ठेकेदार रो रहे, जनता पिस रही: रीवा बिजली विभाग में कमीशनखोरी और वसूली का 'नंगा नाच'! कार्यपालन अभियंता विपिन सिंह के ट्रांसफर पर उठे बड़े सवाल!

रीवा विद्युत विभाग में पहले से ही दागी और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों की भरमार है, और अब एमडी ने एक और कार्यपालन अभियंता को रीवा भेज दिया है, जिनके खिलाफ जबलपुर में ठेकेदारों ने 10% कमीशन मांगने और खुद ठेकेदारी करने का आरोप लगाते हुए रैली निकाली थी।
ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) रीवा विद्युत विभाग इन दिनों सुर्खियों में है, लेकिन अच्छे कारणों से नहीं। खबरों के अनुसार, यह विभाग दागी और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों का गढ़ बन गया है। आरोप है कि यहां ऐसे अधिकारियों की भरमार है जो विभिन्न अवैध गतिविधियों में संलिप्त हैं, जिससे विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग गया है। स्थिति तब और बिगड़ गई, जब मध्य प्रदेश विद्युत मंडल के प्रबंध निदेशक (MD) ने एक ऐसे कार्यपालन अभियंता को रीवा भेज दिया, जिनके खिलाफ स्वयं जबलपुर में ठेकेदारों ने मोर्चा खोल दिया था और खुलेआम कमीशन मांगने के आरोप लगाए थे।
रीवा विद्युत विभाग: भ्रष्टाचार का नया गढ़?
एमडी का विवादास्पद निर्देश: 'करप्ट' अधिकारी को रीवा भेजा
चौंकाने वाला पहलू यह है कि एमडी ने खुद एक वीडियो कॉन्फ्रेंस (VC) में कथित तौर पर कहा था कि "सबसे करप्ट हैं यह, इन्हें भेजो रीवा।" इस बयान के बाद, ऐसे अधिकारियों को रीवा भेजा जा रहा है, जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। यह दिखाता है कि कैसे रीवा को 'दंडात्मक पोस्टिंग' का केंद्र बनाया जा रहा है, जहां भ्रष्ट या विवादित अधिकारियों को 'भेज दिया जाता है'। यह प्रथा विभाग की छवि और कार्यप्रणाली दोनों के लिए घातक है। यदि शीर्ष स्तर से ही ऐसे संकेत दिए जा रहे हैं, तो यह सीधे तौर पर बिजली विभाग को लूटने वालों की कमी नहीं होने के आरोप को और मजबूत करता है।
कार्यपालन अभियंता विपिन कुमार सिंह: आरोपों का पुलिंदा
ताजा मामला कार्यपालन अभियंता विपिन कुमार सिंह का है, जिन्हें साउथ कटनी से रीवा स्थानांतरित किया गया है। इनके खिलाफ जबलपुर में ठेकेदारों ने खुलकर विरोध किया था, जिसमें रैली भी निकाली गई थी। ठेकेदारों का आरोप था कि विपिन कुमार सिंह खुद ठेकेदारी कर रहे हैं और अन्य ठेकेदारों से स्टीमेट का 10 फीसदी कमीशन मांगते हैं। ऐसे गंभीर आरोपों के बाद भी उन्हें सेवा से हटाने के बजाय रीवा पदस्थ कर दिया गया, जिससे विभाग में पहले से व्याप्त भ्रष्टाचार के आरोपों को बल मिलता है। यह नियुक्ति इस बात की पुष्टि करती है कि रीवा बिजली विभाग में करप्शन का गढ़ बनता जा रहा है।
परिवारवाद और कमीशनखोरी: विभाग में व्याप्त अनियमितताएं
रीवा विद्युत विभाग में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी प्रतीत होती हैं। आरोपों के अनुसार, अधिकारी कई तरह के अप्रत्यक्ष कार्यों में शामिल हैं:
साले को सेट करना: एक अधिकारी पर आरोप है कि वह अपने साले को ही सेट करने में लगे हैं, जिसके नाम से एक फर्म चलाकर घरों में सोलर पैनल लगाने का काम दिलाते हैं। यह अधिकारी अपने साले को ही फोर्सली सारा काम दिलाते हैं और इसी से मालामाल हो रहे हैं। यह सीधे तौर पर परिवारवाद और पद के दुरुपयोग का मामला है।
