REWA : सुपर स्पेशलिटी अस्पताल से विशेषज्ञ चिकित्सकों का पलायन जारी
कल एक चिकित्सक ने दिया था इस्तीफा आज छह चिकित्सकों ने दिया इस्तीफा
ऋतुराज द्विवेदी,रीवा। । प्रदेश में जहां एक और चुनावी सरगमिया जोरों पर हैं मुख्यमंत्री से लेकर सत्ता पक्ष का हर जन प्रतिनिधि अपने-अपने इलाके में सक्रिय है और बड़े-बड़े दावे कर रहा है हकीकत इसके एकदम विपरीत है।
बात करें रीवा जिले की तो यहां के मौजूदा जनप्रतिनिधि हर पत्रकार वार्ता एवं आम सभा में विकास गाथा गिनाने से नहीं चूकते हैं, किंतु हकीकत यह है कि पूरे मध्य प्रदेश में कोई भी विभाग ऐसा नहीं है जहां पर कर्मचारियों की कमी ना हो फिर वह चाहे पुलिस विभाग हो मेडिकल विभाग, खनिज विभाग, राजस्व विभाग, शिक्षा विभाग सहित अन्य जो भी विभाग हैं उनके आला अफसर अक्सर स्टाफ की कमी का रोना रोते रहते हैं।
अगर बात की जाए चिकित्सा विभाग की तो रीवा जिले में सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल (Super Specialty Hospital) से 6 तारीख को एक विशेषज्ञ चिकित्सक द्वारा इस्तीफा दे दिया गया एक ही दिन नहीं गुजरे थे कि सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल (Super Specialty Hospital) के 6 चिकित्सकों ने एक साथ अपना इस्तीफा राज्य शासन को प्रेषित कर दिया है.
अब देखना यह है कि राज्य सरकार इन चिकित्सकों का इस्तीफा मंजूर करती है या नहीं इन चिकित्सकों का इस्तीफा मंजूर हो जाता है तो करोड़ों रुपए खर्च करके बनाई गई सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की इमारत मात्र देखने के लिए रह जाएगी
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में किडनी रोग विशेषज्ञ (Nephrologist) के पद पर पदक डॉक्टर रोहन द्विवेदी (rohan dwivedi) R ने 6 अक्टूबर को पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं अधिष्ठाता श्याम शाह चिकित्सा महाविद्यालय को इस्तीफा पत्र भेज कर सभी जिम्मेदारियां से खुद को अलग कर लिया है।
उन्होंने पत्र में लिखा है की नौकरी से इस्तीफा देने के पूर्व उन्होंने एक माह पुर्व सूचना प्रेषित की थी। इसी के तहत तय समय पूरा होने पर इस्तीफा दे रहे हैं। डॉ रोहण द्विवेदी के नौकरी छोड़ने से सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (Super Specialty Hospital) में चल रही यूनिट ठप पड़ जाएगी। रीवा जिला सहित संभाग भर से यहां डायलिसिस कराने और किडनी से जुड़ी बीमारियों का इलाज कराने आते थे।
अब उन सभी मरीजों को दूसरे शहर इलाज करने जाना पड़ेगा। सुपर स्पेशलिटी (Super Specialty Hospital) के डॉक्टर लगातार नौकरी छोड़ रहे हैं उन्हें रूठने से ना तो जिला प्रशासन और ना ही सरकार मना पा रही है। इसकी असली वजह तक भी नहीं पहुंच पा रही है।