'जानवर भी न खाएं' जैसा मिड-डे मील! लाखों का बजट कहाँ गया? सीएम साहब, बच्चों के निवाले पर हो रहे घोटाले की जाँच हो!

 
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ऋतुराज द्विवेदी, रीवा/भोपाल। (राज्य ब्यूरो) मध्य प्रदेश के रीवा जिले में स्कूल शिक्षा विभाग की व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। हाल ही में राज्य शिक्षा केंद्र के निर्देश पर तीसरी और चौथी तक के बच्चों के साक्षरता और अंकीय ज्ञान का आकलन करने के लिए दो दिवसीय एफएलएन (Foundational Literacy and Numeracy) सर्वे आयोजित किया गया था। इस कार्य के लिए शिक्षकों (जन शिक्षकों) और डीएलएड (D.El.Ed.) के छात्र-छात्राओं को लगाया गया था, जिन्हें भोजन के नाम पर ऐसी वस्तु परोसी गई जिसे 'जानवर भी न खा पाएँ'।

सुबह 4 बजे से भागकर सर्वे के लिए क्षेत्रों में भेजे गए ये शिक्षक और छात्र जब दोपहर में भोजन के लिए स्कूलों में पहुंचे, तो उन्हें घटिया क्वालिटी का मध्यान्ह भोजन परोसा गया। मनगवां के गल्र्स हायर सेकेण्डरी स्कूल में मिली व्यवस्था खास तौर पर निराशाजनक थी।

घटिया भोजन: मनगवां के स्कूल में चौंकाने वाला खुलासा 
सर्वे टीम को परोसे गए खाने की गुणवत्ता इतनी खराब थी कि शिक्षकों ने उसे छूने तक की हिम्मत नहीं की। भूखे-प्यासे ही उन्होंने दिन भर का सर्वे कार्य पूरा किया और शाम को घर लौटने पर ही उन्हें भोजन नसीब हो सका।

  • शिक्षकों की पीड़ा: गंगेव ब्लॉक के मनगवां में सर्वे के लिए गए एक सीएसी (CAC) ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि दोपहर ढाई बजे जब भोजन थाली में आया, तो वह इतना घटिया था कि किसी को खाने की हिम्मत नहीं हुई।
  • बच्चों के निवाले पर सवाल: इस घटना ने एक और गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है: अगर सर्वे के लिए आई टीम को इतना घटिया भोजन परोसा जाता है, तो रोज स्कूलों में बच्चे यह भोजन कैसे खाते होंगे?
  • जिम्मेदार कौन?: शिक्षकों का कहना है कि यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि नेताओं और मध्यान्ह भोजन का संचालन करने वाले स्व सहायता समूह मिलकर बच्चों के निवाले को निगल रहे हैं।

लापरवाही की हदें: कोई सुध लेने वाला नहीं 
सर्वे टीम को भोजन न मिलने और व्यवस्था की कमी की जानकारी तुरंत बीआरसीसी (BRCC) को दी गई थी, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर किसी ने कोई सुध नहीं ली और कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं कराई गई।

  • अव्यवस्था का शिकार: अधिकांश जन शिक्षक और डीएलएड छात्र अव्यवस्था का शिकार हुए। कई क्षेत्रों में तो सर्वे टीम को पानी और खाना दोनों ही नसीब नहीं हुआ।
  • प्रशासनिक उदासीनता: सुबह 7 बजे से भूखे-प्यासे काम करने के बावजूद, अधिकारियों की यह उदासीनता दिखाती है कि जमीनी स्तर पर काम करने वाले कर्मचारियों और छात्रों के प्रति प्रशासन का रवैया कितना लापरवाह है।

सर्वे का उद्देश्य और समय-सीमा 
यह दो दिवसीय सर्वे राज्य शिक्षा केंद्र के निर्देशों पर आयोजित किया गया था:

  • उद्देश्य: तीसरी और चौथी कक्षा के बच्चों में हिंदी, अंग्रेजी, और गणित के संबंध में साक्षरता और अंकीय ज्ञान (FLN) के स्तर का आकलन करना।
  • समय-सीमा:
  • पहला दिन (25 सितंबर): नईगढ़ी, मऊगंज, जवा, हनुमना और त्योंथर।
  • दूसरा दिन (26 सितंबर): सिरमौर, रीवा, गंगेव, रायपुर कर्चुलियान।
  • प्रक्रिया: छात्रों से ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से टेस्ट लिया गया और जानकारी फीड की गई।

लाखों के बजट पर सवाल 
स्कूल शिक्षा विभाग प्रशिक्षण और सर्वे के नाम पर हर साल लाखों रुपए का बजट आवंटित करता है। यह बजट सर्वे टीम के खानपान और सुविधाओं पर खर्च किया जाना था, लेकिन जमीनी हकीकत यह थी कि कहीं भी राशि खर्च नहीं की गई।

यह घटना स्पष्ट रूप से बजट के दुरुपयोग और निगरानी तंत्र की विफलता को दर्शाती है। यदि शिक्षकों को ही इतनी घटिया व्यवस्था का सामना करना पड़ा है, तो यह कल्पना करना मुश्किल नहीं है कि नियमित रूप से मध्यान्ह भोजन खाने वाले ग्रामीण बच्चों की गुणवत्ता और पोषण की स्थिति क्या होगी। इस मामले में जिला और राज्य स्तर के अधिकारियों द्वारा त्वरित और सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि स्व सहायता समूहों और भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत पर लगाम लगाई जा सके।

निष्कर्ष 
रीवा में एफएलएन सर्वे के दौरान शिक्षकों को घटिया मध्यान्ह भोजन परोसा जाना न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि सरकारी स्कूलों में बच्चों को मिल रहे भोजन की गुणवत्ता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। जब लाखों का बजट होने के बावजूद सर्वे टीम भूखी लौट रही है, तो यह साफ है कि बच्चों के निवाले को निगलने वाला यह भ्रष्टाचार कितना गहरा है। राज्य सरकार और शिक्षा विभाग को इस मामले की उच्च-स्तरीय जांच करानी चाहिए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि मध्यान्ह भोजन योजना का मूल उद्देश्य - पोषण और शिक्षा सुनिश्चित करना - पूरा हो सके।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
Q1: एफएलएन सर्वे का उद्देश्य क्या था?
A1: एफएलएन (FLN) सर्वे का उद्देश्य तीसरी और चौथी कक्षा के बच्चों के हिंदी, अंग्रेजी और गणित में साक्षरता और अंकीय ज्ञान के स्तर का आकलन करना था।

Q2: सर्वे टीम को कहाँ घटिया खाना मिला?
A2: सर्वे टीम को गंगेव ब्लॉक के मनगवां स्थित गल्र्स हायर सेकेण्डरी स्कूल में घटिया मध्यान्ह भोजन परोसा गया, जिसे शिक्षकों ने खाने से मना कर दिया।

Q3: शिक्षकों को क्यों भूखा रहना पड़ा?
A3: शिक्षकों को सुबह 7 बजे से भूखे ही क्षेत्र में भेज दिया गया था और दोपहर में जो भोजन मिला, उसकी गुणवत्ता इतनी खराब थी कि उसे निगला नहीं जा सका। प्रशासनिक अधिकारियों ने भी कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की।

Q4: शिक्षकों ने घटिया खाने के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया है?
A4: शिक्षकों ने मध्यान्ह भोजन का संचालन करने वाले स्व सहायता समूह और स्थानीय नेताओं/अधिकारियों की मिलीभगत को इस घटिया व्यवस्था और भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार ठहराया है।

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