कर्मचारियों के माध्यम से ठेकेदारी: कटनी से आए अधिकारी की तरह ही कई अन्य अधिकारी भी कथित तौर पर कर्मचारियों के माध्यम से ठेकेदारी करा रहे हैं, जिससे हितों का टकराव और अनियमितताएं बढ़ रही हैं।
मोटी कमीशन: ठेकेदारों से मोटी कमीशन लेकर काम देना यहां एक आम प्रचलन बन गया है। यह कमीशनखोरी सीधे तौर पर सरकारी परियोजनाओं की लागत बढ़ाती है और गुणवत्ता से समझौता करती है।
क्षेत्र में वसूली: कुछ अधिकारी अपने कर्मचारियों से क्षेत्र में अवैध वसूली करा रहे हैं, जिससे आम जनता को परेशानी हो रही है और विभाग की छवि खराब हो रही है।
ये आरोप दर्शाते हैं कि रीवा का बिजली विभाग पूरी तरह से करप्शन के गढ़ में बदल गया है, जहाँ जुगाड़ से बैठे अधिकारी विभाग को खोखला कर रहे हैं।
आउटसोर्स कर्मचारियों का शोषण और उगाही
विद्युत विभाग में एक अधिकारी पर तो कनिष्ठ अभियंताओं और मीटर रीडरों को लूट-खसोट की छूट देने का भी आरोप है। शिकायतों के बावजूद, ऐसे मीटर रीडरों को नौकरी से नहीं निकाला गया है, जो खुलेआम उगाही में लिप्त हैं। यह मीटर रीडर और जेई के गठजोड़ से मोटी रकम उगाही जाने का आरोप है, जिसके कुछ वीडियो भी सामने आए हैं।
इससे भी बढ़कर, जो आउटसोर्स कर्मचारी इन अधिकारियों की कमाई के राह में रोड़ा बन रहे हैं, उन्हें स्थानांतरित कर परेशान किया जा रहा है। यह स्थिति कर्मचारियों के शोषण और अनियमितताओं के खिलाफ आवाज उठाने वालों को दबाने का प्रयास दर्शाती है।
पुराने दागी अधिकारियों की वापसी और उनका प्रभाव
यह मामला तब और गंभीर हो जाता है, जब यह पता चलता है कि कई दागी अधिकारी सिफारिश के दम पर दूसरे जिलों से रीवा लौट आए हैं। ऐसे अधिकारी, जिनके खिलाफ पहले कई विधायकों ने मोर्चा खोला था और कई जांचें भी बैठाई गई थीं, अब फिर से रीवा में नए डिवीजन में पदस्थ हो गए हैं। एक अधिकारी के बारे में तो यह भी कहा जाता है कि वह खुलेआम कहते थे "जो देगा वही ठेका लेगा।" ऐसे अधिकारियों की वापसी से विभाग में ईमानदारी से काम करने वाले शेष अधिकारियों का मनोबल टूटता है और भ्रष्टाचार को और बढ़ावा मिलता है।
रीवा के बिजली विभाग में ईमानदारी का अभाव
वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह आरोप लगाया जा रहा है कि रीवा के बिजली विभाग में कोई भी ऐसा अधिकारी नहीं बचा जो ईमानदारी से काम कर रहा हो। सभी अधिकारी कथित तौर पर जुगाड़ से यहां बैठे हैं और विभाग को खोखला करने में लगे हैं। यह स्थिति न केवल बिजली विभाग की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर रही है, बल्कि आम उपभोक्ताओं को भी असुविधा और आर्थिक नुकसान पहुंचा रही है। यह सीधे तौर पर सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार और जवाबदेही की कमी को दर्शाता है।
आगे की राह: क्या होगा इन आरोपों पर?
इन गंभीर आरोपों के सामने आने के बाद, यह देखना होगा कि शासन और विभाग के शीर्ष अधिकारी इस पर क्या कार्रवाई करते हैं। क्या इन आरोपों की निष्पक्ष जांच होगी? क्या दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी? और क्या रीवा विद्युत विभाग को भ्रष्टाचार के इस दलदल से निकालकर पारदर्शी और जवाबदेह बनाया जाएगा? इन सवालों के जवाब ही यह तय करेंगे कि क्या रीवा बिजली विभाग में कोई सुधार होगा या यह भ्रष्टाचार का गढ़ बना रहेगा।