवाबदेही की मांग: नोटिस में सभी अधिकारियों से सात दिन के भीतर इस लापरवाही पर संतोषजनक जवाब मांगा गया है।
  • सख्त चेतावनी: संयुक्त संचालक ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है कि यदि अधिकारी निर्धारित समय-सीमा के भीतर उचित और संतोषजनक जवाब देने में विफल रहते हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी।

वेतन वृद्धि रोकने की चेतावनी: अनुशासन का संदेश
लापरवाही के खिलाफ चेतावनी का सबसे कड़ा हिस्सा वेतन वृद्धि रोकने का है।

  • प्रशासनिक दंड: यदि जवाब संतोषजनक नहीं पाया जाता है, तो इन सभी 36 लापरवाह अधिकारियों और प्राचार्यों की एक वर्ष की वेतन वृद्धि रोक दी जाएगी।
  • उद्देश्य: यह सख्त कदम शिक्षा विभाग में अनुशासन और जवाबदेही को शीर्ष प्राथमिकता पर लाने के लिए उठाया गया है। यह चेतावनी उन सभी शिक्षकों और अधिकारियों के लिए एक स्पष्ट संदेश है जो सरकारी नियमों की अनदेखी करते हैं।

सरकारी स्कूलों में पारदर्शिता प्रणाली पर उदासीनता क्यों? आगे की राह 
ई-अटेंडेंस प्रणाली का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों की उपस्थिति में पारदर्शिता लाना और यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी स्कूलों में शैक्षिक कार्य सुचारू रूप से चलता रहे। अधिकारियों द्वारा इससे दूरी बनाने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • नियमित उपस्थिति से बचना: कई अधिकारी और शिक्षक अपनी उपस्थिति दर्ज करने की बाध्यता से बचना चाहते हैं।
  • तकनीकी प्रतिरोध: कुछ अधिकारियों द्वारा तकनीकी प्रणाली को अपनाने में अनिच्छा।
  • मॉनिटरिंग से बचना: यह प्रणाली अधिकारियों को यह पता लगाने से रोकती है कि कौन कब स्कूल आया और गया, जिससे उनकी स्वतंत्रता प्रभावित होती है।

प्रमुख बिंदु और निष्कर्ष
यह कार्रवाई मध्य प्रदेश शिक्षा विभाग की ओर से तकनीक और जवाबदेही को लागू करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। रीवा के जिला शिक्षा अधिकारी का नाम सूची में होना यह दिखाता है कि लापरवाही केवल निचले स्तर पर नहीं, बल्कि शीर्ष प्रशासनिक स्तर पर भी व्याप्त है। संयुक्त संचालक का सख्त रुख विभाग में अनुशासन की बहाली के लिए आवश्यक माना जा रहा है।

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