REWA : 5 करोड 11 लाख के घोटाले में अभी तक नहीं दर्ज कराई FIR ,वर्तमान DEO रीवा उपाध्याय सहित तीन पूर्व डीईओ ने मिलकर किया घोटाला

 
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जेडी स्कूल शिक्षा एवं थाना प्रभारी की भूमिका संदिग्ध

रीवा। स्कूल शिक्षा विभाग के जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय रीवा के 17 कर्मचारियों को 4 माह का समय बीत जाने के बावजूद भी अभी तक FIR दर्ज ना होना थाना प्रभारी सिविल लाइन एवं जेडी रीवा की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है। बताया गया है कि डीईओ कार्यालय रीवा में अनुदानित वेतन राशि आवंटित करने, क्रय किए जाने में घोटाले, सेवानिवृत्त कर्मचारियों को क्रमोन्नति एरियर्स का दोहरा से भी अधिक भुगतान करने, के जांच प्रतिवेदन में दोषी वर्तमान रीवा डीईओ गंगा प्रसाद उपाध्याय, पूर्व डीईओ रीवा तथा वर्तमान बीएड कॉलेज के प्राचार्य रामनरेश पटेल, पूर्व रमसा प्रभारी तथा वर्तमान डीईओ सीधी पी.एल.मिश्रा, से.नि. डीईओ अंजनी त्रिपाठी सहित 13 अन्य कर्मचारियों के खिलाफ आयुक्त लोक शिक्षण मध्यप्रदेश भोपाल ने 17.03.23 को जेडी रीवा एस.के.त्रिपाठी वह पत्र जारी किया था जिसमें उक्त सभी 17 कर्मचारियों को 5 करोड़ 10 लाख रुपए के घोटाले में दोषी मानते तत्काल एफ आई आर दर्ज कराने के निर्देश जारी किए थे।

किन्तु आश्चर्य की बात तो यह है कि एक छोटे से नकल प्रकरण में इन्हीं अधिकारियों द्वारा तत्काल FIR दर्ज करवाई जाती है, 4 माह का समय बीत जाने एवं पूरी जांच हो जाने में दोषी पाये जाने के बाद भी जेडी रीवा द्वारा अभी तक एफ आई आर दर्ज नहीं कराई गई। ऊपर से सभी दोषी कर्मचारियों को न्यायालय से स्थगन लाने के लिए कहा जा रहा है। 1-2 अधिकारियों ने तो 1 सप्ताह का स्थगन लाया भी है लेकिन उसके आगे की कार्यवाही भी शिथिल पड़ी हुई है।

सबसे मजे की बात तो यह है कि इन अधिकारियों को विभाग के सबसे बड़े पद पर अभी भी बैठाया गया है जो लगातार पद में रहकर अपनी जांच एवं अभिलेखों को प्रभावित कर रहे हैं। बताया गया है कि उक्त भ्रष्टाचारी अधिकारी एवं कर्मचारियों के विरुद्ध भारतीय दंड विधान अधिनियम की धारा 420, 409, 120वी अन्य संगत धाराओं के अंतर्गत एफ आई आर दर्ज किए जाने हेतु आयुक्त लोक शिक्षण मध्यप्रदेश भोपाल ने संयुक्त संचालक लोक शिक्षण रीवा संभाग रीवा एस के त्रिपाठी को पत्र जारी किया है।

एफ आई आर दर्ज की खबर लगते ही दो अधिकारी पहुंच गए कोर्ट

मिली जानकारी के अनुसार जैसे ही घोटालेबाज अधिकारियों को जानकारी हुई कि अब वह सलाखों के पीछे जाने वाले हैं तो सभी एकजुट होकर एक बड़े नेता के छत्रछाया में पहुंच गए। नेता ने भी अपना वोट बैंक बिगड़ता देख थाना प्रभारी को लिंगराआन करने के लिए कह दिया। इसी बीच उन्होंने हाईकोर्ट में स्थगन के लिए आवेदन दिया एवं  वकील को भारी-भरकम राशि प्रदान की। जहां से पूर्व डीईओ आर एन पटेल को 1 सप्ताह के लिए स्थगन दिया गया। उसी स्थान को आधार बनाकर वर्तमान जिला शिक्षा अधिकारी गंगा प्रसाद उपाध्याय ने भी WP-8925/2023 के द्वारा 1 सप्ताह के लिए स्थान प्राप्त किया। यदि ये अधिकारी दोषी नहीं थे और घोटाला नहीं किया तो FIR. से बचने के लिए न्यायालय की शरण में क्यों दौड़ रहे हैं। उक्त मामले में लेखापाल अशोक शर्मा तथा कार्यालय में अटैच सहायक अध्यापक विजय तिवारी पूर्व में ही निलंबित हो चुके थे। अशोक शर्मा ने भी न्यायालय से स्टे प्राप्त किया और यथावत फिर उसी पद पर पदस्थ हो गए।

मामले में कलेक्टर से हस्तक्षेप एवं दोषी को पद से हटाए जाने की मांग

अनुदान प्राप्त विद्यालयों के अन्य शिक्षकों, अशासकीय विद्यालय के संचालकों ने जिला कलेक्टर महोदय से मामले में त्वरित हस्तक्षेप की मांग, एफ आई आर दर्ज करवाने हेतु जेडी रीवा को निर्देशित कथा दोषी सभी वरिष्ठ अधिकारियों को तत्काल पद से अन्यत्र हटाए जाने की मांग की है ताकि इनके द्वारा शासकीय अभिलेखों की छेड़छाड़ रोका जा सके।

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